मिलती है अजनबी की तरह!

मिलती है अजनबी की तरह!

कलमकार राजन गुप्ता ‘जिगर’ ने मुलाकात, प्यार और जुदाई से जुड़ी कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत की हैं, आप भी पढें।

कर रहा हूँ मैं प्यार उससे ज़िन्दगी की तरह,
अब तो वो भी मिलती है अजनबी की तरह!

दूरियां बढ़ गयी उससे काली स्याह रात सी,
अब तो दूर चमकती है मेरी चाँदनी की तरह!

मैं ढूँढता हूँ उसको दर-बदर हिरन के जैसे,
वो महक रही मेरे अंदर ज़ाफ़रान की तरह!

दुनिया का सितम हो न सके एकदूजे के हम,
देता रहूंगा इश्क़ की गर्मी आफ़ताब की तरह!

बिछड़ कर भी मिलूँगा आना तुम मय्यत पर,
गले लगाऊंगा तुझे पहली मुलाकात की तरह!

~ राजन गुप्ता “ज़िगर”

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