करवाचौथ

करवाचौथ

पुरुष शायद ही किसी व्रत का पालन करतें हों लेकिन भारतीय महिलाएं अनेकों व्रत का पालन करतीं हैं, वह भी पति और बच्चों की कुशलता के लिए; अपने लिए नहीं। कलमकार खेम चन्द ने करवा-चौथ व्रत पर चंद पंक्तियाँ लिखी हैं जिसमें स्त्रियों के मनोभाव को दर्शाया है।

पति-पत्नी के अटूट प्रेम का प्रतीक है करवाचौथ
न हार चाहिए न श्रृंगार चाहिए
मुझे मेरे हमसफर उम्रभर तेरा प्यार चाहिए।
एक विश्वास चाहिए एक लिबास चाहिए
दुख सुख में समझे वेदना, तुम ही मुझे पास चाहिए।
कड़वाहट न घोलना रिश्ते में, मुझे मिश्री सी मिठास चाहिए।
न महल चाहिये न ताज चाहिए
साजन मुझे ताउम्र प्रेम वही आज चाहिए।
न झुठा दिखावा वो समाज चाहिए
घटे न प्रेम तुम्हारा हरपल नया अगाज चाहिए।
न चांद मांगू न मांगू सितारे
बस न भूलना कभी घर पर कोई है इंतजार में तुम्हारे।
न दरिया लाना न लाना किनारा
जब भी लाना तो वो हो प्यार तुम्हारा।
इक आस है इक खास है
बुझे न जो सागर से उम्र भर चेहरा पास है।
कभी रूठे तो पुछ लेना क्यों तुम उदास है,
है शरीर ए माटी साजन! सांसें हमारी हर जन्म तुम्हारे पास है।
कोई सीमा पर कोई घर पर लम्बी उम्र के तकाजे हैं,
साजन तुम थोडा सा मुस्कुरा लेना खुदा ने हम नवाज़े हैं।
राह ताक रही है साजन अश्क-ए-सूरत तुम्हारी
जख्म इंतजार के ताजे है।

~ खेम चन्द

हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
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