मेरा रूख़स्त हो जाना [अर्थी]

मेरा रूख़स्त हो जाना [अर्थी]

यह दुनिया तो कुछ दिनों का बसेरा है, और अंततः सभी को प्रस्थान करना ही है। कलमकार खेम चन्द अंत समय की परिकल्पना करते हुए कुछ पंक्तियाँ लिखते हुए उस माहौल का वर्णन करते हैं।

निकलेगा जनाज़ा मेरा जब रुकेगी सांसें मेरी
होगी सुसज्जित रंग बिरंगे पुष्पों से डोली मेरी ॥
लेंगे मेरे चाहने वाले दो पल उस अर्थी की फेरी ॥
देना तुम भी उस वक्त कन्धा मुझे
ताकि मेरे मरने के बाद भी प्रेम हमारा न बुझे ॥
कौन जाने कब क्या सम्मा होगा ?
किस दिशा में है जाना मुझे कैसा वो नजरों पर नजारा होगा
बस ! है मुझे विश्वास मुझे तेरे कन्धों का सहारा होगा ॥
कोई रोयेगा ! तो कोई शायद हंसेगा
मरने के बाद कौन मेरे दिल में बसेगा ॥
होगी तुम्हें भी कभी कमी मेरी महसूस
पर न बनाना तुम प्रियतम अपने मन को कंजूस ॥
कुछ वादे रहेंगे मेरे कुछ इरादे रहेंगे
अर्थी में वो कपड़े सादे रहेंगे ॥
होगा मन “नादान कलम” का भी उदास
क्योंकि कुछ नहीं होगा उस वक्त मेरे पास ॥
जब याद आए तो तुम मुझे याद कर करना
मेरी अंतिम यादा में थोडा़ सा अपना समय बर्बाद करना ॥
जमाने से तुम नहीं डरना मेरे यार
मेरी अर्थी को तुम खुद ही करना तैयार ॥
कफ़न में मेरे कलम और कागज़ डालना
ताकि तुम्हें लिखूं मैं तुम्हें एक संदेश
कि !कैसा है मेरा वो नया देश ॥
सजेगी जब अर्थी तुम डालना उसमें मिठास बर्फी ॥
ताकि मैं रहूँ दूसरे लोक में भी कूल
मुझे मिले वहां पर नया स्कूल ॥
जिन्दगी में तुम्हारी वो काली रात होगी
मेरे संग तो चांद तारों की बारात होगी ॥
मेरे जाने के बाद तेरी क्या हालत होगी ॥
अर्थी उठाने से तुम मत करना इनकार
मुझे कंधा देने के लिये तुम हरदम रहना तैयार ॥
तुम्हें कुछ न कहे ये संसार
ताकि चमकता रहे मेरे अंतिम लिवास का वो अनमोल हार श्रृंगार ॥
मैं तो मरने के बाद भी तुमसे करता रहूँगा प्यार ॥
अर्थी को तुम हाथ देना मेरी खुशी के लिये तुम उस पल साथ देना ॥
तुम अर्थी के पास कर लेना अपना अंतिम इज़हार
कुछ पल थोडा़ सा और कर लेना इन्तज़ार ॥
अर्थी देगी तुम्हें मेरा समाचार ॥
जाने के बाद कौन यहाँ अपना होगा
किस लोक में है गया यह तो एक सपना होगा ॥
मेरे जनाज़े में सब होगें शरीर
पर सभी नहीं होंगे मेरी तरह शरीफ ॥
अपनों की कमी खलेगी अर्थी तो मेरे संग ही आग में जलेगी ॥
अर्थी के साथ ही भस्म हो जायेगा मेरा शरीर
अंतिम में उस पर डालना शीतल तुम नीर ॥
मैं अपनी मौत को यादों में सजाऊंगा
दूर रहकर भी तुमका बन्द आंखों में नजर आऊंगा ॥
अर्थी के साथ मुझे भूलाना आसान न होगा
माना कि “खेम चन्द” तू महान न होगा ॥
रोयेगी जग आँखें भी उस पल तेरी
जब उठेगी दुनिया से अर्थी वो सुसज्जित डोली मेरी ॥

~ खेम चन्द

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