१५ उपन्यास अकादमी पुरस्‍कार से सम्मानित (१९९५-२०१५)

१५ उपन्यास अकादमी पुरस्‍कार से सम्मानित (१९९५-२०१५)

सन् १९९५ से २०२० तक १५ हिन्दी उपन्यासकारों को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। आदिग्राम उपाख्यान, हवेली सनातनपुर, मुझे चाँद चाहिये, दीवार में एक खिड़की रहती थी, कलिकथा वाया बाईपास, कितने पाकिस्तान, क्याप, इन्हीं हथियारों से, कोहरे में कैद रंग, रेहन पर रग्घू, मिलजुल मन, विनायक, पारिजात,पोस्ट बॉक्स न. २०३ नाला सोपारा नामक उपन्यास शीर्षक को इस श्रेष्ठतम पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

  • १९९६ – मुझे चाँद चाहिये
    लेखक सुरेन्द्र वर्मा ने अपने इस उपन्यास में अभिनय कला के लिए किए जाने वाले कलाकार के संघर्ष को दर्शाया गया है। सन् १९९६ में इसे साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • १९९९ – दीवार में एक खिड़की रहती थी
    लेखक विनोद कुमार शुक्ल की इस रचना को सन् १९९९ में इसे साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • २००१ – कलि-कथा: वाया बाईपास
    कलि-कथा: वाया बाइपास की लेखिका अलका सरावगी जी हैं उन्हें इस उपन्यास के लिए सन् २००१ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • २००३ – कितने पाकिस्तान
    यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। इसे विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर ने लिखा है, इसे सन् २००३ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सन् २००५ में कमलेश्वर को ‘पद्मभूषण’ से भी नवाज़ा गया है।
  • २००५ – क्याप
    क्याप उपन्यास लेखक मनोहरश्याम जोशी द्वारा लिखा है। क्याप कुमाउँनी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब होता है- कुछ अजीब-सा (अनबूझा सा)। यह उपन्यास २००६ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हुआ।
  • २००७ – इन्हीं हथियारों से
    लेखक अमरकान्त द्वारा रचित उपन्यास ‘इन्हीं हथियारों से’ सन् २००७ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हुआ।
  • २००८ – कोहरे में कैद रंग
    कोहरे में कैद रंग साहित्यकार गोविन्द मिश्र द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् २००८ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • २०११ – रेहन पर रग्घू
    ‘रेहन पर रग्घू’ काशीनाथ सिंह द्वारा रचित एक बहुचर्चित उपन्यास है जिसके लिए लेखक को सन् २०११ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • २०१२ – आदिग्राम उपाख्यान
    कथाकार कुणाल सिंह का यह पहला उपन्यास है आदिग्राम उपाख्यान; जो राजनीतिक विषय पर आधारित है। कुणाल सिंह के इस उत्कर्ष लेखन को २०१२ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • २०१३ – मिलजुल मन
    हिंदी की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक मृदुला गर्ग द्वारा रचित उपन्‍यास है – मिलजुल मन। यह एक आत्मकथात्मक उपन्यास है जिसकी कथा पिछले पचास वर्षों के घटनाक्रम को चित्रित करती है। इस उपन्यास के लिए उन्हें सन् २०१३ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • २०१४ – विनायक
    विनायक हिन्दी साहित्यकार डॉ. रमेशचंद्र शाह द्वारा रचित एक उपन्‍यास है जिसके लिये उन्हें सन् २०१४ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • २०१५ – हवेली सनातनपुर
    इन्दिरा दांगी ने अपने उपन्यास ‘हवेली सनातनपुर’ में कथा फ़ंतासी को ऐसी सर्जनात्मक अभिव्यक्ति प्रदान की है, जो अपने कथ्य और शिल्प में बहुत प्रभावशाली है। लेखिका इन्दिरा दांगी की इस कृति को २०१५ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
  • २०१६ – पारिजात
    वर्ष २०१६ का साहित्य अकादमी पुरस्कार लेखिका नासिरा शर्मा को उनके उपन्यास पारिजात के लिए प्रदान किया गया। इस उपन्यास के माध्यम से हिन्दू एवं विदेशी स्त्री की छवि भी दिखाई गई है।
  • २०१८ – पोस्ट बॉक्स न. २०३ नाला सोपारा
    वरिष्ठ कथाकार चित्रा मुद्गल ने यह उपन्यास समाज के उस खास ‘किन्नर’ तबके को आधार बनाकर लिखा है। “पोस्ट बॉक्स न. २०३ नाला सोपारा” के लिए लेखिका चित्रा मुद्गल को सन् २०१८ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

अन्य कृतियाँ व पुरस्कार

अकादमी पुरस्‍कार से सम्मानित १० हिन्दी उपन्यास [१९५५-१९९५]

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