माँ

माँ की ममता से बढ़कर, कुछ चीज नहीं है प्यारी।तूने मुझको जन्म दिया है, लगती है जग से प्यारी।। तूने कितनी पीड़ा झेली, फिर मुझको जनम दिया।पल भर भी तुमने मुझको, खुद से नहीं दूर किया।। तेरी महिमा है निराली…

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लोकप्रिय कवियों के २५ अनमोल दोहे

बिन स्वारथ कैसे सहे, कोऊ करुवे बैन।लात खाय पुचकारिये, होय दुधारू धैन॥ ~ वृंद१ » बिना स्वार्थ के कोई भी व्यक्ति कड़वे वचन नहीं सहता। कड़वा वचन सभी को अप्रिय होता है लेकिन स्वार्थी लोग उसे भी चुपचाप सुन लेते…

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संतोष ही परम सुख है

‘संतोषं परमं सुखं’ – सन्तोषी सदा सुखी संतों ने कहा है कि जो आपका है उसे कोई आपसे छीन नहीं सकता और जो आपसे दूर/छिन गया वह कभी आपका था ही नहीं। इस तथ्य को यदि हम जीवन में अपनाने…

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