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गुनहगार नही जो सजा आज पा रहे जाने किस ग़ुनाह की कीमत चुका रहे। दूरिया तोड़ी तय करने निकले रास्ते। मौत की फिक्र नही बच्चो के वास्ते कोई नही मददगार आस बस पाव पर पहले ही जख्म लाखो फिर मार रहे खाव पर।। आँखों मे अश्क़ है जुबान पर न ला रहे सजा अमीरों की…