मजदूर एक योद्धा

हर एक मजदूर योद्धा होता है, वे दो जून की रोटी जीतने के लिए प्रतिदिन संघर्ष करते हैं। कलमकार शुभम सिंह ने मजदूरों की संघर्षगाथा इस कविता में लिखी है और बताया है कि किस तरह उनका संघर्ष एक युद्ध…

0 Comments

ओ! मतवाले जादूगर

बाल कवि मुकेश ने अमन जादूगर से ढेर सारी इच्छाओं को संभव कराने की मनोकामना अपनी कविता में लिखी है। अब ऐसी कामनाएं तो बच्चों से लेकर बड़ों तक के मन में जागृत होती है जिन्हें पूरा करनेवाला जादूगर केवल…

0 Comments

शुभम पांडेय ‘गगन’, अयोध्या

बहुत कुछ पाना है, मंज़िल बड़ी है अभी प्रयास जारी। मेरी प्रिये है श्री कुमार विश्वास गुरुदेव जिन्हें सुनकर लिखना शुरू किया। उनके बराबर का पता नहीं लेकिन उनका अंशमात्र बनना चाहूंगा। मेरी कलम संपर्क नाम: शुभम पांडेय ‘गगन’जन्मतिथि: ११…

0 Comments

हमारा घनश्याम

नन्हे कलमकार नीरव पाण्डेय ने श्री कृष्ण की एक छोटी सी वंदना लिखी है जो आपको भी पसंद आएगी। इस कविता में एक खास बात यह है कि इसकी सभी पंक्तियों में केवल 'आ' की मात्रा का प्रयोग हुआ है…

0 Comments

परिवार

परिवार से ही परवरिश, परिवार से ही संस्कार, परिवार से ही प्रेम प्राप्त होता है। कभी-कभी परिवार के कुछ सदस्यों से दुख तकलीफ मिल जाती है किन्तु वे सभी हमें प्रिय होते हैं और जीवन में बहुत कुछ सिखाते हैं।…

0 Comments

हे कृष्ण तुम्हे अब आना होगा

आज के कलयुग में बढ़ते हुए अन्याय, अपराध और अराजकता से निपटारा पाने के लिए सचमुच ईश्वर के किसी नए अवतार की आवश्यकता है। कलमकार आनंद सिंह ने प्रभू श्री कृष्ण को याद करते हुए चंद पंक्तियाँ लिखी हैं जिसमें…

0 Comments

आत्महत्या

आत्महत्या के बारे में सोचना ही पाप है, इस अपराध को अंजाम देना जघन्य अपराध है। इस कृत्य को करनेवालों को लगता है कि वे सारी समस्याओं का समाधान करने जा रहे हैं किंतु वे अपने प्रियजनों के लिए अनेक…

0 Comments

हिमालय के वन

कलमकार खेम चन्द ने हिमालय के वनों पर इंसान की दखलंदाजी से प्रकृति में होने वाले बदलाव को अपनी कविता में लिखा है। आप भी पढें और प्रकृति के संरक्षण का संकल्प लीजिए। सुनो और गौर करना, फिर बातों पर…

0 Comments

झूठा कारोबार

यह दुनिया कितनी मतलबी है इसका एहसास आपको अपने इर्द-गिर्द के लोगों को देख परख कर लग ही गया होगा। मतलबियों की सूची में अपने निकटतम खास लोग भी आते हैं। कलमकार संजय कुमार विश्वास अपनी पंक्तियों में बता रहे…

0 Comments

लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, बस्ती

तन समर्पित, मन समर्पित,साहित्य को जीवन है अर्पित। मेरी कलम संपर्क नाम: लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तवजन्मतिथि: २ जनवरी १९७०जन्मभूमि: बस्ती, उत्तर प्रदेशकर्मभूमि: बस्ती, उत्तर प्रदेशशिक्षा: बीएससी, बीएड, एलएलबी, बीटीसीशौक: कविता, कहानी, लेख, लघुकथा, बाल कविता आदि लिखना Above mentioned information…

0 Comments

प्रश्न

शहंशाह गुप्ता "विराट" ने कुछ सवाल प्रस्तुत किए हैं। जीवन के मर्म को समझाने वाले जवाब यदि आपके पास हैं तो यह कविता पढें और अपनी राय वयक्त कीजिये। कौन सा भाव समर्पण का ह्रदय में भर लाये हो ?…

0 Comments

शाम उनके नाम- मेरी जिन्दगी

कलमकार खेम चन्द का मानना है कि जीवन का हर दिन बड़े-बुजुर्गों की सेवा में अवश्य बीतना चाहिए। हमारे माता-पिता को वृद्धावस्था में कष्ट मिले तो जीवन व्यर्थ ही समझो। परिवार में बड़े बूढ़े लोगों का सदैव आदर होना चाहिए।…

0 Comments

राजीव डोगरा

कलमकार राजीव डोगरा जन्मतिथि: ११ फरवरी १९९१ जन्मभूमि: कांगड़ा हिमाचल प्रदेश कर्मभूमि: कांगड़ा हिमाचल प्रदेश शिक्षा: MA BE.d, UGC/NET, CTET, PSTET, LT TET HP शौक: कविताएं और लेख लिखना वर्तमान में मैं भाषा अध्यापक के रूप में कार्य कर रहा…

0 Comments

गांव बेच दिया

फायदे के लिए इंसानों ने प्रकृति को बहुत नुकसान पहुंचाया है लेकिन आज वह खुद अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। कलमकार आशुतोष सिंह ने 'गांव बेच दिया' कविता में कई समस्याओं का उल्लेख किया है। प्राकृत से जुड़ा हुआ।…

0 Comments

सलाह

हितकारी और उचित सलाह जो कोई भी दे उसे मानना ही चाहिए। कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी कहते हैं नेक सलाह न मानने वालों का अंजाम अच्छा नहीं होता, उदाहरणार्थ- महाभारत में दुर्योधन का अंत। सलाह श्रीकृष्ण ने भी दुर्योधन…

0 Comments

मुझे भी तुम भुला दोगे- गुडिया

न्याय में देरी पीड़ितों और उनके प्रियजनों को कष्ट पहुंचाती हैं। हम जन-सामान्य लोग भी उनके लिए न्याय की मांग करते हैं किन्तु कुछ समय बाद भूल जाते हैं कि कोई घटना घटी थी। कलमकार खेम चन्द ने अपनी कविता…

0 Comments

बीता साल- २०१९

बीते वर्ष की कुछ उपलब्धियों और यादों को कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी ने अपनी कलम से इस कविता में उजागर करने का प्रयास किया है। साल २०१९ में हमने काफी कुछ होगा और बहुत कुछ पाया भी होगा; अब…

0 Comments

वही आकर रुलाता है

मात्र कहने के लिए हम बोल सकते हैं कि उसे भूला दिया है, किंतु किसी को भूला पाना असंभव है। गैरों को तो हम याद भी नहीं करते जबकि वे हमें कोई भी तकलीफ नहीं पहुंचाते हैं, हमें रूलाने वाले…

0 Comments

माँ की थपकी

कन्हैया लाल गुप्त माँ की थपकी याद दिला रहे हैं, इन पंक्तियों में माँ से जुड़ी अनेक स्मृतियाँ नज़र आती हैं। हालांकि माँ के गुणों और ममता का वर्णन लिखा नहीं जा सकता है फिर भी हम कलमकार एक छोटी…

0 Comments

नया साल

कलमकार चुन्नी लाल की ओर से नया साल 2020 की हार्दिक शुभकामनाएँ। लो फिर से आ गया है नया साल जिसके आने का था सभी को मलाल बहुत सी उमंगो और खुशियों से भरा रहे ये साल हो पूरे सभी…

0 Comments