मुकेश बोहरा ‘अमन’, बाड़मेर

अध्यापक, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, सांसियों का तला, बाड़मेर- राजस्थान मेरी कलम संपर्क नाम- मुकेश बोहरा ‘अमन’जन्म तिथि- 20 जुलाई 1984जन्मभूमि- बाड़मेर, राजस्थानकर्मभूमि- बाड़मेर, राजस्थानशिक्षा- अधि-स्नातक (हिन्दी), बी.एड.शौक- काव्य लेखन, गद्य लेखन, स्वतंत्र पत्रकारिता, समाज-सेवा, किताबें पढ़ना Above mentioned information…

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वन मेले में

वन मेले में, मिलकर सबने, सुन्दर द्वारे, प्रोल सजाएं। बन्दर बाजा, भालू डमरू, चित्तल ढ़म-ढ़म, ढ़ोल बजाएं। रंग-बिरंगें, परिधानों में, लदे हुए है सब गहनों में, हाथी, चीता, हिरण, बाघ ने, सुन्दर सुन्दर, रोल निभाएं। चाट-पकौड़ी वाले ठेले, खेल-खिलौने, बड़े…

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नीर अब नीर नहीं रहा रग में

नीर अब नीर नहीं रहा रग में, विषाक्तता फैल रही तीव्र रसद में मानव मन को वशिकरण नहीं बिन पानी सब सून कहे जग में। अग्रज जल देखें नद में, हमने देखा टब और नल में भावी पीढी के लिए…

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रंग बिरंगे बादल

रंग बिरंगे बादल, कहाँ जा रहे हो नीली, काली, श्वेत चादर ओढ़े किसे बहला रहे हो हाथी, पेड़, चेहरे, वाहन जैसी अनेकों आकृतियाँ बनकर हमें फुसला रहे हो ठहरने की आदत है नहीं कभी धीमी, कभी तीव्र गति से सतत…

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दोहे कैसे लिखे?

दोहा एक मात्रिक छंद है- चार चरणोंवाला प्रसिद्ध छंद। इसके दो पद होते हैं तथा प्रत्येक पद में दो चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ…

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भारत में सूफी संतों का आगमन

सूफी काव्य निर्गुण भक्ति धारा की दूसरी शाखा है। भारत में सूफी संतों का आगमन १२वीं सदी से माना जाता है। सूफीमत इस्लाम धर्म की एक उदार शाखा है । सूफी फकीरों ने हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रयास किया और दोनों संस्कृतियों…

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आत्माराम रेवाड़ रचित अनमोल दोहे

कमठ कथा सुण आतमा,भज  लीजै भगवान ।बात रति नहीं भेख में, जाचक ने कुण जान।।1।। रूप  पद  वेद  वेद  ते, अयन  अयन  रुत  तीन ।रुत  ते  जनकगुरु  भये, सदेह  विदेह  कीन।।2।। याचक बिन दाता नहीं, दीन बिना धनवान ।भले  सिष …

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बालाबोधिनी- महिलाओं को समर्पित पहली हिंदी पत्रिका

भारतेंदु जी नारी को पुरुष के बराबर मानते थे और नारी शिक्षा के समर्थक थे। उन्होने 1874 से 1877 तक ‘बालाबोधिनी’ नमक हिंदी की पहली स्त्री-पत्रिका का संपादन महिलाओं को शिक्षित-सचेत करने के उद्देश्य से किया।

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प्यार का इज़हार

हम अपने प्यार का इज़हार नहीं कर पाते, उन्हें लगता है हम किसी और को हैं चाहते।हमसे है उनका नाता काफी पुराना, फिर भी वे हमे क्यों समझ नहीं पाते। क्या करूँ, कैसे दिलाऊ उन्हें यह यकीं, हमारे दिल मे…

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अदाएं

वो तो लहरा के जुल्फें चली ही गई। दिल में सावन की घटा मेरे छाने लगी।। उसने हँस कर जब देखा मेरी तरफ। टूटे दिल में मोहब्बत फिर आने लगी।। वो हँसती थी जब भी शरमाती हुई। ऐसे लगता था…

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आत्माराम रचित ५0 दोहे (सार संग्रह)

दोहा हिंदी साहित्य की एक लोकप्रिय काव्य विधा है। आत्माराम रेवाड़ के दोहे प्रस्तुत हैं जो आपको अवश्य पसंद आएंगें। कमठ कथा सुण आतमा, भज लीजै भगवान। बात रति नहीं भेख में, जाचक ने कुण जान।। रूप पद वेद वेद…

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बहुत सुहानी लगती ये बरसात है

बहुत सुहानी लगती ये बरसात है।मिली धरा को अनुपम ये सौगात है।। दादुर मोर पपीहा बोलेबदरा गरजे छैल छबीलेभीग गये हैं पवन झकोरेइंद्रधनुष के रंग में बोरे घटा दीवानी हर पल ही मदमात है।बहुत सुहानी लगती ये बरसात है।। छंद-…

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तनहाइयाँ

तनहाइयाँ भी कट जाती हैं, यादों के आँगन मेंफिर भी जी नहीं लगता, दिल के विरानेपन में। हो गया है मेरा हमदम, मेरा ही यह अश्क़साथ देता है जो, ज़िंदगी के सूनेपन में। चाहा था बहुत, चाहते भी हैं, भूलाना…

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रागिनी स्वर्णकार (शर्मा)

कलमकार प्रोफ़ाइल: रागिनी स्वर्णकार शर्मा जन्मदिन: जन्मभूमि: कर्मभूमि: शिक्षा: शौक: Facebook: Twitter: Instagram: Mobile: +91- Email: Website: - विनोद सेन रागिनी जी के बारे में कहते है- प्रकाशित कृतियाँ: पुरस्कार और सम्मान: अन्य जानकारियाँ Note: यह जानकारी 'विनोद सेन' द्वारा…

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किसे गलत कहें?

किसे गलत कहें, किसे कहें सही,सब ही तो अपने हैं। हम हैं गलत किसी के लिएकोई है हमें सही मानताठीक उसी तरह हम किसी को हैं गलत ठहरातेजो है दूसरों का चहीता। हम रूठ जाते हैं उनसेउन्हें भी है हमसे…

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१९वीं सदी की हिन्दी पत्रिकाएँ

हिन्दी के प्रचार प्रसार में पत्र-पत्रिकाओं ने विशेष योगदान दिया है। यही वह समय था जब हिंदी पत्रकारिता फल-फूल रही थी। पत्रिकाओं के माध्यम से लेखकों ने समाज में नई चेतना का संचार किया। ब्रिटिश राज के दौरान सामान्य जन-मानस…

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कौन हैं वो

क्या हैं, कैसे हैं, कौन हैं वोयह बताएं भी हम कैसे?हम तो खुद ही बेहोश हैंउनकी एक झलक पाने के बाद। कुछ कहूँ तो क्या कहूँवो कितने हसीन हैं?ख़ुद तो हंसीं हैंउनकी हँसी और भी हसीन है। आँखें भी है…

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