नववर्ष २०२१ के लिए नियमित कलमकारों की कविताएं

नववर्ष २०२१ के लिए नियमित कलमकारों की कविताएं

१. नया साल सबको मुबारक रहे ~ डॉ आनन्द किशोर

ये नया साल सबको मुबारक रहे
हर ख़ुशी ज़िन्दगी में बिना शक़ रहे

और मुक़म्मल मिले दिल को चैनो-सुकूँ
जल्दबाज़ी न कोई भी धकधक रहे

सब गले मिल के आपस में बातें करें
दूर शिकवे-गिले हों जो अब तक रहे

नफ़रतों की जगह दिल में बाक़ी न हो
प्यार सबसे करें सबको ये हक़ रहे

तीरगी का नहीं कोई घर हो यहाँ
आदमी की पहुँच रोशनी तक रहे

साल इक्कीसवाँ है ये ‘आनन्द’ अब
ये जवानी तेरी बन के चकमक रहे


२. नववर्ष का आगाज़ ~ गीता बिष्ट

बीता हर वर्ष
दे गया यादें खट्टी मीठी
कुछ दिल को भा गया
कुछ दिल को रुला गया।

बीते वर्ष ने दी खुशियों की सौगात भी
और दिऐ ग़मों की बरसात भी
पर नूतन वर्ष का आगाज़ ऐसा हो
हर सू खुशियों का बसेरा हो।

नववर्ष ऐसा आऐ
सबके मन को भाऐ
सबकी दुनियां खुशियों से जगमगाऐ
सबके सपने सच हो जाऐं।

बीते दिनों की कड़वाहट सब भूल कर
गले लगाऐं सब गिले शिकवे भूल कर
सबको अपनों का प्यार मिले
हर ओर बस प्यार ही प्यार हो।

नये दिन के साथ ही
नये जीवन की ये शुरूआत हो
नये संकल्प नयी आशाऐं हों
दुआ ये दिल से है मेरे
ये नया वर्ष सबके लिऐ कुछ खास हो।।


३. नया साल है, अरमान हजारों होंगे ~ डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

फ़ज़ाएँ भी वो ही होँगी
सितारे भी वो ही होंगे,
नज़ारे भी वो ही होंगे
इशारे भी वो ही होंगे,
सब कुछ वो ही होगा
कुछ बदलेगा ही नहीं,
नए साल की आमद
है, इरादे तो वो ही होंगे,
साल बदलने वाला है
तुम भी तो ज़रा बदलो,
अहबाब भी वो ही और
महीने भी रहेंगें वो ही, 
मुफ़लिसी का भी वो ही
मंज़र होगा, कुछ नया नहीं,
अंदाज़ भी पुराना और
हाकिम भी  वो पुराने होंगे,
नए साल में  मुस्कुरायेंगे,
उम्मीदें भी कुछ नई होंगी।
जागा सुबह वो ही तन्हाई
औऱ ज़ख़्म  वो ही पुराने होंगे,
आज़माइशों की गोद में फिर 
खुली आँखे शोर कैसा था,
साल नया होगा उम्मीदें भी
आरज़ूएँ भी नई नई होंगीं,
अहले सुबह जब में जागूँगा
खैरो ख़बर सिर्फ लिफ़ाफ़े होंगे,
साल दर साल गुज़रते हैं गुज़र
ही जाएंगे याद मगर आएगी,
दिलमें वो ही अरमान बसे होंगे
औऱ तुझसे मिलने के बहाने होंगे,
तमन्नाएं सर उठाने लगी मुश्ताक़
नया साल है, अरमान हजारों होंगे


४. स्वागत नव वर्ष का ~ मनोज बाथरे चीचली

आओ करें हम
स्वागत
नव वर्ष का
जिसमें हो
नई आशाएं
नये विश्वास
जिससे खिले
फिर हमारे जीवन में
खुशियों के
रंग बिरंगे फूल
और
उनकी अद्भुत
खुशबूओं से महक जाए
ये सारा जहान
ऐसी ही
आशा और विश्वास
के साथ नव वर्ष
स्वागत है आपका 


५. नए वर्ष की नई उमंग ~ डॉली सिंह

बीत गया वह वर्ष पुराना,
खट्टी मीठी यादों के संग।
नव आशाएं,नव आकांक्षाएं,
नए वर्ष की नई उमंग।

उम्मीदों का सूरज आए,
हर मन को आलोकित करने।
सहमें से इस जीवन में,
आशा की किरणों को भरने।

जीवन फिर से मुस्कुराए,
हर घर के हर आंगन का।
स्वागत करते हैं हम सब,
नव वर्ष आगमन का।


६. नव-वर्ष अभिनंदन ~ रंजन कुमार

देखो नव-वर्ष अभिनंदन
माथे तीलक और चंदन
धरती की हरियाली में,
हर ओर हो फूलों का ही बंधन
एकता और भाईचारे का,
नव-वर्ष में हो निबंधन
टूटे सपने जुटे,
ऐसी बने गठजोड़ गठबंधन
देखो नव-वर्ष अभिनंदन
माथे तीलक और चंदन
मंजील सबका इंतजार करें,
हाथ-जोड़ चरण-वंदन
प्रेम-पचासा दिल मे लिए,
ईर्ष्या-द्वेष का हो मन मे खंडन
अतीत का अंत हो जाए,
वर्तमान में सुप्रभात का हो सामंजन
देखो नव-वर्ष अभिनंदन
माथे तीलक और चंदन


७. नववर्ष मंगलमय हो ~ पीताम्बर कुमार प्रीतम

सन्ताप को त्याग
हर मन हर्षित हो
नव किरणों की तेज से
चहुँओर तम का क्षय हो
नववर्ष मंगलमय हो।

दूर सबके दर्द हों
चेहरों पर मुस्कान बिखरे
जीवन की पगडंडी पर
हौसलों की सुर-लय हो
नववर्ष मंगलमय हो।

सुख-दुःख का साथ है सदैव
धैर्यवान ये मन रहे
समय का महत्व हर कोई समझे
न एक क्षण जीवन का व्यय हो
नववर्ष मंगलमय हो।


८. नव वर्ष नव कल्पना ~ वन्दना सिंह

नव वर्ष नव कल्पना यह मधुमास सा रहे
खिलते हों नये फूल उस अहसास सा रहे

उजड़े हुए चमन में बहार आती हो जैसे
नव कोपलों के मधुभरी मुस्कान सा रहे।
दमकती हो रही पत्तियां ओसो को लिए ज्यों
तृप्ति को लिए उस मधुर आभास सा रहे।

रंग फूलों में बसती हो बहारों के लिए ज्यों
उस फूलों की रंगीन ठंड मिजाज सा रहे।
नव वर्ष नव कल्पना यह मधुमास सा रहे
खिलते हों नये फूल उस अहसास सा रहे।

चिड़ियों के चहकने से भोर होती हो जैसे
गुच्छों से झांकें सुबह उस प्रभात सा रहे।
अलबेले से होते हैं पहाड़ों की सुबह ज्यों
उस मखमली आगाज की प्रभास सा रहे।

घनघोर बियाबाने से जब झांकें एक किरण
आशा की चमक विश्वास की आकाश सा रहे।
नव वर्ष नव कल्पना यह मधुमास सा रहे
खिलते हैं फूल जैसे उस अहसास सा रहे।


९. शुभकामनाएं 2021 ~ चुन्नी लाल ठाकुर

नया साल हो सबको शुभ और मंगलमय,
चलती रहे सभी के जीवन की मधुर लय।
जिनके काम रुके हो, उनके काम बने,
जिनके काम बने हो, उनके नाम बने।
जो हारे हो,उनको जीत मिले,
जो एकाकी हो,उनको मीत मिले।
खाली फूलों की,बगिया में,
रंग-बिरंगे फूल खिलें।
सुने आंगन में किलकारी हो,
खत्म कोरोना की यह माहमारी हो।
विद्यार्थियों के स्कूल जारी हो,
फिर से शुरू पहले सी वह यारी हो।
बुजुर्गों को अच्छा स्वास्थ्य मिले,
जो खाली रहता हो वह व्यस्त मिले,
जीवन मे अंधेरे के बादल अस्त मिले।
ठाकुर की कलम यही दुआ करे,
नया साल सभी को मस्त मिले।


१०. नया साल यूँ उतारा जाए ~ सुजीत संगम

नए साल को जीवन में कुछ यूँ उतारा जाए,
फुटपाथ सोते बच्चे उसे दुलारा जाए।
जो प्यार की थपकी पाने को अरसे से तरस रहे हैं,
घर से बेघर उन बच्चों का जीवन संवारा जाए।।

मुट्ठी भर खाने को जो चौराहों पर फिरते हैं,
अपनी भूख मिटाने को गिरते और बजड़ते हैं।
उनकी भोली सूरत को एकबार निहारा जाए,
घर से बेघर उन बच्चों का जीवन संवारा जाए।।

वो दूर खड़ा चौराहे पर जो एक आस लिए बैठा है,
पेट में भूख और आँखों में एक तलाश लिए बैठा।
उनके मन के आँगन में भी एक प्रकाश बिखेरा जाए,
घर से बेघर उन बच्चों का जीवन संवारा जाए।।

हार ना जाए ये हीरा जो खुद से रोज लड़ा करता है,
एक रोटी के बदले जो सौ दुत्कार सुना करता है।
उन नौनिहालों को भी एक बार पुकारा जाए,
घर से बेघर उन बच्चों का जीवन संवारा जाए।।


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