तालाबंदी के बीते क्षण (संस्मरण) – इमरान संभलशाही

जब जन समुदायों की दैनंदिन दिनचर्या अचानक से ठप होने लगी। प्राण सिसकने से लगे। वातावरण सारे विस्मय होने लगे। सूरज भी फीका पड़ने लगा। चांद भी अपने बारी आने के इंतजार में सुस्ताने लगी। मौसल बेताल हो गया। पशु…

0 Comments

कोरोना काल में कलमें बोली

कोरोना महामारी ने २१ सदी में ऐसी दस्तक दी है कि सम्पूर्ण विश्व इससे त्रस्त हो चुका है। लॉकडाउन का दौर चल रहा है, इस बीमारी से लड़ने के लिए लोग घरों में रहने पर बेबस हैं, सरकारें और संस्थाएं…

0 Comments

२१वीं सदी की महामारी- COVID19

कोरोना वाइरस तनुजा जोशीकलमकार @ हिन्दी बोल India वाइरस के नाम पर जुबां पर आया वुहान,कर चला मोहल्ले का कूचा कूचा वीरान।होती है हर प्राणी को प्यारी अपनी जान,लाकडाउन हुये आखिर जान है तो जहान।किस राह पर चल रहे विधाता…

Comments Off on २१वीं सदी की महामारी- COVID19

लॉकडाउन में मजदूर

इस वर्ष कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते तमाम कंपनियाँ, कल-कारखाने सुचारु रूप से नहीं चल रहें हैं और ऐसे में वहाँ काम करनेवाले मजदूरों की आय बंद/ठप हो गई। उन्हें किसी दूसरे विकल्प पर सोचने की आवश्यकता आन पड़ी…

Comments Off on लॉकडाउन में मजदूर

COVID19 के दौरान लॉकडाउन

मेरा शहर कहीं ग़ुम हो गया है ~ अतुल कृष्ण बदलते वख़्त के मिज़ाज़ के साथबसेरा बहुत दूरवतन से हो तो जाता हैपर जड़ों में की घर की यादऔर सोच में मिट्टी की महक बाकी हैयही वो एहसास है की"ज़िंदा…

0 Comments

कोरोना महामारी- लॉकडाउन

कहो सहेली ~ वंदना मोहन दुबे कहो सहेली इस लॉकडाऊन में,घिस-घिस जब तुमने बर्तन माँजे।मल-मलकर रसोई के आले पोंछे,एमए, बीए, एमबीए की डिग्री,काम आई क्या……. बोलो न सहेली। कहो सहेली ले झाड़ू जब तुमने,खटिया, चरपइया नीचे झुक-झुक,कोनों से झाड़ बुहारा…

0 Comments

कोरोना काल की समस्याएँ

कोरोना काल में  समस्याओं को व्यक्त करती कवितायें हिन्दी कलमकरों ने साझा की है, आप भी पढ़ें। फिर कोरोना एक इतिहास है ~ मधु प्रीति शर्मा यह जो कोरोना हैदुनिया का रोना हैचीन से आई ये बीमारी हैमचाई जिसने तबाही…

0 Comments

लॉकडाउन और मजदूर- १

कोरोना महामारी के दौर में हर इंसान परेशान है। सेहत का ख्याल रखना है, आजीविका चलानी है परंतु काम करने के स्थान भी बंद हैं। इस समय मजदूरों का बुरा हाल है जो अपने घर से दूर शहरों में गएं…

0 Comments

ज्योति कुमारी

ज्योति ने बीमार पिता को गुरुग्राम से दरभंगा साइकल पर बिठाकर पहुंचाया; १२०० किलोमीटर से की दूरी तय करने वाली ज्योति की सराहना इवांका ट्रंप ने भी की है। देश की ज्योति कोरोना महामारी के इस दौर में जहाँ अनगिनत…

0 Comments

कोरोना संकट और लॉकडाउन से जुड़ी कविताएं

कोरोना महामारी के कारण भारत में भी लॉकडाउन पसरा हुआ है, हिन्दी कलमकारों ने लॉकडाउन और जन-सामान्य की समस्याओं को जाहिर करते हुए अपने मन के भाव इन कविताओं में लिखें है। वर्ष २०२० के महीने में लगा हुआ लॉकडाउन…

0 Comments

वक़्त सुखवाला भी आएगा

आज अगर अंधेरा है, निश्चय उजाला भी आएगा। दुःख की बादशाहत सदा न रहेगी, वक्त सुखवाला भी आएगा। फिर से किवाड़ खुलेंगे सारे , हृदय हर्ष-उमंग आएगा। शमा भी रोशन होगी फिर से, महफ़िल में रंग आएगा। शायद तंग आ…

0 Comments

मजदूरों की करुणव्यथा

देख उन्हें सड़कों पर, मैं व्यथित हो जाती हुं, दशा देखकर उनकी ऐसी, मैं लाचार हो जाती हुं। वायरस एक प्लेन से आया, प्लेन वाले बचे रहें, ऐसा क्युं हर बार ही होता, गरीब ही मरते रहे। ऊपर वाले तु…

0 Comments

आँखों में तो बस गाँव है

हाथों में सामान थामे कंधों पे बच्चे साधे बीवी को साथ में ले निकल पड़ा है अपने गांँव की ओर नंगे बदन, नंगे पाँव है आँखों में तो बस गाँव है। साथ है पानी और कुछ रोटियाँ ना जाने को…

0 Comments

कमजोर न समझो

इतना कमजोर नही समझो की सिर पैर सवारी हो जाए अनुशासन इतना मत लांघो की दुश्मन भारी हो जाए भूखे भी है प्यासें भी है बेबस है लाचार भी है पर इनको इतना मत रोको की ये मजदूर भी ब़ागी…

0 Comments

आत्मनिर्भरता

निरालंब तुम रहना सीखो औरों का क्या दम भरना अपने नैया खुद हीं खेवो आत्म निर्भर जग में रहना औरों के बल पर जो बढ़ता शक्तिहीन कहलाता है जंगल में बोलो गीदड़ कब सिंहों सा आदर पाता है अपने भरोसे…

0 Comments

मजदूरों का दर्द

वो घर बनाते हैं, तब रहते हैं लोग मकान में कोई उधार नहीं देता अब उनको दुकान में क्या खबर थी उन्हें कि इतना सितम होगा कि हम आएंगे ही नहीं अब पहचान में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए लोग…

0 Comments

कोरोना कर्मवीर

क्या हमने कभी सोचा था, ऐसी हो जाएगी संसार, जान बचाने के प्रयास में, बंद होना होगा इस बार साबित करने का वक्त है ऐसा, कितनी देशभक्ति की खुमार, कुछ भी नहीं करना है मानव, रहना है परिवार के साथ…

0 Comments

कोरोना- कर्मो का फल

हो गए हैं अजनबी से अपने ही इस शहर में कौन अब किसको यहाँ जानना है चाह रहा जो कभी मिलता था हमसे स्नेह और प्यार से वही आज देखो देख कर आँख है चुरा रहा सोचने की बात है…

0 Comments

कोरोना- छोटा वायरस

एक छोटे से वायरस ने, यूँ कर दी तालाबंदी है. समझौते सँग सब जी रहे क्योंकि, कैद मे जिंदगी है. न होता लड़ाई झगड़ा है, न कही हुयी दरिंदगी है.. कम हुयी हैवानियत भीं, क्योंकि, कैद मे जिंदगी है. धरती…

0 Comments

धन्यवाद कोरोना

मानव है सर्वशक्तिमान, इस दंभ को तोड़ा तुमने, इस पुनर्जागृति के लिए तुम्हारा धन्यवाद कोरोना! यहाॅं सबको समय व अपनों का महत्त्व समझाया, ऐसे पुण्य हेतु हम सब करते हैं अभिवाद कोरोना! जिनसे तुम सुदूर हो, उन्हें जीने की उम्मीद…

0 Comments