माह-ए-रमज़ान में सब बाँटे खुशियों की सौगातें,
अनुराग मिश्रा ‘अनिल‘
कि, इन्सां की मुलाक़ात इन्सां से ज़रा सलीके से हो।
रहमत तू ऐ ख़ुदा, कुछ यूँ बरसा ज़मीं पर,
‘ईद’ हमारी कुछ यूँ तरीक़े से हो।
बेतिया

माह-ए-रमज़ान में सब बाँटे खुशियों की सौगातें,
अनुराग मिश्रा ‘अनिल‘
कि, इन्सां की मुलाक़ात इन्सां से ज़रा सलीके से हो।
रहमत तू ऐ ख़ुदा, कुछ यूँ बरसा ज़मीं पर,
‘ईद’ हमारी कुछ यूँ तरीक़े से हो।
बेतिया
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