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रिश्ते अपने अपने गाँव लौटने के लिए लोगो द्वारा सभी सामान सहेजे जा रहे थे। सभी लोगो मे जल्दी जल्दी सामान बटोरने की ललक साफ देखी जा रही थी। एक तरफ जुम्मन मियाँ अलग बौखलाहट में चिल्लाए पड़े थे तो दूसरी तरफ सीताराम पंडित अलग ही सुर अलापे जा रहे थे कि जल्दी करो भाई,…