कुछ पाने की खातिर कुछ खोना पड़ता है

कुछ पाने की खातिर कुछ खोना पड़ता हैमुश्किल राहों से भी दो चार होना पड़ता है यूँ ही नहीं मिलती आसानी से कोई मंजिलमंजिल पाने के लिए मीलों चलना पड़ता है भाग्य भरोसे बैठने से किस्मत नहीं चमकतीहीरे को चमकाने…

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खयालात

तेरे गालों पर ये जुलफें मुझे लुभाती हैंसोचता हूँ तुझे फिर नींद नहीं आती है देख मुझको जब तू मुस्कुराने लगती हैऐसा लगता है तू मुझसे प्यार करती है तेरी कातिल अदाओं से बचना मुश्किल हैजब से देखा हूँ तुझे…

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दिन पर दिन बीत गए

दिन पर दिन बीत गए, कई खुशियों से भरे थे। कई गम के साये थे, कई सुख-दुःख के संगम।हर दिन अपनी अलग छाप बना गए, .. दिन पर दिन बीत गए। आज के दिन खड़े होकर, उन सभी दिनों को…

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साकेत हिन्द लिखित कुछ दोहे

दिखावा बहुत हो चुका, बढ़ गया ताम-झाम।।सत्य पुरुष तो हैं अब, सदा भरोसे राम।। अधम कार्य हम करते, कहें आया कलयुग।अपनी गलती मानकर, कर लो सुंदर यह युग।। चोरी गुस्सा छल अहम, ईर्ष्या गरम मिजाज।सब इंसानी फितरत है, दिल पर…

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तुम निराश मत होना

जीवन का ये मूल मंत्र है तुम सदैव खुश रहना कितने भी हों दुःख तुम्हें किसी से मत कहना होगा जो होना है तुम किस्मत से लड़ते रहना कल कल करते सरिता जैसे तुम बहते रहना घनघोर प्रलय की आभाओं…

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ग्रीष्म ऋतु

ग्रीष्म ऋतु के मौसम मेंदिन बड़े हो जाते हैंरात में लोग घर से बाहरसोने लग जाते हैंसूरज दादा भी अपनी गर्मी सेसबको परेशान करते हैंबच्चें, बूढ़े, औरत और मर्द सबव्याकुल हो जाते हैंगौरैया नहाती हैं धूलों मेंतो कही मेढक जलाशय…

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दुनिया का दस्तूर तो देखो

तम्मना भाटिया लिखती हैं- "मेरे अंदर का सर्वोत्कृष्ट अभिनेता हमेशा प्यार के विचार के साथ प्यार करता है। यहाँ इसपर मेरे तुलनात्मक विचार प्रस्तुत हैं। कहा जाता है कि, सच्चा प्यार आत्मप्रेम से शुरू होता है!" दुनिया का दस्तूर तो…

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इसका मुझे यक़ीन नहीं है

मैं कैसा बन गया हूँ, कैसे तुम्हें बताऊँतुम मेरा यक़ीन करोगे,इसका मुझे यक़ीन नहीं है। पहले तो मै ऐसा न था, तुम भी तो ऐसे न थे।पलभर में सब बदल जाएगा, इसका मुझे यक़ीन नहीं है। गल्ती की मैंने,सजा पछतावा…

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बिन प्यार सब रंग फीका है

हमने तो बस यही सीखा है, बिन प्यार सब रंग फीका है।दिल से दिल जब मिलता है, प्यार का रंग तब खिलता है।खाके झूमे सब भांग धतूरा, बिन प्यार सब रंग अधूरा।प्यार के रंग में रंग जाना है, दुश्मन को…

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प्रेम-भाव

उसके चेहरे से जैसे झलूकता था नूर, पास बैठी थी मुझसे नहीं थी वो दूर। उसके नज़रों से जब मेरी नज़रें मिलीं, दिल में मेरे मोहब्बत की कलियाँ खिलीं। सामने बैठी थी गेसुओं को सवांरती हुई, चुनर उसकी थी हवा…

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जी हाँ जनाब मैं अस्पताल जाता हूँ

जी हाँ जनाब मैं अस्पताल जाता हूँबचपन से ही इस प्रतिकिया को जीवित रखता हूँ,वहीं तो हुई थी मेरी प्रथम पैदाइशी चित्कार वहीं तो हुआ था अविरल जीवन का मेरा स्वीकारइस पवित्र स्थल का अभिनंदन करता हूँ मैंजहाँ इस्वर बनाई…

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हम कैसे शख्स हैं

बढ़ रही हैं मुश्किलें, पहचानने में हमें हम कैसे शख्स, खुद ही नहीं जानते। आरजू और तम्मानाएँ लिए बैठे थे, उन्हें हमपर था यकीं उठ गया कब खुद से यकीं, यह हम नहीं जानते। खुद से ही खफ़ा होते हैं,…

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कर्मवीर

विघ्न-बाधाओ को देखकरकर्मवीर घबराते नहींअसफलताओं को देखकरकर्मवीर कार्य छोड़ते नहींगुणगान करता इतिहास उनकाजो दुःखो से करते हैं संघर्षउनका इतिहास क्या गुणगान करेजो जीवन की युद्ध भूमि से भाग जाते हैंजीवन एक युद्ध भूमि हैजहां जितना तुम्हारा धर्म हैऔरों के लिए…

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