माँ

माँ की ममता से बढ़कर, कुछ चीज नहीं है प्यारी।तूने मुझको जन्म दिया है, लगती है जग से प्यारी।। तूने कितनी पीड़ा झेली, फिर मुझको जनम दिया।पल भर भी तुमने मुझको, खुद से नहीं दूर किया।। तेरी महिमा है निराली…

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मैं आगे क्यों नहीं बढ़ता?

ख़ुद-ब-ख़ुद रुक जाते हैं, कदम मेरे चलते चलते।मैं आगे क्यों नहीं बढ़ता, जब मंज़िल का पता मेरे पास है। सोचता हूँ कोई आए, और ले चले आगे मुझे।और किसका इंतज़ार है मुझे, जब मेरा हमसफर मेरे पास है। मंज़िल है…

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जीना एक कला है

जिंदगी एक खेल है जीना एक कला है अच्छे से जिओ मुश्किल से जीवन मिला है न किसी से कुछ गिला न शिकवा करो दो दिन की है जिंदगी हँस कर मिला करो जिंदगी में खुशी और गम तो मिला…

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पिता- एक बादल है

पिता एक वो बादल है अमृत भरा वो गागर है तड़क भड़क कर जो जीवन में मेरे बरस गया मुझको प्रफुल्लित कर खुद पानी को तरस गया निज खुशियाँ त्यागी पर हमको खुशियाँ दे गया कितनी भी लाचारी थी पर…

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खामोश रहूं या बोल दूं

कभी खामोशी ही जरूरी होती है और कभी-कभी न बोलना शिकायतों को जन्म देता है। यह चुन पाना कि कब बोलना है और कब खामोश रहना है, आपकी समझदारी और परिपक्वता दर्शाता है। कलमकार अनिरूद्ध तिवारी अपनी कविता में इसी…

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चुन्नी लाल ठाकुर, कुल्लू

साधारण व्यक्ति, जीओ और जीने दो में विश्वास रखता हूँ। मेरी कलम संपर्क नाम: चुन्नी लाल ठाकुरजन्मतिथि: २३ जनवरी १९९१जन्मभूमि: कुल्लू, हिमाचल प्रदेशकर्मभूमि: कुल्लू, हिमाचल प्रदेशशिक्षा: कला स्नातक, स्नातकोत्तर 'अंग्रेजी साहित्य'शौक: गाने सुनना,  नई जगह घूमना, कविताए पढ़ना Above mentioned…

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अभिलाषा

जिंदगी में कभी कुछ ऐसा काम कर जाऊँ कुछ पल अपना किसी के नाम कर जाऊँ दुंधियारी नजरों से तकते जो चल रहा है उसके मुश्किल राहों में प्रकाश कर जाऊँ टूटी उम्मीदों के संग जो निराश हो बैठा है…

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वक्त का पहिया

वक़्त हमेशा एक जैसा नहीं होता है, कभी दुख तो कभी सुख से मिलाप होते रहता है। हमें स्वयं की समृद्धि और उन्नति पर गर्व नहीं करना चाहिए क्योकिन यह समयचक्र कब पलट जाए कहा नहीं जा सकता है। अमित…

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देखो दिवाली आयी है

देखो दिवाली आयी है मन में मस्ती छाई है दीपक की किरणों से चहुँ ओर रोशनी छाई है अंधकार को भगाना उम्मींद का दीप जलाना है एक दीपक की लौ से हृदय में रोशनी लाना है पर्व मधुर मिलन का…

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