भारत की महान विभूतियों के सम्मान में स्नेहा धनोदकर रचित कविताएं

१. अटल बिहारी जी छोड़ गए वो छाप अपनी,हर मानस पटल पर,आज भीं कई ऐसे,जो फ़िदा है अटल पर युग पुरुष भारत के,थे वो भाग्य विधाता,पदम् विभूषण, परम् ज्ञानी,भारत रत्न थे दाता रहे राजनीती कें शीर्ष पर,करवा लिया परमाणु परीक्षण,कारगिल…

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तालाबंदी के बीते क्षण (संस्मरण) – इमरान संभलशाही

जब जन समुदायों की दैनंदिन दिनचर्या अचानक से ठप होने लगी। प्राण सिसकने से लगे। वातावरण सारे विस्मय होने लगे। सूरज भी फीका पड़ने लगा। चांद भी अपने बारी आने के इंतजार में सुस्ताने लगी। मौसल बेताल हो गया। पशु…

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विजयादशमी की शुभकामनाएँ और कलमकारों के संदेश

विजयादशमी की शुभकामनाएँ और कलमकारों के संदेश इन कविताओं मे पढ़ें। यह आशा बनाएँ रखें कि असत्य पर सत्य की और बुराई पर अच्छाई की जीत होगी। विजयादशमी ऋचा प्रकाशकलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया विजयादशमी का पावन त्यौहार आया,साथ में…

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प्रेम- एक एहसास

पुजा कुमारी साह 1. मत पूछो ~ पुजा कुमारी साह मत पूछो मैं कैसी हुं, क्या कहुं मैं कैसी हूँ।। आँखों से निकल कर, गालो से फिसलकर जब आंसू की वो बूंद जमी पर गिर रही थी।तब आपने नही पूछा…

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सितंबर २०२०- अधिकतम पढ़ी गई कविताएं

SEPTEMBER-2020: 1) कवि कैसे बनते हैं ~ कलमकार सुभाष चन्द्र 'सौरभ' • 2) मै हिन्दी ~ कलमकार वर्षा यादव • 3) मौत ~ कलमकार सरस्वती शर्मा (सुबेदी) १) कवि कैसे बनते हैं सुभाष चन्द्र 'सौरभ'कलमकार @ हिन्दी बोल IndiaSWARACHIT1765 एक…

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आखिर कब सुधरेंगे हम? कितनी जानें जाएंगी?

पता नहीं माहौल ऐसा क्यों बन चुका है। इंसान में मानसिक विकृतियाँ उसे एक अलग ही रूप में प्रस्तुत कर देती हैं जो एक सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं होता। संकीर्ण मानसिकता के चलते अनेकों बार गंभीर अपराध हो जाते…

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प्रीति शर्मा ‘असीम’ जी की दस कविताएं

१. ताज के सामने ताज के सामने,छाते में,दुकान सजाए बैठा है। वह एक आम आदमी है।हर किसी के,सपने को खास बनाए बैठा है। ताज के सामने,छाते में दुकान से सजाए बैठा है। तस्वीरें बनाता है ।ताज के साथ सबकी,वह सब…

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गांधी जयंती विशेष- २ अक्टूबर २०२० को प्रेषित हुईं कविताएं

बापू की आत्मा प्रिया सिंहकलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया स्वच्छ देश की कल्पना सिद्ध तभी हो पाएगीजब स्वच्छता सड़कों पे नहीं सोच में रखी जायेगी।अब सुधरे तो कैसे सुधरेगंदगी तो सोच में हैं।आज भी बापू की आत्माबस इसी अफ़सोस में…

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डॉ आनन्द किशोर जी की दस कविताएं

१) विदाई वही घरजहां बचपन गुज़राबिटिया काआज सजा हुआ हैआंगन में है गहमागहमीफेरे संपन्न हो चुके हैंफूलों से सजेविवाह-मंड़प में अभी-अभीअश्रुपूरित आंखों से निहारतीकभी घर कोकभी आंगन कोकभी बाबुल कोअपने जीवन-साथी के संगलांघने जा रही हैघर की दहलीज़सधे हुये मन…

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