भारत की महान विभूतियों के सम्मान में स्नेहा धनोदकर रचित कविताएं

१. अटल बिहारी जी

छोड़ गए वो छाप अपनी,
हर मानस पटल पर,
आज भीं कई ऐसे,
जो फ़िदा है अटल पर

युग पुरुष भारत के,
थे वो भाग्य विधाता,
पदम् विभूषण, परम् ज्ञानी,
भारत रत्न थे दाता

रहे राजनीती कें शीर्ष पर,
करवा लिया परमाणु परीक्षण,
कारगिल हो या हो विदेश,
कहीं ना झुके वो एक क्षण

ब्रजभाषा और खड़ी बोली मेँ,
करते थे काव्य रचना,
साहित्य और काव्य रस की,
रची कई प्रपंचना

मेरी इक्यावन कविताये,
रग रह हिंदु मेरे परिचय,
मृत्यु, अमर आग है,
और भीं सेक्युलर वाद है


२. अब्दुल कलाम

चर्चा हुआ उसका आम था,
वो भर का राष्ट्रपति कलाम था,
मिसाइल मेंन उसे कहा जाता हैं,
मिसालो मे नाम उसका लिया जाता हैं

सबको नयी क्रांति से उसने परिचित करवाया,
करने को हैं बहुत कुछ ये विदित करवाया
अग्नि की उड़ान बन गया वो,
दे गया लोगो को अदम्य साहस
भारत की वो बना आवाज़,
टर्निंग पाइंट का देकर साज़

जीवन की यात्राओ से,
भर गया जोश छात्रों मे,
युवाओं की बना पहचान,
वो राष्ट्रपति था महान

इंजिनियर और वैज्ञानिक बना था वो,
किया था पोखरण परीक्षण…
छोटी छोटी बातो का करता था,
हर किसी को मार्गदर्शन

जाने कितने पाए थे उसने पुरस्कार,
भारत रत्न था वो हमारा प्यार,
सभी को देता था मान,
छोड़ हमेशा गया स्वर्ग सिधार

चलते हैं आज कई,
उसके नक्शे कदमो पर,
प्रणाम तुझे हैं वीर कलाम,
नमन हमारा तुम्हारे चरणों पर


३. अमृता प्रीतम

सुंदर कुड़ी थी वो पंजाबन,
अद्धभुत प्रतिभा कि धनी थी,
प्रेम को लिखती थी वो
दर्द मेँ पलीं बड़ी थी.

प्रीतम संग बंधी
विवाह के बंधन मेँ,
साहिर के इश्क़ मेँ,
दुनियां से ठनी थी.

इमरोज़ कि चाहत
ही थी वो
जो उसकें हर लफ्ज़
मेँ बरसी थी

हर लफ्ज़ मेँ थी महोब्बत
शब्दों मेँ दर्द छलकता था,
उनकी चाहत कि खुशबू से,
हर किताब का कोना महकता था.

इश्क़ कि अधूरी दास्ताँ उनकी,
अजनबी शाम सी गुज़र गयी,
ना उन्हें साहिर मिले,
ना वो मिल पायी इमरोज़ को,
चाहते उनकी बस अल्फाज़ो सी
उनके लिखें कलमों मेँ रह गयी.


४. प्रेमचंद जी

समाया हैं उनकी कहानियो मे पूरा छंद,
कहानीकार और महान विचारक थे वो श्री प्रेमचंद

नाम था मूल उनका धनपत राय,
कहलाते थे वो नवाब राय

ना होगा अध्धयन हिंदी के विकास का,
पूरा उनके बिना,
प्रगतिशील विचारधारा, नारी साहित्य,
को उन्होंने बुना

उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख,
संस्मरण सब उन्होंने रचा,
उपन्यास सम्राट की उपाधि मिली,
सफल अनुवादक की हुयी संरचना

गोदान, गबन, सेवासदन, प्रेमाश्रम,
कर्मभूमि, नवनिधि, समरयात्रा,
सोजें वतन, सप्त सरोज, प्रेम प्रतिमा,
मानसरोवर जैसी कई की उन्होंने रचना

पंच परमेश्वर, ईदगाह और बूढ़ी काकी,
मन्त्र सी कई कहानी,
सबने पढ़ी बचपन मे,
सारी थी उनकी ज़ुबानी..

नयी परम्परा को उन्होंने जीया था जन्म,
हिंदी सिनेमा मे भीं उनके लेखन को मिला मर्म

उनके नाम का डाक टिकट भीं हुआ था कभी जारी,
कलम का सिपाही उनकी जीवनी का
चर्चा हुआ भारी..

आज भीं सब उन्हें करते हैं याद,
उनकी कहानियो का नहीं अब तक कोई अपवाद


५. लोकमान्य

बीते उनको गए सौ वर्ष,
अब भीं हैं वही उनका हर्ष..
आधुनिक भारत के थे वो निर्माता,
बसी थी रगो मे बस मानवता…

लिखा उन्होंने हमारे लिये
त्रिकोणमिति और व्याकरण,
हर कोई करता था व्यक्तित्व
का उनके अनुसरण..

अपने समय मे भीं वे,
लोकप्रिय थे शिक्षक,
हर बात का करते थे
बारीकी से निरिक्षण…

किया था उन्होंने शुरू,
हिन्दू प्लेग अस्पताल,
जनसेवा की मन से तब भीं,
ज़ब थे सब देशवासी बेहाल..

सूरत अधिवेशन मे हुआ बड़ा,
अपनों से संघर्ष,
आजादी देने के लिये,
अंग्रेजो को किया विवश..

राजद्रोह भीं सहा उन्होंने,
की ब्रिटिश वस्तुओ के
बहिष्कार की वकालत,
अमानत मे खयानत पर, हुयी
झूठी उनकी शिकायत..

लेखन मे थे प्रवीण वो,
लिखा भगवतगीता रहस्य..
केसरी और मराठा के प्रचार,
पर भीं की बहस…

इस महान राष्ट्र नायक को,
सब कहते थे लोकमान्य,
सच्चे देशभक्त थे वो,
नागरिक गणमान्य


६. गुरु

गुरु ही सिखाते जीवन का पाठ
देते हैं हमें हार ज्ञान की गांठ.

विद्या का वो हमें देते दान,
ताकि ना रहे हम अज्ञान.

काम आती सदा उनकी शिक्षा,
चाहें हो कोई भीं परीक्षा.

लेकर हमेशा हमें जाते आगे,
बुरी बातों को वो दूर भगाते.

कभी छड़ी से कभी प्यार से,
हमारा वो जीवन सुधारते.

सदा रखना उनका मान
देना उन्हें बहुत सम्मान


७. कन्हैया

उसके प्रेम का रंग ही हैं ऐसा,
जहान मेँ कोई ना उसके जैसा हाय,
देवकी ने जन्म दिया उसे,
लाल वो यशोदा मैय्या का कहलाये.

लेते ही जन्म किया बड़ा चमत्कार,
अपने ही पिता को कर वशीभूत,
लें गया गोकुल नंदराजा के यहाँ,
करवा डी उनसे नदिया भीं पार..

बचपन मेँ ही किया बड़े बड़े
राक्षसों का संहार,
हर मुश्किल से बचाया सबको,
बन गए तारणहार..

गोपियों के प्रेम मेँ जाने,
रचाई कितनी लीला,
हर कोई खींचा चला आता,
रूप ऐसा अलबेला..

राधा के संग रास रचाये,
सबका ये कन्हैया कहलाये,
प्रेम रंग जगत को सिखाये,
मुरली की धुन पर सबको नचाये.


८. जय गजानन

सबके हो तुम दुख निवारक,
प्रथम पूज्य और विघ्नहारक,

करते सबका कल्याण सदा,
दिलो पे सबके करते हो राज़,
एकदन्त, विशेषता तुम्हारी,
तुम हो महान मूषक राज़..

वक्रतुण्ड बन देते सबको,
जीवन जीने का ज्ञान,
लम्बोदर ने लिया है सबके,
कष्टों का संज्ञान..

भालचंद्र दर्शाते है,
रखो दूर दृष्टी,
विनायक ने संभाल
रखी है सारी सृष्टी,

भक्ति से तुम्हारी,
मिलती है शक्ति,
सदैव कृपा बनाये रखना
है प्रभु गणपति..

तुम्हारे सँग पधारे,
सदैव रिद्धि सिद्धि,
पूजन से तुम्हारे
बनी रहती समृद्धि..

तुमसे नहीं है,
और कोई दूजा,
करे सदैव हम
तुम्हारी पूजा.


९. शहीदो को नमन

हर किसी की चाहत अलग,
हर कोई किसी मे मरता हैं,
धन्य हैं वो वीर शहीद,
जो देश के लिये मरता हैं…

नमन उसकी शहादत को,
नमन उसे हम करते हैं,
हर उस माँ को जिसके,
बेटे देश पर मरते हैं…

छोटी सी उम्र मे हर जवान,
त्याग अपने सपने तमाम,
सैनिक बनने जाता हैं,
ना जाने क्या सोचता होगा,
क्या उसके मन मे आता हैं..

ना कोई सुख
ना कोई सुविधा,
फिर भीं सदा मुस्कुराता हैं..
देश मे कोई भीं मुसीबत,
सबको वो हराता हैं….

बेटी का जन्म हो,
या बहन की शादी,
वो घर नहीं आ पाता हैं…
चिट्ठियां लिख लिख,
बस सबको अपनी,
याद दिलाता हैं….

धन्य हैं वो परिवार,
जिसका बेटा हैं वीर,
नमन सभी को करते हम,
जो ना होते कभी अधिर..

क्या हाल उस पिता का होता हैं,
ज़ब कोई बेटा तिरंगे मे लपटा आता हैं,
फिर भीं एक वीर की भांति ही,
उसकी शहादत पर वो सीना,
गर्व से फुलाता हैं…

आँखों मे आँसू लिये,
चिता को अग्नि दे पाता है
नमन तुम्हे हैं कर्मवीर,
शहीद जो कहलाता है।


१०. किशोर जी के गीतों का अफसाना

शाम मस्तानी लेकर आये वो,
मेरे सामने वाली खिड़की मे,
जिंदगी के सफ़र मे रहने लगे,
पल पल दिल के पास..

सागर किनारे चिंगारी भड़का के कहा,
रूप तेरा मस्ताना,
पर मेरे जीवन कोरा कागज़ रह जाता,
अगर तुम ना होते..

दिलबर मेरे, दिल क्या करे,
ये प्यार दीवाना होता हैं,
ओ साथी रे, चल,
नीले नीले अंबर पर,
गाड़ी बुला रही हैं..

इंतहा हो गयी हैं,
अब कह दूँ तुम्हे,
हमें तुमसे प्यार कितना,
मै आशिक़ हूँ बहारों का,
दे दे प्यार दे…

ओ मनचली कहाँ चली
तेरा दिल क्या कहता हैं,
जानेमन, मेरे सपनो की रानी,
ना कोई दिल मे समाया,
पल भर के लिये,
हसीना ओ मेरे पास आओ..

हम बेवफा हरगिज ना होंगे,
पर दिल क्या करे,
ये जो महोब्बत हैं,
लोग कहते हैं,
ये दर्द भरा अफसाना हैं..

तेरे बिना जिन्दगी मे,
कोई आने वाला पल ना होगा,
कहती हैं ये एक चतुर नार,
इस दुनियां मे जीना हो तो,
चलते चलते मेरे गीत याद रखना..

क्योंकि हम तो महोब्बत करेगा,
कितने भीं तू कर लें सितम,
सच्चाई चुप नहीं सकती,
मेरी भीगी भीगी सी पलकों से,
मेरे मन को छू कर तू,
दिल मे आग लगाये..

कहना हैं तुमसे ये पहली बार,
तेरे जैसा यार कहाँ,
अब किसका रस्ता देखे,
कोई होता जिसको हम,
इस मोड़ से जाते हुए कहते,
मुसाफिर हूँ यारों..
चला जाता हूँ,
जय जय शिवशंकर करते हुए,
और जिन्दगी के सफऱ मे,
हमेशा गाता रहे मेरे दिल…


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20THU00210 – किशोर जी के गीतों का अफसाना

This Post Has 2 Comments

  1. Mahavir Uttranchali

    Waah! Waah!!

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