हमारी बेटियाँ

हम किसी से कम नहीं- यह बात बेटियों को हमेशा कहनी चाहिए और पुरुष प्रधान समाज को भी बेटियों को कमतर आँकने की भूल कदापि नहीं करनी चाहिए। बेटियां हमारे लिए क्या हैं- यह बात कलमकार कुमार संदीप ने अपनी…

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तू मौन क्यों है

जो लोग निःसवार्थ भाव से दूसरों की सेवा और मदद करते हैं वे अक्सर अपने कार्यों का ढिंढोरा न पीटकर मौन रहना पसंद करते हैं। ऐसे परोपकारियों को कष्ट भी पहुंचाया जाता है, फिर भी उनके मौन रहने पर कलमकार…

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सार्थक मृत्यु

हर चीज़ के अस्तित्व की एक समय सीमा होती है। हमारी कविताओं का क्या होगा? हमारे बाद क्या वे अपना असर दिखा पाएँगी? रचयिताओं की कल्पना का आप अनुमान नहीं लगा सकते, कलमकार तान्या सिंह जी लिखती हैं कि हमारी…

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जब कोई रूठ जाता है

हम सभी चाहे जितनी बहस या ज्ञान की बातें कर लें, किंतु जीवन में रूठना और मनाना कम नहीं हो सकता है। जब कोई रूठ जाता है तो मनोदशा किस प्रकार की होती है, यह विजय कनौजिया ने अपने विचारों…

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दर्द-ए-रूह

अंतर्मन से मिलने वाले सुझाव और सवालों के जवाब सदैव उत्तम ही होते हैं। रूह/आत्मा को जब ठेस पहुंचती है तब शांति प्रदान करने वाली सलाह मन ही देता है। कलमकार खेम चन्द ने इस कविता में रूह के दर्द…

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कुछ पाकर ही लौटा हूँ मैं

सकारात्मक सोच हमारे जीवन को ऊर्जावान बनाती है। हर पहलू में अच्छाई का विचार करें तो हार और जीत दोनों ही पसंद आएगे। हर रोज हम कुछ नया ही सीखते और पाते हैं क्योंकि खोने जैसी चीज तो बनी ही…

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मन की बात

इरफ़ान आब्दी मांटवी ने इन पंक्तियों में अपने मन की बात हम सब से साझा की है। आदर, प्रोत्साहन, संघर्ष और सरलता की बातें हमारा मनोबल बढ़ाने में प्रेरक सिद्ध होती हैं। मैं अपने अश्क में खुद को भिगो रहा…

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अपने पराये

जिन लोगों के बीच हम घिरे होते हैं और जिनसे हमारी दुनिया पूरी सी लगती है उन्हे हम अपना मानते हैं, किंतु यह अपनापन सदैव कायम नहीं रहता। कई बार गलतफहमियां तो कभी विश्वासघात उन्हें पल-भर में पराया बना देते…

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तख़्ती-कलम: यादें पाठशाला की

शिक्षा ग्रहण करने हेतु हम सभी विद्यालय जाते हैं और वहाँ ज्ञान के साथ-साथ अनमोल मित्र और सुनहरी यादें हासिल करते हैं। कलमकार खेमचंद ने अपने स्कूल के दिनों की याद एक कविता में सँजोया है। आप भी पढ़ें यह…

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लिखते रहो- ज़िन्दगी की सच्चाई

जीवन में अनेकों प्रसंग घटित होते हैं जिनमें से कुछ याद रहता है और कई भूला दिए जाते हैं। कलमकार भवदीप कहते हैं कि हमें हर सुनहरे पल की यादें लिखनी चाहिए। खुद को लिखते रहो, खुद के सपने को…

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असमंजस

कभी-कभी साधारण सी बात पर भी असमंजस सी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। साकेत हिन्द की कुछ पंक्तियाँ भी असमंजस की दशा वयक्त करतीं हैं। सामने हैं इतनी राहें इसे चुनूँ या उसे दुविधा है कई मन में। विकल्पों में…

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दर्द आंसुओं का

हम अपनी व्यथा को बयान कर सकते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आंसुओं को भी कष्ट हो सकता है? कवि ऐसा सोच सकते हैं और उनसे बात भी कर सकते हैं। कलमकार खेम चन्द ने आँसुओं का…

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न दिख मज़बूर

हर इंसान किसी कारणवश मजबूर होता है किंतु वह उसका सामना खुद ही करता है। नीरज त्यागी कहते हैं की लाख मजबूरियों से गुजरो लेकिन मजबूर न दिखो। इस प्रकार की मनोबल बढ़ाती हुई पंक्तियाँ हमें लाचारी से संघर्ष का…

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हम बच्चों को प्यारा है

प्रकृति की हर एक रचना बच्चों को प्यारी होती है। जीव-जंतु, सूरज, तारे, चांद, पशु, पक्षी, फूल और पौधे सभी बच्चों को अति सुंदर लगते हैं। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए बाल कवि मुकेश अमन ने यह कविता…

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वन

हमारे पर्यावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा है- वन। पंक्षियों और जानवरों की न जाने कितनी प्रजातियाँ विलुप्त हो गईं और कई लुप्त होने के कगार पर हैं। जंगलों संरक्षण हमारा कर्तव्य है - यही संदेश कलमकार खेम चन्द अपनी कविता के…

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माँ- तुमसा कोई नहीं

माँ जैसा कोई और नहीं! सिर्फ माँ ही है जो हमें हर तरह की तकलीफ़ों से दूर रखने के लिए सबसे आगे खड़ी मिलती है। वह बिना किसी स्वार्थ के हमारा हित चाहती है। कलमकार इरफान ने माँ की ममता…

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हर पल साथ निभाते रहना

विवाह एक पवित्र बंधन होता है जिसमें न जाने कितने रिश्ते पनपते और खिलते हैं। विवाह के सालगिरह पर दम्पति को शुभकामनाएं और संदेश भेजें जाते हैं, कलमकार विजय कनौजिया ने अपना आशीष इस कविता में लिखकर प्रस्तुत किया है।…

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जिन्दगी में कुछ नेक काम कीजिए

परोपकार से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है। आपने तो सुना ही होगा - "नेकी कर दरिया में डाल" और "परहित सरिस धर्म नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई"। अमित मिश्र की स्वरचित पंक्तियों में भी परोपकार की भावना को…

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फिर वही खामोशी

अपराध का कड़ा जबाव देने के बजाय हम खामोश हो जाते हैं। यह खामोशी विभागों से लेकर व्यक्तिगत तौर पर हर जगह पसर जाती है जो अपराधियों को सीख नहीं दे पाती। कलमकार खेम चन्द ने इसी समस्या को अपनी…

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पागल लड़की

यदि प्यार से किसी को 'पागल' कह दो तो उसे जरा भी बुरा नहीं लगता है, लेकिन गुस्से से पागल कहना झगड़े का रूप ले लेता है। कलमकार भवदीप की कुछ पंक्तियाँ एक लड़की की तारीफ कर रहीं हैं जिसे…

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