खामोश रहूं या बोल दूं

कभी खामोशी ही जरूरी होती है और कभी-कभी न बोलना शिकायतों को जन्म देता है। यह चुन पाना कि कब बोलना है और कब खामोश रहना है, आपकी समझदारी और परिपक्वता दर्शाता है। कलमकार अनिरूद्ध तिवारी अपनी कविता में इसी…

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दोहा: तुकांत, सरल और हिन्दी उपभाषाओं में रचित छंदबद्ध पद्यकाव्य

यह बहुत ही लोकप्रिय छंद है, भारत के अनेक कवियों और संतों ने इस काव्य शैली को विकसित करने में अपना पर्याप्त योगदान दिया है। दोहा काव्य रचना हिन्दी कि अनेक उपभाषाओं जैसे- अवधी, ब्रज, मैथली, मारवाड़ी, भोजपुरी, मगही, बघेली,…

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