जी हाँ जनाब मैं अस्पताल जाता हूँ

जी हाँ जनाब मैं अस्पताल जाता हूँ

जी हाँ जनाब मैं अस्पताल जाता हूँ
बचपन से ही इस प्रतिकिया को जीवित रखता हूँ,
वहीं तो हुई थी मेरी प्रथम पैदाइशी चित्कार
वहीं तो हुआ था अविरल जीवन का मेरा स्वीकार
इस पवित्र स्थल का अभिनंदन करता हूँ मैं
जहाँ इस्वर बनाई प्रतिमा की जाँच होती है तय
धन्य है वे,
धन्य हैं वे
जिन्हें आत्मा को जीवित रखने का सौभाग्य मिला
भाग्य शाली हैं वे जिन्हें, उन्हें सौभाग्य देने का सौभाग्य ना मिला
बनी रहे ये प्रतिक्रिया अनंत जन जात को
ना देखें ये कभी अस्वस्थता के चंडाल को
पहुँच गया आज रात्रि को लीलावती के प्रांगण में
देव समान दिव्यों के दर्शन करने के लिए मैं
विस्तार से देवी देवों से परिचय हुआ
उनकी वचन वाणी से आश्रय मिला
निकला जब चौ पहियों के वाहन में बाहर,
‘रास्ता रोको’ का ऐलान किया पत्र मंडली ने जर्जर
चाका चौंद कर देने वाले हथियार बरसाते हैं ये
मानो सीमा पार कर देने का दंड देना चाहते हैं वे
समझ आता है मुझे इनका व्यवहार;
समझ आता है मुझे, इनका व्याहार
प्रत्येक छवि वार है ये उनका व्यवसाय आधार,
बाधा ना डालूँगा उनकी नित्य क्रिया पर कभी
प्रार्थना है बस इतनी उनसे मगर, सभी
नेत्र हीन कर डालोगे तुम हमारी दिशा दृष्टि को
यदि यूँ अकिंचन चलाते रहोगे अपने अवज़ार को
हमारी रक्षा का है बस भैया, एक ही उपाय,
इस बुनी हुई प्रमस्तिष्क साया रूपी कवच के सिवाय

~ अमिताभ बच्चन
साभार: SrBachchan

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