अपना घर

जिस घर को खूबसूरत बनाने के लिए हम अपना तन मन सब लगा देते हैं क्या वह घर अपना होता है? वह घर कभी-कभी पराया सा महसूस लगता है।कलमकार स्वाति बर्नवाल की कविता भी अपने उसी घर की दास्तान बता…

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जरूरत या चाहत

कलमकार निहारिका चौधरी कहतीं हैं कि अगर प्रेम की बात करें तो चाहत या जरूरत किसी एक को चुनने वाली कोई बात ही नहीं है। ईश्वर की भक्ति के लिए जैसे उनका साक्षात होना जरूरी नहीं होता, तो किसीको चाहने…

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परिस्थितियाँ

हमारे सामने कई विकट परिस्थितियाँ निर्माण हो जातीं हैं जिनका सामना धैर्य के साथ करना पड़ता है। कलमकार डॉ. कन्हैया लाल गुप्त 'शिक्षक' का इन परिस्थितियों के बारे में जो मत है वह उन्होंने अपनी रचना में प्रकट किया है।…

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मरू महोत्सव- मारवाड़ की शान

मरू महोत्सव २०२०, जैसलमेर (७-९ फरवरी, २०२०)विश्व प्रसिद्ध मरू महोत्सव भारतीय संस्कृति की पहचान, परिचायक और मारवाड़ की शान है। भारत की संस्कृति बहुत ही रंग-बिरंगी संस्कृति हैं जो पूरी दुनिया में विशेष पहचान रखती हैं। यहां कई प्रकार के तीज-त्यौहार,…

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चाहता सबका भला हूँ

दूसरों का बुरा चाहने वालों के मन कपट भरा हुआ होता है और उनकी सफलता की राह में बहुत से रोड़े मिलेंगे। यदि हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं तो सफलता भी हमसे दूर नहीं रह पाती है। कलमकार…

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आंखें फिर भर गईं

मन के भावुक हो जाने से आँखें भर जाती हैं, चाहे मौका खुशी का हो या फिर गम के पल। कलमकार विजय कनौजिया जी कहते हैं कि प्रेमवश भी आंखों में नमी आ जाती है। आज उनसे मुलाकात फिर हो…

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बे-वतन की हालत

अपने वतन से दूर रहने का गम किसी परदेशी से बेहतर और कौन जान सकता है। दूसरे वतन में रहकर अपने देश की बातें और लोगों की याद आना स्वाभाविक है। कलमकार इरफ़ान आब्दी मांटवी ने भी इसी दुविधा को…

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कलम पर पहरा

विचार तो स्वतंत्र होते हैं, न चाहते हुए भी तरह तरह के विचार मन में उतपन्न हो जाते हैं। कलमकार अपने विचार और भावों को शब्दों में अपनी कलम से लिखते रहें हैं, किंतु उन्हे भी कभी-कभी सोचना पड़ता है…

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ख़ुदा के बंदे संभल जा

अपनी बुरी हरकतें भी हमें बुरी नहीं लगती है। हम लगातार गलतियाँ करते हैं जिनका अंजाम बहुत बुरा होता है। कलमकार अपरिचित सलमान लिखते हैं हमको ऐसी आदतों पर लगाम लगाने की सख्त जरूरत है; उनकी एक कविता पढ़िए- ख़ुदा…

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तुम मेरे मनमीत

दिल को जब कोई अच्छा लगने लगता है तो उसका साथ छोड़ने को मन ही नहीं होता है। कलमकार लाल देवेन्द्र श्रीवास्तव जी की पंक्तियाँ उन लोगों की परिस्थितियाँ दर्शाती हैं जिन्होने किसी को अपना मनमीत मान लिया हो। मैंने…

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ये साल बदलेगा

क्या यह साल सचमुच बदलेगा? बदलने से तात्पर्य है कि क्या इस साल समस्याएँ, बदहाली, नीयत, कर्तव्य आदि भी बदलेंगे? कलमकार अजय प्रसाद जी इस साल के लिए कुछ सवाल कर रहे हैं और जवाब की उम्मीद करते हैं। सुन…

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युवा

युवाओं में अपार शक्ति होती है, वे जो चाहे आत्मबल से प्राप्त कर सकते हैं। हार का तो प्रश्न ही नहीं आना चाहिए युवाओं के मन में; कलमकार कुमार संदीप ने 'युवा' कविता में नवजवानों का मनोबल बढ़ाने का प्रयास…

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न मानों तुम खुद से हार

कलमकार विजय कनौजिया जी कहते हैं कि न मानों तुम खुद से हार। 'मन के हारे हार है और मन के जीते जीत' यह कहावत हमारा मनोबल बढ़ाने में प्रेरक सिद्ध होती है। खुद को लाचार कभी नहीं मानना चाहिए…

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शौक

लोगों के न जाने कितने शौक होते हैं, लेकिन क्या उनसे समाज कल्याण भी होता है? कलमकार डॉ कन्हैयालाल गुप्त 'शिक्षक' कुछ ऐसे शौक भी पालने को कहते हैं जिनसे किसी का भला हो जाए। आइए वह सब इस कविता…

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विद्यार्थी जीवन

हमारी नज़र में विद्यार्थी को सिर्फ एक चुनौती स्वीकार करनी होती है और वह है वार्षिक परीक्षा। किंतु ऐसा नहीं है, उन्हें इस दौरान कई बड़े-बड़े फैसले लेने होते हैं। जीवन में सफल बनने का पहला पड़ाव है छात्र बनना।…

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माँ के बिना

माँ की कमी तो कोई भी नहीं पूरी कर सकता है। हम सभी माँ के ऋणी होते हैं और यह भाव सदैव प्रकट करना चाहिए कि माँ हम आपके उपकारों का ऋण नहीं चुका पाएँगें। कलमकार राज शर्मा की कविता…

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रंग बदलती दुनिया में

कलमकार अभिषेक कुमार की रचना पढें जो आजकल के माहौल में लोगों के व्यवहार और प्रकृति को दर्शाती है। सच कहा जाए तो हमें मानवता की जाति अपनानी चाहिए, यही सबसे बड़ा धर्म है। ए ख़ुदा तू ही बता,किसे मैं…

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तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस का पूरी दुनिया पर असर

डब्ल्यू. एच. ओ. ने घोषित किया अंतरराष्ट्रीय आपातकाल; तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस का पूरी दुनिया में अलर्ट जारी आज दुनिया में एक बिमारी ने हिला कर रख दिया है वो है 'कोरोना' नामक वायरस जिससे सभी देश इसकी चिंता…

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उपवन

बाग-बगीचे हमारे पर्यावरण का हिस्सा हैं और हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं। इनकी अपनी भी एक कहानी होती है, कलमकार कन्हैयालाल गुप्त जी उपवन के बारें में चंद पंक्तियाँ लिखकर प्रस्तुत की हैं। बाग उपवन सेहत को मजा देता…

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हाँ! मैं पत्रकार हूँ

समाज में पत्रकार वर्ग की भूमिका बहुत ही अहम मानी गई है। उनके प्रयासों से देश विदेश की खबरें सत्यता के साथ हम तक पहुंचती है। ईमानदारी की कलम से सच्चाई को उजागर करने वाले सभी पत्रकारों महानुभावों को कलमकार…

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