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  • यार मेरे

    यार मेरे

    दोस्त और दोस्ती की बातें भी निराली होती है। नाराजगी, झगड़ा, अनबन, ताने, सुझाव, प्यार सब कुछ दोस्ती देती है और शायद इसीलिए यह सबको भाती है। कलमकार अनुभव मिश्रा के विचार भी इन पंक्तियों में पढ़ें। भीड़ की मुझे जरूरत नहीं ना ये पंडित किसी काफिले का तलबगार है, मुकम्मल मानता हूँ खुद को…