१५ उपन्यास अकादमी पुरस्‍कार से सम्मानित (१९९५-२०१५)

सन् १९९५ से २०२० तक १५ हिन्दी उपन्यासकारों को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। आदिग्राम उपाख्यान, हवेली सनातनपुर, मुझे चाँद चाहिये, दीवार में एक खिड़की रहती थी, कलिकथा वाया बाईपास, कितने पाकिस्तान, क्याप, इन्हीं हथियारों से, कोहरे में…

0 Comments

अकादमी पुरस्‍कार से सम्मानित १० हिन्दी उपन्यास [१९५५-१९९५]

पहली बार साहित्य अकादमी पुरस्कार पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए और इसके बाद ४० वर्षों में केवल १० हिन्दी उपन्यासकारों को ही इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। राग दरबारी, तमस, मेरी तेरी उसकी बात, नीला चाँद, अर्द्धनारीश्वर,…

0 Comments

दस हिन्दी उपन्यास आपको अवश्य पढ़ने चाहिए

उपन्यास हमारे समाज और उसकी व्यवस्था की झलक होते हैं। सभी भाषाओं के साहित्यकारों ने अपने उपन्यासों में समाज की विसंगतियों, कुरीतियों, परंपराओं, आचरण और बहुत सारी अच्छी बातों का उल्लेख किया है। हर वर्ष अनेक लेखक और लेखिकाओं द्वारा…

2 Comments

बातें शहद की

हम में से सभी चाहते हैं कि हमे एक लंबा और स्वस्थ जीवन मिले औऱ एक अधिक समय तक जीवित रहें. डॉक्टर वैद्य हकीम साइंसदानों एवं माहेरीन इस खोज में लगे हैं कि मृत्यु को कुछ समय के लिए टाला…

0 Comments

बूँद

सर्द सुबह की मीठी गर्माहट लिए सूर्य की लालिमा युक्त रश्मियों का कोमल पुष्प-लताओं के स्पर्श का आनन्द, निर्लिप्त लालित्ययुक्त ओश की ढुलकती हुई बूंदों में इन्द्रधनुष की अभिव्यक्ति है। तो वहीं पर सुख-दुःख के गहरे भावों की ठंडी बर्फ…

0 Comments

ससम्मान जीवन जीने का अधिकार

भारतीय संविधान दुनिया के उन अद्वितीय संविधानों में से एक है जो समाज के प्रत्येक वर्ग का ध्यान रखता है। संविधान के निर्माताओं को मानवीय गरिमा और योग्यता के महत्व के बारे में पता था और इसलिए उन्होंने भारत के…

0 Comments

मेरी कुछ यादें – शशीधर चौबे

प्रयागराज से दिल्ली की सड़क यात्रा सुबह के करीब आठ बजे निकले थे हम प्रयागराज से, घर से निकले तो सबसे पहले ATM से पैसे निकाले, फिर बाइक को पेट भर पेट्रोल पिलाया। हालांकि एक दिन पहले ये तय किया…

1 Comment

मकरसंक्रांति से जुड़ी यादें

कलमकार सुमित सिंह पवार "पवार" ने मकर संक्रांति पर्व पर शुभकामनाएं देते हुए कुछ संस्मरण साझा किए हैं। आप भी पढ़ें- १) पतंग और पढ़ाई बात उन दिनों की जब मैं पुलिस ट्रेनिंग खत्म कर लखनऊ में तैनाती पा गया…

0 Comments

लेखकों की आपबीती

मेरा 2020 का सफर वाह! क्या साल रहा 2020!नहीं मतलब क्या-क्या नहीं दिखा गया। जितना जिन्दगी के बाकी बसन्त में कभी नहीं देखने को मिला, उतना ये साल अकेला दिखा गया। क्या अमीर-क्या गरीब, क्या रंगमंच-क्या सच्चाई, क्या सरकारी-क्या निजी,…

1 Comment

लॉकडाउन 2020

लॉकडाउन और मेरा अनुभव ~ शिवम झा (भारद्वाज) किसी ने ठीक ही कहा है किस समय से बड़ा बलवान कोई नहीं है समय का चक्र कब किस ओर करवट लेगी ना कोई इस बारे में जानता है और ना कोई…

0 Comments

परंतप मिश्र के तीन लेख

1. संबंधों की अनिवार्यता हमारे दैनिक जीवन में हम प्रतिदिन कुछ नया सीखते हैं। बनते और बिगड़ते सम्बन्ध लोगों की मनोवृति की अनुकूलता, विचारों की स्वीकार्यता, प्रारब्ध कर्म, आचार- विचार, परिस्थिति और समाज का परिणाम है। हमारा प्रयास अपने संबंधो…

2 Comments

वो मेरा जन्मदिन- शिवम झा (भारद्वाज)

दादी के स्वर्गवास को 8 साल हो गए पापा दादी की आठवीं बरसी करने गांव गए थे बरसी को बीते 2 हफ्ते हो गए किंतु पापा के लौटने का समय नहीं हुआ था जमीन के किसी कार्य को लेकर आने…

0 Comments

तालाबंदी के बीते क्षण (संस्मरण) – इमरान संभलशाही

जब जन समुदायों की दैनंदिन दिनचर्या अचानक से ठप होने लगी। प्राण सिसकने से लगे। वातावरण सारे विस्मय होने लगे। सूरज भी फीका पड़ने लगा। चांद भी अपने बारी आने के इंतजार में सुस्ताने लगी। मौसल बेताल हो गया। पशु…

0 Comments

समय प्रबंधन सफलता की कुंजी

"समय बड़ा ही बलवान है", जी हाँ, मनुष्य जीवन में समय सबसे अधिक मूल्यवान हैं। एक कहावत है कि बिगड़ा स्वास्थ्य, खर्च हुआ धन तथा रूठा हुआ मित्र तो वापिस मिल सकता है मगर जो समय निकल चुका हैं जिसका…

0 Comments

लॉकडाउन और मजदूर

किसी भी आपदा, महामारी का सबसे ज्यादा प्रभाव कमज़ोर और गरीब वर्ग पर ही होता है। कोरोना जैसी महामारी जिसे लेकर तो विदेशों से आए अमीर मेहमान थे लेकिन इस महामारी के बाद भारत में लोकडाउन होने से सबसे ज्यादा…

1 Comment

हिंदी शब्दों के बुनियादी अंतर

आजकल विद्यार्थी लिखने में वर्तनी की अशुद्धियाँ बहुत करते हैंहम इस मंच के माध्यम से हिंदी शब्दों के बुनियादी अंतर को आज की युवा पीढ़ी को बताने का प्रयास करेंगे। 1. स्रोत औऱ स्तोत्रस्रोत- (स् +र+ओ+त) इसका अर्थ है माध्यम,…

0 Comments

मैं मजदूर हूँ

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में आज हर कोई असुरक्षित महसूस कर रहा है। लोगों को घर में ही स्वयं को कैद होने और अपनो से दूर रहने को विवश होना पड़ा है। आज इस महामारी से अपने देश में अगर…

0 Comments

विधाता का खेल

कैसा यह खेल है जो विधाता ने रचा है। विधाता का खेल तो देखिए कि आज इंसान घरों में कैद है और प्रकृति, पशु-पक्षी सब आजाद हैं। कहीं यह प्रकृति और विधाता का सम्मिलित खेल तो नहीं है, हम इंसानों…

1 Comment

एक परिवार अनेक लोग

अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day 2020) के अवसर पर परिवार से जुड़ी कई रोचक जानकारियाँ पढ़ें। दुनिया भर की खबरें आज इंटरनेट के माध्यम से हम सभी को मिलती रहती हैं, हो सकता है आपने भी इन खबरों को…

0 Comments

जन्म-मृत्यु: भाई-बहन की कहानी

जन्म, जीवन और मृत्यु-दो भाई और एक बहन। कहने को तो हम जन्म और जीवन को जुड़वा भाई कह सकतें हैं पर वास्तव में जीवन लोगों के पास जन्म के कुछ महीने पहले ही आ जाता है लेकिन पहले जहाँ…

0 Comments