रंग-ए-उल्फ़त

अच्छी है रस्म-ओ-रह रंगों की गुल की गुलाल की उमंगों की हर सम्त है बज़्म-ए-तरब जैसे गूँज हो नए तरंगों की यार अग़्यार की टोली में सदा है मुतरिब के आहंगो की घोल दे फ़ज़ा में रंग-ए-उल्फ़त ये साख है…

0 Comments

मेरा गाँव

गाँव की छटा और खूबसूरती को कलमकार मुकेश वर्मा ऋषि ने इस कविता में बखूबी दर्शाया है। लोकगीत, हरियाली, बाग-बगीचे, खेत, किसान और ग्रामीण लोगों से भरी हुई जगह एक सुंदर गाँव ही होती है। वृक्षों और लताओं से घिरा…

0 Comments

तू कृष्ण की राधारानी भी

महिला दिवस विशेष अनिरूद्ध तिवारी की कविता: तू कृष्ण की राधारानी भी तुम धरा हो, आकाश भी तू भोर का प्रकाश भी तू कोमल है तू इश्क भी तू कठोर है तू अश्क भी तू समाज भी परिवार भी तू…

0 Comments

कुछ लड़कियां

कुछ लड़कियां खेलना जानती हैचुटकुले सुन खुल्लासा हंसना जानती हैवो बिन मौसम सजना संवरना जानती हैवो लड़ना जानती है वो रोना भी जानती है।कुछ लड़कियां खेलाना जानती हैसमय समय पर बच्चों को खिलानापिलाना जानती है वो हंसना और रोनाभी जानती…

Comments Off on कुछ लड़कियां

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस- लिंगवाद विरोध दिवस

लिंगवाद विरोध का प्रतीक अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ८ मार्च को प्रत्येक वर्ष पूरे विश्व भर में महिला दिवस मनाया जाता है। वास्तव में यह दिवस महिलाओं को उनके योगदान को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है। जनसंख्या के आंकड़ों…

0 Comments

ताउम्र तुझपे लिखूं

कलमकारों अभिषेक प्रकाश लिखते हैं कि कभी-कभी मन करता है कि सारी उम्र सिर्फ उसी के बारे में लिखते रहें। आखिर क्यों न लिखें वह इतना भाता है कि दूसरा कुछ सूझता ही नहीं है। सोचता हूँ ताउम्र तुझपे लिखूं!वो…

0 Comments

कोरा-काग़ज़

हम कविताएँ तो लिखते हैं किन्तु क्या आपने कभी यह सोचा है कि जिस कागज पर लिखना है वह भी हमसे बात करेगा? कलमकार साक्षी सांकृत्यायन की यह कविता पढें जिसमें कोरा कागज़ कई सवाल पूछ रहा है। कोरा-काग़ज़ ये…

0 Comments

कभी मैं देखती थी

सुख समृद्धि जब तक हमारे आंगन में रहती है तब तक अनेक मित्र इर्द-गिर्द मंडराते रहते हैं। कलमकार अपरिचित सलमान ने प्रकृति के उदाहरण से इस तथ्य को संबोधित किया है। दुख की घड़ी में साथ देने वाले दुर्लभ हो…

0 Comments

हर युग में चीर हुआ औरत का

कलमकार साक्षी सांकृत्यायन लिखतीं हैं कि हर युग में औरतों को उनका सम्मानित स्थान नहीं मिल पाया। समाज के संस्कार में जरा सी कमी रह ही जाती है जिससे स्त्रियों के मन को पीड़ा पहुंचती है। हर युग में चीर…

0 Comments

स्याह

अंधेरा कुछ पलों के लिए ही होता है, क्योंकि वह ज्यादा देर तक टिक ही नहीं सकता है। हर रात का अंत सूरज की पहली किरण के साथ ही हो जाता है। इसी तरह जीवन में आनेवाली विपदाओं का भी…

0 Comments

नहीं मिलते दर्द साझा करने वाले

गम की कमी जीवन में नहीं है, हर एक के पास अनेकों गम होते हैं। हमारे इन गमों को बांट लेने वाले लोग नहीं मिलते हैं, हमें ही उनका समाधान खोजना पड़ता है। कलमकार राहुल प्रजापति की इस रचना में…

0 Comments

एक पत्र ईश्वर के नाम

ईश्वर में आस्था आपके भीतर की सकारात्मक ऊर्जा ही है जो आपको अकेला या हीन नहीं महसूस कराती है। कलमकार राजीव डोगरा 'विमल' की एक पाती पढ़ें जो उन्होंने ईश्वर के नाम लिखी है। मेरे प्रिय ईश्वर मैं तुम्हें जानता…

0 Comments

दिवस आया एक नया

हर दिन, हर घड़ी शुभ होती है और कोई भी पल अशुभ नहीं होता है। फाग का महीना है, सभी लोग उत्साहित हैं, आज फिर एक नया दिन आया है और कलमकार मुकेश वर्मा यह कविता प्रस्तुत की है। दिवस…

0 Comments