Tag: कलमकार- विनय कुमार

  • मैं मजदूर हूँ

    कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में आज हर कोई असुरक्षित महसूस कर रहा है। लोगों को घर में ही स्वयं को कैद होने और अपनो से दूर रहने को विवश होना पड़ा है। आज इस महामारी से अपने देश में अगर कोई वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है तो वो है मजदूर वर्ग। कारखाने-मीलें सब बंद…

  • कोरोना की मार है ऐसी

    कोरोना की मार है ऐसी

    सुनी पड़ी गई सड़के सभी, और पड़ गई सुनी गलियां। कोरोना की मार है ऐसी, घर में दुबकी सारी दुनिया। मिलना-जुलना अब होता कम ही, होती ना अपनों की गलबहियाँ। हैंड-शेक से भला नमस्ते लगता अब तो, जब भी मिलते दोस्त और सखियाँ। कोरोना की मार है ऐसी, घर में दुबकी सारी दुनिया। पढ़ाई अभी…

  • परम्पराओं की संवाहक माँ

    रीति-रिवाजों और परम्पराओं की संवाहक माँ,घर एक संस्था तो इस संस्था की संचालक माँ।ऊंच-नीच, भेदभाव रहित, सबको ही मिले और बराबर,आशा और विश्वास की केंद्र, ऐसी एक अभिभावक माँ। माँ का साथ तो रीति-रिवाज़ और परम्पराएं हैं,गर साथ नही तो सब भूली-बिसरी यादें हैं।धर्म-कर्म और रिवाजों को पीढ़ियों तक संचारित करती,परम्पराओं को जिन्दा रखने की…