Category: कविताएं

  • कविता हमें रच रही है

    कविता हमें रच रही है

    कलमकार साक्षी सांकृत्यायन की एक खास रचना जिसमें वे बताती हैं की कवितायें हमें रचतीं हैं। विश्व कविता दिवस के अवसर पर उनकी इन पंक्तियों को अवश्य पढ़ें। गलतफहमी थी हमें कविता को हम सब रच रहे एहसास खुद को अब हुआ कविता हमें ही रच रही। हमें मिल रहा सम्मान जो साहित्य के इस…

  • कविता- पेट नहीं भरती

    कविता- पेट नहीं भरती

    विश्व कविता दिवस के अवसर पर कलमकार अजय प्रसाद जी के एक विशेष प्रस्तुती पढ़िये। कविता पेट नहीं भरती है मगर हाँ, भूख ज़रूर बढ़ा देती है लिखने वालों का । और ज्यादा लिखने के लिए और ज्यादा छपने के लिए और ज्यादा पढ़े जाने के लिए । कवी, कथाकार, लेखक, समीक्षक और जितने भी…

  • अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस

    अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस

    जंगल का संरक्षण हम इंसानों का ही कर्तव्य है। वनों की क्षति हमारे द्वारा ही की गयी है। अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के अवसर पर इमरान सम्भलशाही की यह रचना पढ़ें। हम सभी जंगलों में कभी रहते थे कंद मूल, पात, फल-फूल खाते थे हर झंझावातों को सह करके भी सारा ही जीवन, सुखमय बिताते थे…

  • महाकाल- तू अनंत है

    महाकाल- तू अनंत है

    भगवान भोलेनाथ की एक स्तुति कलमकार अनिरुद्ध तिवारी ने प्रस्तुत की है। कृपया इसे पढ़े और सभी का कल्याण करनेवाली प्रार्थना प्रभु से करें। तू जीवन का आधार है, तू ही निराकार हैतू ही सत्य है, तू ही संसार है तू देवों का देव है, तू ही महादेव हैतू नाथों का नाथ है, तू ही…

  • पल

    पल

    जीवन की गाथा, उसका सार कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी ने अपनी इस रचना में प्रकट किया है। हर पल शुभ होता है और उसे जी भरकर जीना चाहिए। पल पल मन घबड़ाता है यही सोचकर रह जाता है। जाने वाला पल से अच्छा आने वाला पल होगा। पल पल जीवन बीत रहा है जैसे…

  • कविता सारा संसार रचती है

    कविता सारा संसार रचती है

    कविता की भिन्न भिन्न परिभाषा सुनने में आती है। विश्व कविता दिवस (21 मार्च) के अवसर पर कलमकार इमरान संभलशाही ने बताया है कि एक कविता क्या-क्या हो सकती है। सभी रचनाकारों को कविता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। कविता सारा संसार रचती है कभी मंद तो कभी तेज़ चलती है कविता मुस्कुराती भी है तो…

  • धड़कन

    धड़कन

    कलमकार मुकेश ऋषि वर्मा हर क्षण को जीने की राय देते हैं। यथार्थ और जीवन की कुछ सच्चाई को प्रस्तुत करतीं हुईं पंक्तियाँ पढें। गुजर रहा वक़्त पल-पल, आओ साथी जी लें जीभर हर क्षण। रुठने-मनाने का दौर चलता रहेगा, सजालें अपने खँडहर का आँगन।। अगर तू प्यास गहरी बने तो, मैं बरस जाऊँ बनकर…

  • उन्हीं आंखों का आज पानी लिखेंगे

    उन्हीं आंखों का आज पानी लिखेंगे

    कलमकार विजय कनौजिया आँसुओं में छिपे दर्द और यादों के सागर को अपनी इस रचना में दर्शाया है। चलो आज फिर से कहानी लिखेंगे वही पहले जैसी रवानी लिखेंगे..।। तेरी याद में अक्सर बहते हैं अब तक उन्हीं आंखों का आज पानी लिखेंगे..।। वो भीनी सी खुशबू चमक जुगनुओं की वही अपनी बातें पुरानी लिखेंगे..।।…

  • दिल मेरा बाग बाग हुआ है

    दिल मेरा बाग बाग हुआ है

    निर्भया के मामले पर अपराधियों को मिली सजा पर सभी के मन में खुशी और न्याय के प्रति आदर उतपन्न हुआ है। कलमकार मनीषा प्रसाद ने इस खुशी को जाहिर करने के लिए यह कविता लिखी है। जी उठी निर्भया की मां अपनी बच्ची को इंसाफ दिलाकर एक तड़पती रूह को, न्याय का मुकाम दिलाकर…

  • कोरोना का क़हर

    कोरोना का क़हर

    कोरोना का क़हर- कलमकार अनुभव मिश्रा की इस रचना में उनका संदेश पढें और स्वयं को सुरक्षित रखें। हर तरफ़ कोरोना का ही क़हर छाया है। अब तो मानो हवा में भी ज़हर समाया है।। सम्पर्क में आने पर सावधानी बरतिये जनाब। अपनी सुरक्षा स्वयं करने का अब समय आया है।। इस वैज्ञानिक विषाणु ने…

  • प्यार कर देता हूँ

    प्यार कर देता हूँ

    प्यार की गलियों से गुजरे हर इंसान की अपनी एक कहानी होती है। कलमकार शुभम पांडेय ‘गगन’ भी प्रेम से जुड़े हुए कुछ भाव इन पंक्तियों में प्रकट करते हैं। न जाने क्यों मैं उसकी हर गलती को दरकिनार कर देता हूं मैं उससे प्यार करता हूँ शायद इसीलिए उसे माफ़ कर देता हूँ वो…

  • कोशिश यही हमारी है

    कोशिश यही हमारी है

    कोशिश यही सबकी होनी चाहिए कि वे सावधानी, स्वच्छता और सतर्कता अपनाते हुए कोरोना वायरस से बचें। कलमकार विजय कनौजिया का संदेश इस कविता में पढें। कोरोना का खौफ आजकल हर जीवन पर भारी है कितनों को ये निगल चुका है चिंतित दुनिया सारी है..।। सभी विवश हैं इस प्रकोप से कैसी ये बीमारी है…

  • पहली मोहब्बत

    पहली मोहब्बत

    पहले प्यार की यादें हृदय से नहीं मिटती हैं। जाने-अनजाने उसकी स्मृति हमारे मन को कुरेदती है। कलमकार तृप्ति मित्तल जी की इन पंक्तियों में पहली मोहब्बत का जिक्र हुआ है, आप भी पढें। उफ्फ़ ये हँसी, ये शोखियां ये चेहरे पर बिखरी जुल्फें तू किसी शायर की खूबसूरत नज़्म तो नहीं! उफ्फ़ ये सागर…

  • एक सुबह

    एक सुबह

    कलमकार सुबोध कुमार वर्मा की रचना ‘एक सुबह’ पढ़ें। वैसे तो हर सुबह सुहानी लगती है लेकिन कभी किसी सुबह कुछ अच्छा फैसला हम ले लिया करते हैं। एक ख़्वाब बुन लिया मैंने, एक शहर चुन लिया मैंने सुबह होते एक घाव भर दिया मैंने वहीं एक शहर की रोशनी। वहीं सुबह की अल्हड़ हवा…

  • नारी के रूप कई

    नारी के रूप कई

    कलमकर डॉ. कन्हैया लाल गुप्त ‘किशन’ नारी की महानता और अनेक रूपों को अपनी कविता में रेखांकित किया है। सचमुच वे महान हैं, आओं हम इनका अभिनंदन करें। जिसने नर को जना, जिसने ममता है पायी। जिसके आँचल तले ही जिन्दगी मुस्कुरायी। जिसके अमृत सा दुग्ध को पान करके हम। जिसकी ममता की छाँव में…

  • निर्भया को न्याय

    निर्भया को न्याय

    कलमकार पूजा कुमारी साव ने निर्भया मामले पर सात साल बाद मिले न्याय के प्रति अपने विचार इन पंक्तियों में जाहिर किया है। निर्भया, आज न्याय पा गयी आत्मा उसकी, आज शांत हुई होगी आज की सुबह का, सूर्योदय न्याय किया, उस निर्भया केश पर। वह जीत न केवल, निर्भया की जीत पा गयी, आज…

  • तपस्विनी शबरी

    तपस्विनी शबरी

    प्रभू श्री राम में अपार निष्ठा रखनेवाली तपस्विनी शबरी के बारे में कलमकार राज शर्मा लिखते हैं कि उसका तन मन सब कुछ राममय था। पल पल मार्ग निहारती, शबरी भक्तन महान। राम का नाम जिव्हा पर, न समय का भान।। श्वास-श्वास श्रीराम को, कर दी जिसने समर्पित । सुदृढ साध्वी के भेष में, किए…

  • पत्थर की अभिलाषा

    पत्थर की अभिलाषा

    हमारी तो अनेक इच्छाएं होती है, किंतु क्या आपने कभी सोचा है कि पत्थर की भी अभिलाषा हो सकती है? नहीं ना! ऐसा केवल कवि ही सोचते हैं और अपनी कविता में सभी लोगों से बताते हैं। आइए कलमकार अजय प्रसाद जी कविता के जरिए एक पत्थर की इच्छा जानते हैं। चाह नहीं कि मै…

  • ऐ मेरे प्यारे हिन्दुस्तान

    ऐ मेरे प्यारे हिन्दुस्तान

    हमारा हिंदुस्तान बहुत ही प्यारा है, यहाँ विविध धर्म, संस्कृति और भाषा के लोगों हैं जो विविधता में एकता और अखंडता को कायम रखते हैं। कलमकार इरफान आब्दी मांटवी की रचना पढें जिसमें उन्होंने हिंदुस्तान को अपना दिल और अरमान लिखा है। तू मेरा दिल मेरा अरमान ऐ मेरे प्यारे हिन्दुस्तान तेरी धरती मेरा सीना…

  • तुमको नहीं रुलाऊंगा

    तुमको नहीं रुलाऊंगा

    किसी को तकलीफ़ से उबार लेना बहुत ही उत्तम व्यवहार है। कलमकार विजय कनौजिया लिखते हैं कि तुम्हे कभी भी रोने का अवसर नहीं मिलेगा क्योंकि मीत बनकर मैं तुम्हें मना लूँगा। जब रूठ कभी तुम जाओगे तो बनकर मीत मनाऊंगा जब नींद तुम्हें न आएगी मैं लोरी तुम्हें सुनाऊंगा..।। जब दुखी तुम्हारा मन होगा…