Category: आलेख

  • लिखना जरूरी क्यों है?

    लिखना जरूरी क्यों है?

    एक साहित्यकार के जीवन में लिखना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।एक साहित्यकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि समाज में हो रहे अपराध, देश की व्यवस्था,आस पास का वातावरण और अन्य महत्पूर्ण बातों को अपने शब्दों में लिखें और समाज को सच से अवगत करवाएं। एक साहित्यकार के जीवन में साहित्य की जितनी महत्वपूर्ण भूमिका…

  • विवाह के निमंत्रण पत्र पर लिखे जाने वाले सुंदर दोहे

    विवाह के निमंत्रण पत्र पर लिखे जाने वाले सुंदर दोहे

    एक विघ्न हरण मंगल करण, गौरी पुत्र गणेश।प्रथम निमंत्रण आपको, ब्रह्मा विष्णु महेश।१। भेज रहे है स्नेह निमंत्रण, प्रियवर तुम्हे बुलाने को।हे मानस के राज हंस तुम, भूल ना जाने आने को।२। गंगा की आंचल से, सुर-सरिता की धार रहे।सफल रहे यह जोड़ी, जब तक ये संसार रहे।३। कोमल मन है राह कठिन है, दोनों…

  • गाँधीजी की १५०वीं जयंती पर सिरोंज पुस्तकालय को १५० किताबों की भेंट

    गाँधीजी की १५०वीं जयंती पर सिरोंज पुस्तकालय को १५० किताबों की भेंट

    अगर कुछ काम अच्छा है, तो याद रखती है नस्ले यह कहानी है गाँधी वाचनालय (पुस्तकालय) सिरोंज की पुस्तकालय वह स्थान है जहाँ विविध प्रकार के ज्ञान, सूचनाओ, स्त्रोतो, सेवाओ, आदि का संग्रह रहता है। आइये आपको एक ऐसी शख्सियत से रूबरू कराते जिन्होंने गाँधी पुस्तकालय सिरोंज गाँधी जी की जयंती के अवसर पर अनेका…

  • ममतामयी माँ- १० कविताएं

    ममतामयी माँ- १० कविताएं

    माँ अब तो आदत सी हो गई है माँ!बिन तुम्हारे रहने कीजब याद तुम्हारी आती है,तुम्हारी तस्वीरें देखा करती हूँ माँ! जब भी करवट बदलती हूँयाद तुम्हारी हीं आती है माँ!जिस हाथ को थाम तुमने,मुझे चलना सिखलाया थावह हाथ अब भी थामें रखना माँ! कभी डांट कर, कभी प्यार सेहर मुश्किलों से लड़ना तुमने हीं…

  • दोहे कैसे लिखे?

    दोहा एक मात्रिक छंद है- चार चरणोंवाला प्रसिद्ध छंद। इसके दो पद होते हैं तथा प्रत्येक पद में दो चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं। दोहे में चारों चरणों को मिलकर कुल ४८ मात्राएं होती हैं। द्वितीय तथा…

  • भारत में सूफी संतों का आगमन

    भारत में सूफी संतों का आगमन

    सूफी काव्य निर्गुण भक्ति धारा की दूसरी शाखा है। भारत में सूफी संतों का आगमन १२वीं सदी से माना जाता है। सूफीमत इस्लाम धर्म की एक उदार शाखा है । सूफी फकीरों ने हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रयास किया और दोनों संस्कृतियों में सामंजस्य  बनाए  रखा। इनके दोहों में भारतीयता की झलक देखी जा सकती है। सूफी…

  • रहीमदास शाहजादों की उपाधि ‘मिर्ज़ा ख़ान’ से नवाजे गए
  • बालाबोधिनी- महिलाओं को समर्पित पहली हिंदी पत्रिका

    बालाबोधिनी- महिलाओं को समर्पित पहली हिंदी पत्रिका

    भारतेंदु जी नारी को पुरुष के बराबर मानते थे और नारी शिक्षा के समर्थक थे। उन्होने 1874 से 1877 तक ‘बालाबोधिनी’ नमक हिंदी की पहली स्त्री-पत्रिका का संपादन महिलाओं को शिक्षित-सचेत करने के उद्देश्य से किया।

  • १९वीं सदी की हिन्दी पत्रिकाएँ

    १९वीं सदी की हिन्दी पत्रिकाएँ

    हिन्दी के प्रचार प्रसार में पत्र-पत्रिकाओं ने विशेष योगदान दिया है। यही वह समय था जब हिंदी पत्रकारिता फल-फूल रही थी। पत्रिकाओं के माध्यम से लेखकों ने समाज में नई चेतना का संचार किया। ब्रिटिश राज के दौरान सामान्य जन-मानस उनके अत्याचारों से त्रस्त तथा रूढ़िवादी परंपराओ और कुरीतियों से घिरे हुए थे। ऐसे में…

  • ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी साहित्यकार

    ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी साहित्यकार

    कृष्णा सोब्ती (२०१७) केदारनाथ सिंह (२०१३) अमरकांत (२००९) श्रीलाल शुक्ल (२००९) कुँवर नारायण (२००५) निर्मल वर्मा (१९९९) नरेश मेहता (१९९२) महादेवी वर्मा (१९८२) सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय” (१९७८) रामधारी सिंह “दिनकर” (१९७२) सुमित्रानंदन पंत (१९६८)

  • आखिर गुस्सा आ ही जाता है

    आखिर गुस्सा आ ही जाता है

    हम सभी में प्रेम, ईर्ष्या, दया, करुणा जैसे अनेकों भाव भरे पड़ें हैं, गुस्सा भी इसी श्रेणी में आता है। यह सारे भाव स्वाभाविक हैं और प्रत्येक स्त्री-पुरुष में समाहित हैं। इनपर नियंत्रण कर पाने की क्षमता सभी लोगों में एक समान नहीं होती है और इसी कारणवश गुस्से को सभी लोग बराबर काबू में…

  • बच्चों के अजीबो-गरीब सवाल

    बच्चों के अजीबो-गरीब सवाल

    यदि कलात्मक जवाब सुनने हों तो बच्चों से कुछ प्रश्न पूछिये, उनके उत्तर सुनकर आप अचंभित रह जाएंगे। ये उत्तर उन्होने कल्पना के सागर से काफी सोचकर दिया होता है। कभी-कभी बहुत ही जटिल सवालों का आसान सा उत्तर देकर हमें दंग कर देते हैं। इसी कड़ी से जुड़े हैं उनके प्रश्न भी, बच्चों के…

  • सत्य ही उत्तम मित्र है

    सत्य ही उत्तम मित्र है

    एक से भले दो- यह कहावत जीवन में उपयोगी साबित होती है जिसके अनुसार अकेले रहने से किसी मित्र के साथ रहना भला होता है। इस मित्र की तलाश आज सभी को है क्योंकि व्यक्ति जब एकाकीपन से गुजरता है तो उसे सच्चे दोस्त की जरूरत अवश्य जान पड़ती है। कहने को तो हम ढेर…

  • राम की वंदना में समर्पित ५ अनमोल दोहे

    राम की वंदना में समर्पित ५ अनमोल दोहे

    भगवन श्रीराम की भक्ति में अनेक कवियों ने काव्य रचनाओं की प्रस्तुति की है। राम महिमा का वर्णन करने के लिए कई महान ग्रन्थों की रचना हुई है। रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि गोस्वामी तुलसीदास जी हैं जिनकी रामचरितमानस हिंदी साहित्य की एक महान कृति है। लोकभाषाओं और छंदों में रामकथा को कई कवियों ने…

  • कालजयी अनमोल दोहे (18)

    कालजयी अनमोल दोहे (18)

    भारत के संतों द्वारा रचित कुछ दोहा काव्य जिनके अर्थ सभी को भली भाँति पता हैं। इन अनमोल दोहों में जो ज्ञान/शिक्षा की बातें बड़ी सरलता से बताईं गईं वह अतुलनीय है। करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।रसरी आवत जात तें, सिल पर परत निसान॥ ~ वृंददास प्रेम प्रेम सब कोऊ कहत, प्रेम न जानत…

  • रहीम, कबीर और तुलसी के नीति के १५ अनमोल दोहे

    रहीम, कबीर और तुलसी के नीति के १५ अनमोल दोहे

    तुलसीदास के अनमोल दोहे देस काल करता करम, बचन विचार बिहीन। ते सुरतरु तर दारिदी, सुरसरि तीर मलीन।१। ~ स्थान, समय, कर्ता, कर्म और वचन का विचार करते ही कर्म करना चाहिए । जो इन बातों का विचार नहीं करते, वे कल्पवृक्ष के नीचे रहने पर भी दरिद्री और देवनदी गंगाजी के किनारे बसकर भी…

  • लोकप्रिय कवियों के २५ अनमोल दोहे

    लोकप्रिय कवियों के २५ अनमोल दोहे

    बिन स्वारथ कैसे सहे, कोऊ करुवे बैन।लात खाय पुचकारिये, होय दुधारू धैन॥ ~ वृंद१ » बिना स्वार्थ के कोई भी व्यक्ति कड़वे वचन नहीं सहता। कड़वा वचन सभी को अप्रिय होता है लेकिन स्वार्थी लोग उसे भी चुपचाप सुन लेते हैं, जैसे गाय के लात/पैर की मार खाने के बाद भी इंसान उसे दूलारता और…

  • संतोष ही परम सुख है

    संतोष ही परम सुख है

    ‘संतोषं परमं सुखं’ – सन्तोषी सदा सुखी संतों ने कहा है कि जो आपका है उसे कोई आपसे छीन नहीं सकता और जो आपसे दूर/छिन गया वह कभी आपका था ही नहीं। इस तथ्य को यदि हम जीवन में अपनाने में सफल हो जाएँ तो फ़िर क्या बात हो। आधुनिकता के इस दौर में हर…

  • गुरु का महत्व – संतजनों के मतानुसार

    गुरु का महत्व – संतजनों के मतानुसार

    गुरु महिमा- गुरु ही भवसागर पार कराते हैं।हम सभी किसी न किसी उलझन में फंसे रहते हैं, हांलांकि उनसे छुटकारा पाने के लिए स्वयं ही लड़ना होता है किंतु कभी-कभी हमें सूझता ही नहीं कि कौन सा मार्ग अपनाएं। ऐसी परिस्थितियों से जो भी हमें सद्बुद्धि प्रदान कर उबार दे वह गुरु ही है। गुरु…

  • नाथ संप्रदाय- एक धार्मिक पंथ

    नाथ संप्रदाय- एक धार्मिक पंथ

    नाथपंथ के प्रेरणाश्रोत भगवान शिव हैं। हिन्दू धर्म में चार प्रमुख धार्मिक संप्रदाय हैं – वैदिक, वैष्णव, शैव, स्मार्त। शैव संप्रदाय के अंतर्गत ही ‘नाथ’ एक उपसंप्रदाय है। नाथपंथ में साधक को प्रायः योगी, सिद्ध, अवधूत व औघड़ कहा जाता है। नाथ-साधु हठयोग पर विशेष बल देते थे। शिवजी के शिष्यों ने नाथ परंपरा को…