Category: कविताएं

  • घर में रहें

    घर में रहें

    कोरोना से सतर्क रहें और सुरक्षित रहें। कलमकार अभिषेक कुमार कहते हैं कि घर पर ही रहें। कोरोना कोई छोटी बीमारी नहीं ये तो एक महामारी हैं, इससे पूरी दुनिया ही अब त्राहि-त्राहि है, आओ हम सब मिलकर करें इस पर प्रहार, लॉकडाउन, जानता कर्फ्यू जैसे नियम को करें स्वीकार, अब इससे बचने का बस…

  • आतंक को ख़त्म करें

    आतंक को ख़त्म करें

    हाल ही में एक नक्सल हमले में अनेक जवान शहीद हुए। इस घटना से सभी लोग आहत हैं और कलमकार मनीष कुमार मौर्य ने अपने मन के भाव इस कविता में जाहीर किए हैं। हम सभी चारों ओर अमन और शांति चाहतें हैं। झर-झर नीर बहे आंखों से भृकुटी चढ़ी आकाश है, कोई कविता न…

  • कोरोना से मत डर

    कोरोना से मत डर

    पूजा कुमारी साव देशवासियों से कहतीं हैं की कोरोना से मत डरिए बल्कि सावधानी बरतकर इसे निश्तेनाबूत कर दीजिए। चारों ओर है कोरोना का कहर सब कह रहे, कोरोना से ना डर आतंक सबमें छाया है यह तो, चाइना से आया है। केवल, एक देश न जुझ रहा पूरा विश्व है, भ्रमित सा क्या करे,…

  • हम तैयार हैं

    हम तैयार हैं

    कोरोना से लड़ने के लिए हम तैयार हैं, लोगों दूरियाँ बनाकर हम इससे बचेंगे। कलमकार रोहिणी दूबे की कविता में हमारी तैयारी पढ़ें। हम तैयार हैं यह समय जो चल रहा हम मनुष्यों को सावधनी बरतने का एक-दूसरे से एक मीटर की दूरियां से सहायता करने का बड़ा ही कठिन दौर है ये मगर नामुकिन…

  • कभी हकीकत कभी फसाना

    कभी हकीकत कभी फसाना

    कलमकार क्षमा दूबे भी वैश्विक महामारी कोरोना वयरास से चिंतित होकर इन पंक्तियों में सावधानी, सुरक्षा और बचाव की बातें बताईं हैं। रोते-रोते है मुस्काना, दुख है तो खुशियों का आना! निश्चित है निशान्तर प्रभा, तय है धूपान्तर में छाया!! यह विषम परिस्थिति के उपरान्त निश्चित है सबका सम होना! आया है तो जाना इसको…

  • मुझ पर निशाना

    मुझ पर निशाना

    जीवन की कुछ सच्चाइयों को अपनी पंक्तियों के माध्यम से कलमकार मनोज कुमार “मनु” ने इस कविता में प्रस्तुत की हैं। मुझ पर निशाना साधने से पहले संभल। तरकश तो तेरा भी तीरों से खाली है।। ना मैं बेवफा था ना ही तेरा गुनहगार हूँ। जो भी हुआ वो बस वक्त की बदहाली है।। ये…

  • मन की पीड़ा

    मन की पीड़ा

    कलमकार मुरली टेलर ‘मानस’ ने मन की पीड़ा को अपनी पंक्तियों में रेखांकित किया है। प्रत्येक व्यक्ति के मन में अनेक दर्द समाए होते हैं, जब वे असहनीय हो जाते हैं तो आँखों से छलक जाते हैं। कुछ जमी पर तन के टुकड़े कुछ जमी पर मन के मुखड़े कुछ जमी पर जन के दुखड़ो…

  • मिलकर कदम बढ़ाना होगा

    मिलकर कदम बढ़ाना होगा

    कोरोना वायरस से इन दिनों सभी आतंकित हैं। कलमकार प्रीति शर्मा ने हम सभी को सजग रहने और मिलकर इससे अपना बचाव करने को कहा है। मिलकर कदम बढ़ाना होगा। सृष्टि पर आए संकट से, सबको हमें बचाना होगा।। कोरोना को विध्वंस करके, जगत को, वायरस मुक्त बनाना होगा।। संपूर्ण जगत के हर मानव को,…

  • शहीदी दिवस

    शहीदी दिवस

    २३ मार्च का दिन भारतीय इतिहास में शहीदी दिवस के रूप में जाना जाता है। भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव को २४ मार्च १९३१ को फांसी दी जानी थी, लेकिन एक दिन पहले २३ मार्च को दी उन्हें फांसी दे दी गई थी। कलमकार गौरव शुक्ला’ अतुल’ की यह कविता शहीदों की श्रद्धांजलि है।…

  • कोरोना से डरो ना

    कोरोना से डरो ना

    कलमकार आनंद सिंह ने हास्य कविता के रूप में लोगों तक कोरोना की जानकारी पहुंचने की कोशिश की है। लोगो में सतर्कता की जरूरत तो है साथ ही यह भी ध्यान रखना है की डर और अफ़वाह का माहौल ना बने। कोरोना से डरो ना ये बीमारी नहीं कोई खास है थोड़ा सैनिटाइजर, एक मास्क…

  • मानवता की बात

    मानवता की बात

    कलमकार पूजा साव ने कोरोना वायरस से दृढ़ता के साथ लड़ने और सरकार के नियमों के पालन की बातें अपनी कविता में की हैं। मानवता की बात, कही प्रिय प्रधानमंत्री ने संयम, संकल्प से लड़े करोना से डटे रहेंगे और लड़ेंगे करोना से, डरो न कोई स्वच्छता रखे हर कोई। पर मानवीय मूल्य को, न…

  • कोरोना को भगाना है

    कोरोना को भगाना है

    कोरोना जैसी महामारी से हमें बहुत ही सावधानी के साथ बचाव करना है। कुमार लीशान कीर्ति कहते हैं कि आओ एक मुहिम चलाए और मिलकर कोरोना को भगाए। आओ एक मुहिम चलाए मिलकर कोरोना को भगाए इससे क्या घबड़ाना है इससे मिलकर लड़ना है हम मानव जब बल लगाएंगे कोरोना जैसी महामारी से जीत जाएंगे…

  • कोरोना को दूर भगाएँ

    कोरोना को दूर भगाएँ

    कोरोना एक रोग संक्रामक मजाक इसे बनाओ ना। तोड़ के संक्रमण की कड़ियाँ दूर इसे भगाओ ना। चीन इरान , जापान अमरिका भुगत रहा इसके परिणाम। हे भारती के मानस पुत्रों इसको यूँ झुठलाओ ना। संयम और समझदारी से मिलकर हमको लड़ना है। अफवाहों की देखादेखी भयभीत हमें नहीं होना है। स्वच्छता और सूझबूझ से…

  • नहीं सजग रहे तो बारी तुम्हारी

    नहीं सजग रहे तो बारी तुम्हारी

    कलमकार देवकरण अरविन्द लिखतें हैं कि यदि सावधानी नहीं बरतेंगे तो कोरोना से बच पाना मुश्किल है। जद में आ रहा है विश्व सारा ध्यान रखो अब ज्यादा तुम्हारा फैल रही है कोरोना महामारी नहीं सजग रहे तो बारी तुम्हारी। अब मिलना जुलना छोड़ दो तुम इस वायरस का मुख मोड़ दो तुम तुमने कर…

  • अनोखा देश है मेरा

    अनोखा देश है मेरा

    भारत देश में २२ मार्च २०२० को जनता कर्फ़्यू लगा हुआ था और सभी नागरिकों ने भरपूर सहयोग दिया। यह कोरोना वायरस से दूरी बनाए रखने के लिए उठाया गया एक कदम था। कलमकार स्नेहा कुमारी इससे गौरान्वित होकर यह पंक्तियाँ प्रस्तुत करतीं हैं। धन्य भारत भूमि है, नत् मस्तक प्रणाम है, बचपन से जवानी…

  • भारतवासी एक हुए

    भारतवासी एक हुए

    कोरोना वायरस से दूरी बनाए रखने के लिए २२ मार्च २०२० को देश में जनता कर्फ़्यू का आवाहन प्रधानमंत्री ने किया था और यह सफल भी रहा, सभी नागरिकों ने भरपूर सहयोग दिया। कलमकार विजय कनौजिया कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत कर रहें हैं जो कहतीं हैं- भारतवासी एक हुए। जीवन पद्धति बिगड़ गई सब उपचार सभी…

  • उम्मीद की किरण

    उम्मीद की किरण

    निर्भया मामले में अपराधियों को फाँसी हो गई। इस कदम को कलमकार पूजा बाल्मीकि उम्मीद की एक नई किरण मानतीं हैं, आइए उनकी यह कविता पढ़ें। आज हर लड़की के चहरे पे, सजी एक मीठी सी मुस्कान हैं निर्भया को मिला आज इंसाफ़ हैं कि जश्न ए जीत का बना माहौल हैं डरो तुम अब…

  • अब रुला दीजिए

    अब रुला दीजिए

    कलमकार विजय कनौजिया की एक कविता पढ़िए। अपने साथी से आप अपने मन की बात जताते हो और कभी-कभी मन बोल उठता है- अब रुला दीजिए। आप यादों में मुझको बसा लीजिए इतना कहना मेरा मान भी लीजिए..।। मुझको भी कुछ सहारा मिले आपका मीत अपना मुझे भी बना लीजिए..।। यूं अकेला समय मुझसे कटता…

  • कोरोना- महामारी है

    कोरोना- महामारी है

    कलमकार साक्षी सांकृत्यायन कोरोना महामारी के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए चंद पंक्तियाँ हम सब के समक्ष प्रस्तुत कीं हैं। इस धरा पर आज है आई ये कैसी लाचारी है जन-मानस का विनाश करने आई ये बीमारी है। घर के ही अंदर रहे सभी-जन यही तो जिम्मेदारी है ये बीमारी कोई और नहीं…

  • कोरोना से जंग

    कोरोना से जंग

    कोरोना से लड़ने के लिए भारतवासी तैयार हो गयें हैं और सरकारों ने कड़े कदम भी उठाएँ हैं। कलमकार अनुभव मिश्रा लिखते हैं कि इससे लड़ने के लिए हम तैयार हैं। खुशहाली से धरती पर जनजीवन चलता जा रहा था, खबर न थी मानव को ख़तरा कोई इनपर आ रहा था. शुरू हुई चाइना से मातम…