गांधी जयंती विशेष- २ अक्टूबर २०२० को प्रेषित हुईं कविताएं

गांधी जयंती विशेष- २ अक्टूबर २०२० को प्रेषित हुईं कविताएं

बापू की आत्मा

प्रिया सिंह
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

स्वच्छ देश की कल्पना सिद्ध तभी हो पाएगी
जब स्वच्छता सड़कों पे नहीं सोच में रखी जायेगी।
अब सुधरे तो कैसे सुधरे
गंदगी तो सोच में हैं।
आज भी बापू की आत्मा
बस इसी अफ़सोस में हैं।
देश तभी बदलेगा
अगर सोच हमारी बदलेगी
भारत मेरा सवरेगा
दिल्ली मेरी चमकेगी।
अत्याचार बेखौफ था
हिंसा थी बाचाल
क्रूरता के हाथों में थी
देश की कमान
गुलामी की त्रासदी में
देश हुआ बेहाल।
सद्भभावना, सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह
के पथ पर चले निरंतर
हाथ में लाठी, बदन पर दुशाला धोती,
तन हाड़ समान।
बिना अस्त्र दिलायी आजादी
दिया देश को स्वराज्य सम्मान।
ऐसे शान्ति दूत बापू को मेरा शत् शत् बार प्रणाम॥

इन्सां जाति हुई बदनाम

देवेश द्विवेदी ‘देवेश’
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

गांधी बाबा बोलो कैसे भारत भाग्य बनाते तुम?
भाई है भाई का दुश्मन कैसे भला बचाते तुम?
आज लखन ही अपने राम का सीना छलनी करता है।
जनम-जनम का भाईचारा तड़प-तड़पकर मरता है।
बनी हुई है सबकी फितरत बगल में छूरी मुंह में राम,
कुछ इन्सानों के चलते ही इन्सां जाती हुई बदनाम।

आज एक भाई दूजे भाई के ख़ून का प्यासा है।
कैसे बदला हो पूरा बस मन में यह जिज्ञासा है।
वनवास मिला था रामचंद्र को लक्ष्मण ने था साथ दिया।
पर आज यहां भाई को भाई ने ही है बर्बाद किया।
सोच रहा भाई, भाई का कर दूं कैसे काम तमाम।
कुछ इंसानों के चलते ही इन्सां जाति हुई बदनाम।

हैं भ्रष्टाचारी सेंध लगाते भारत की दीवारों में।
अबलाओं की इज्ज़त बिकती,है मीना बाजारों में।
देश पर मिटने वालों का क्यों लहू न रंग दिखाता है।
श्रद्धा के कुछ पुष्प चढ़ाकर जब उनको बिसराता है।
क्या है फर्ज़ हमारा सोचो! क्या होगा इसका परिणाम।
कुछ इन्सानों के चलते ही इन्सां जाति हुई बदनाम।

नाम मिट रहा है दुनिया से बापू आज अहिंसा का।
फैल रहा है राज चतुर्दिक अब तो केवल हिंसा का।
धर्म-जाति पर लड़ने वाले एक दूजे को काट रहे।
लाशों का अंबार लगाकर धरती को है पाट रहे।
सड़ जाती हैं लाशें अब तो,यूं ही पड़ी कहीं गुमनाम।
कुछ इंसानों के चलते ही इन्सां जाति हुई बदनाम।

प्यारे बापू

सरिता श्रीवास्तव
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

बापू गजब की तुम्हारी शान,
खादी धोती पहने चले सिना तान,
मुख पर सदा छलके सत्य की मुस्कान,
बापू गजब की तुम्हारी शान।।

सत्य और अहिंसा दो तुम्हारे करम,
मानवता हित था तुम्हारा पहला धरम,
निजता प्रिय सादगी थी पहचान,
बापू गजब की तुम्हारी शान।।

कर सत्याग्रह आंदोलन,
भारतवासियों को दिलाया न्याय,
ना था जीवन में कोई अभिमान,
बापू गजब की तुम्हारी शान।।

स्वदेशी की संभाल कमान,
राष्ट्रपिता कहलाये बापू महान,
हम सब तुम्हारे ही तो संतान,
बापू गजब की तुम्हारी शान।।

ईमान, नेक और शांति के पुजारी,
लाठी पकड़ उच्च विचार वाले सदाचारी,
बनाया जिसने अपना भारत महान,
बापू गजब की तुम्हारी शान।।

गाँधी जी के विचार

ललिता पाण्डेय
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

विश्वास मानवता में बनाये रखना
मेरे विचार याद रखना।

सेवा कर दूसरों की
ख़ुद को खोज लो
ये वचन अपने आप से रोज लो।

सोच तुम्हारी जैसी होगी
वैसे ही बन जाओगे
नेक राह में रखो क़दम
आशीष तुम पाओगे।

घृणा करो पाप से
पापी को रहने दो
अपने दोनो हाथों से
दया का अमृत बहने दो।

करो प्रार्थना हदय से
बिना हदय से प्रार्थना
स्वीकार नहीं होती।
विना कर्म किए
जय-जय कार नहीं होती।

रखो विनम्रता का दान
आँख के बदले आँख से
विश्व अंधा हो जायेगा।

मैं गांधी ना बन पाऊंगा

प्रीति शर्मा असीम
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

सत्य के मार्ग पर… तो चलूंगा।
लेकिन भ्रष्ट सोच को,
अहिंसा से कैसे मिटाऊंगा।
मैं गांधी ना बन पाऊंगा।

क्या मैं गांधी बन
एक गाल पर चांटा खाकर,
दूसरा गाल भी,
सामने कर जाऊंगा।

नहीं मैं मजलूमों पर उठने वाला,
हाथ तोड़ कर आऊंगा।
मैं गांधी ना बन पाऊंगा।
जुल्मों के खिलाफ… क्या..?
धरना देकर मांग पत्र दे जाऊंगा।

मैं आजाद हिंद की,
क्रांति को कैसे मूक कर जाऊंगा।

मैं गांधी ना बन पाऊंगा।
कमजोर बेसहारों के लिए,
आवाज से लेकर हाथ तक उठाऊंगा।

मैं अहिंसा की कदर करता हूं।
लेकिन जो नहीं समझते,
उन्हें हिंसा से ही समझाऊंगा।

मैं देश के गद्दारों से,
अहिंसा के संग कैसे लड़ पाऊंगा।
इनको इनकी भाषा में ही,
अहिंसा का सबक सिखाऊंगा।

गाँधी जयंती

सुरभि सक्सेना
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

2 अक्टूबर है ख़ास बहुत, इस दिन गांधी जी जन्मे थे।
सत्य अहिंसा का पाठ, सदा सभी को पढ़ाते थे।
इसी दिन लाल बहादुर शास्त्री जी भी, दुनिया में आए थे।

गांधी जी का चश्मा अदभुत और निराला,
देखा जिसने भारत का भविष्य उजियाला।
गांधी जी सत्य अहिंसा परमोधर्मा कहलाते थे,
सच्चाई का मार्ग चुनो ये सबको बतलाते थे।

वह कहते थे सच्चाई की राह पर चल कर ही,
मिसाल बन सकते हो।
बिना किसी हथियार के भी,
तुम बुराई से लड़ सकते हो।

भीड़ की तरफ़ भागने की ज़रूरत नहीं
जज़्बा अगर बहुत है तुममे,
तो अकेले ही अपने दम पर कुछ कर सकते हो।
सोच बदलो! बुरा ना बोलो! बुरा ना देखो! बुरा ना सुनो!
इसी से बदलेगी तुम्हारी ज़िंदगी।

वैष्णव जन तो तेने कहिये गाकर पीढ़ा भोगी,
ईश्वर अल्लाह तेरा नाम भज कर हुआ वियोग।
सत्य अहिंसा की मूरत वह चरख़ा खादी वाला,
आज़ादी के रंग में जिसने जग को रंग डाला।

एक लाठी के दम पर तुमने अंग्रेज़ों की जड़ें हिलायी,
भारत माँ को आज़ाद कराया राखी देश की शान।
नहीं भुला सकते इस दिन को ये दिन तो है बहुत महान,
इसमें भारत का गौरव है इसमें है तिरंगे की शान।
भारत की आज़ादी में उनका विशेष योगदान,
इसीलिए तो सब करते हैं राष्ट्रपिता बापू का सम्मान।

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