पैगाम

भारतवर्ष के इतिहास की गाथाओं से प्रेरित होकर कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी एक पैगाम दे रहे हैं कि उन कहानियों/कथाओं से जो कुछ भी सीखा हो उसे भूलो नहीं बल्कि जीवन में आत्मसात करो। मैं पैगाम मुहब्बत का देने…

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मै भी एक स्त्री हूँ

किसी दरिंदे का हृदय परिवर्तन करना कठिन कार्य होता है। कलमकार अतुल कुमार मौर्य 'अल्फाज़' की यह रचना उन हैवानों को समझाने की कोशिश कर रहीं हैं जो अपनी हवश में सब कुछ भूल जाते हैं। हर स्त्री सम्माननीय है…

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दुनियाँ से ज़ुदा हो जाऊँ

कहते हैं कि दिल का दर्द दूसरों से साझा कर देने पर हल्का/कम हो जाता है। हम सभी ने यह महसूस किया होगा कि जब दिल बेचैन हो तो अपने मन की बात हम किसी को बताना चाहते हैं और…

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शिक्षक

हम सबका एक करीबी रिश्ता होता है शिक्षक के साथ। कलमकार अभिषेक कुमार ने शिक्षक के प्रति अपने विचार और भावों को इन शब्दों में जताया है। शिक्षक मार्गदर्शक, मित्र और पिता की भी भूमिका निभाते हैं। मेरे दिल में…

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वक़्त की दास्ताँ

वक्त लोगों का न जाने कैसे कैसे हालातों से परिचय करवाता है। वक्त की मार और फटकार हमें जीवन जीने का सही तरीका सिखाती हैं। कलमकार खेम चन्द ने अपनी कविता में वक्त से जुड़ी हुई कुछ बातें लोगों से…

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बहनें भाई की जान होती है

भाई-बहन का रिश्ता भी नोंक-झोंक से भरा होता है परन्तु इस रिश्ते में प्यार अपार होता है। कलमकार शेष नाथ त्रिपाठी बहनों के लिए लिखते हैं कि वे तो भाई की जान होती हैं। बहनें जान होती है भाई की,…

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आज का श्रवण कुमार

पापा मैं ये बीस कम्बल पुल के नीचे सो रहे गरीब लोगो को बाट कर आता हूँ। इस बार बहुत सर्दी पड़ रही है। श्रवण अपने पिता से ये कहकर घर से निकल गया। इस बार की सर्दी हर साल…

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तलाश भारत की

भारतमाता की गोद में ऐसे-ऐसे सपूत खेलें हैं जिनपर हमें ही नहीं बल्कि विश्व को भी गर्व होता है। कलमकारों डॉ. कन्हैयालाल गुप्त जी उन्हीं सपूतों के जैसे नए चेहरे अपने भारत में चाहते हैं। भारत की तलाश- उनकी यह…

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चंद्रशेखर आज़ाद

क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के शहीदी दिवस पर शत शत नमन और सादर स्मरण। कलमकार प्रीति शर्मा ने श्रद्धांजली स्वरुप यह कविता हम सभी से साझा की है जो आजाद जी के जीवन पर आधारित है। अपना नाम... आजाद पिता का…

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बावला मन

कलमकार मनीषा मीशा ने यह कविता साझा की है जो मन में उठने वाले विचार और भावों को वयक्त करती है। हम सभी के मन में तरह-तरह की भावनाएं, इच्छाएं और प्रश्न हमेशा उठते रहते हैं। कविताएँ उन्हें जाहिर करने…

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मैं चाहता हूँ

कलमकार अपरिचित सलमान की एक कविता पढें जिसमें उन्होंने अपनी चाहत लिखी है। हम सभी के मन में अनेक इच्छाएं और अरमान होते हैं, उन्हें सबके सामने बता पाना थोड़ा कठिन सा लगता है। चाहता हूं मैं भी उस श्वेत…

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मै पतझड़ हूं

पतझड़ का मौसम मन को नहीं भाता है, लेकिन यह एक सत्य है कि हर साल यह आएगा। इसी प्रकार जीवन में भी अनेक उतार-चढ़ाव आते हैं किन्तु वे क्षणिक होते हैं। हमें किसीका क्षणिक व्यवहार देखकर कोई अप्रिय राय…

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मैं समय हूं

समय बड़ा बलवान होता है, यह सतत प्रगतिशील होकर अपने साथ चलनेवाले लोगों का हमसफर बन उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचाता है। कलमकार राजीव डोगरा जी समय की कुछ बातें अपनी इस कविता में बता रहे हैं, आप भी पढें।…

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हे माँ! आशीष देना

सतत कर्मशील और आशावादी बनकर ही रहना चाहिए, ऐसा करने में हम ईश्वर का आशीर्वाद अवश्य चाहेंगे। कलमकार उमा पाटनी ने एक रचना साझा की है जो उनकी प्रकाशित पुस्तक के पहले पृष्ठ का अंश हैं। आसमां में घिर गये…

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हमारे सरकार खफ़ा हैं

कोई अपना जब रूठ जाता है तो मन बहुत बेचैन हो जाता है और उसे मनाने के लिए अनेकों उपाय ढूंढता है। कलमकार अजय प्रसाद जी ने भी लिखा है कि अब क्या करें? हमारे सरकार तो खफ़ा हो चुके…

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क्रांति

क्रांति का स्वर लोगों के दिल और दिमाग को छू जाता है। इसका असर इतना गहरा होता है कि लोग स्वयं ही इसका हिस्सा बनने के लिए आगे आते हैं। कलमकार राजेश्वर प्रसाद ने क्रांति के बारे मे कुछ पंक्तियाँ…

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बेटियाँ

कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी की कविता पढ़ें- बेटियाँ। परिवार में बेटियाँ अनेक रंग भरती हैं और वे कुल की शान होती हैं। बेटियों की एक अलग और खास पहचान होती है। बेटियां घर की आन होती है। बेटियां घर…

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मुकेश बिस्सा, जैसलमेर

केंद्रीय विद्यालय वायुसेना जैसलमेर में गणित शिक्षक के रूप में कार्यरत हूं। शौक के रूप में लिख लेता है। देश के विभिन्न समाचार पत्रों में कविताएं प्रकाशित हुई है।कविता संकलन अभिव्यक्ति, एक अहसास,काव्यांजलि तथा सफर ए जिंदगी प्रकाशित हो चुकी…

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सरस्वती वंदना

विद्या की देवी माता सरस्वती की यह स्तुति कलमकार आनंद सिंह की रचना है, आप भी पढें और अपने विचार व्यक्त करें। हे वागेश्वरी हे वाग्देवीहे विणापाणी ज्ञानदाहे हंसवाहिनी हे महाश्वेताहे मात सरस्वती शारदाआदिशक्ति का रूप मात तुमश्री विष्णु का…

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आज फिर से मनाऊंगा

रूठने मनाने का दौर न तो कम हुआ है और न ही समाप्त होगा। इसी में तो प्यार के कई पल उलझे होते हैं जिन्हें सुलझाना हमारा दायित्व है। कलमकार विजय कनौजिया जी कहते हैं कि तुम्हे मुस्कान देने के…

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