खयालात

खयालात

तेरे गालों पर ये जुलफें मुझे लुभाती हैं
सोचता हूँ तुझे फिर नींद नहीं आती है

देख मुझको जब तू मुस्कुराने लगती है
ऐसा लगता है तू मुझसे प्यार करती है

तेरी कातिल अदाओं से बचना मुश्किल है
जब से देखा हूँ तुझे जख्मीं मेरा दिल है

चुनर अपनी जब तू लहराकर चलती है
बन कर मेघ जैसे फिजाओं में बरसती है

तेरे बायें होंठों पर जो एक छोटा तिल है
उस पर फिदा लाखों आशिकों का दिल है

कदम तेरे जब किसी राह से गुजरते हैं
देख तुझको न जाने कितने आहें भरते हैं

तेरी हर एक अदा अप्सराओं पे भारी है
घायल हुए हैं लोग जिसको तू निहारी है

इस जहाँ मेँ तू हमें लगती सबसे प्यारी है
इसलिए मैंने अपनी जान तुझपे वारी है

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