राहत इंदौरी को कलमकारों का सलाम

राहत इंदौरी को कलमकारों का सलाम

सुप्रसिद्ध शायर और गीतकार राहत इंदौरी अब हमारे बीच नहीं हैं। उनका मंगलवार ११ अगस्त २०२० को दिल का दौरा पड़ने से इंदौर में निधन हो गया। उनकी शायरी का अंदाज सभी को बहुत भाता था और हिन्दी एवं उर्दू पाठक/श्रोता उन्हें काफी पसंद करते थे। हिन्दी कलमकारों ने भी कुछ पंक्तियाँ लिख उन्हे याद करते हुए श्रद्धांजली दी है।

राहत फिर रुलाकर चला गया

नीकेश यादव
कलमकार @ हिन्दी बोल India

ग़ज़ल का एक परवाना चला गया ।
क्या हस्ती होती है शायर की ये बताकर चला गया।।
जिसे सुनना ना चाहता कोई उन्हें सुनकर चला गया।
मीठी ग़ज़लों की यादे छोड़कर चला गया ।।

कुछ तो शक्सियत थी जनाब की ।
भरी महफिल में रुला कर चला गया।।
क्या। गजब की अदाकारी है ग़ज़ल ।
ये बताकर चला गया।

राहत की ग़ज़लों से राहत किसे ना थी ।
लोगो को राहत का रास्ता बताकर चला गया ।।
बेशक चला गया वो इस जहां को छोड़कर ।
जिंदा किसे कहते है ये सबको बता गया ।।

ग़ज़ल का एक परवाना चला गया।
क्या हस्ती होती है एक शायर की ये बताकर चला गया ।।
राहत तेरी शक्सियत ऐसी निकली ।
आज फिर एक मिर्जा गालिब याद आ गया।।

मां हिंदी संग मौसी उर्दू रो पड़ी

ऋषभ तोमर
कलमकार @ हिन्दी बोल India

जख्मी दिल को भी राहत जी राहत देखकर खिला गये
विरही की पीड़ा गाकर वो गम के बादल को सुला गये
आज भले वो विदा हुये पर यादें उनकी ये अमर रहेंगी
गज़लों के दीपक इंदौरी सबके ही दिलों में है जला गये

नोहा दिल को राहत देके, जब राहत ही चले गये
नाम कोरोना का ले आई, मृत्यू के हाथों छले गये
मैं मौन और स्तब्ध आज हूँ, उनसे भेंट कहाँ होगी
गजलों की शमां इंदौरी, खुद गजलों में ढले गये

न कोई खत न कोई खबर दे गए
गजलों की प्यारी सी लहर दे गए
हर महफ़िल में याद किये जायेंगे
राहत यादों की झोली भर दे गए

रेख्ता के मंच की थे राहत इंदौरी मणी
गजल सजल की इक़ शख्सियत बड़ी
आज विदा हुई तो सबकी आंखे नम है
माँ हिंदी के संग मौसी उर्दू भी रो पड़ी

आपकी शायरी से थी मुझको चाहत
सुकूँ मिला जब भी मन हुआ आहत
मैं मौन हूँ, स्तब्ध हूँ, तुम बिना आज
मौन शब्द कहते है मेरे राहत! राहत!

अलविदा राहत साहब

अपराजिता आनंद
कलमकार @ हिन्दी बोल India

कहने को तो आप थे कामिल
किया जो खुद में हमें शामिल
क्या ये सफर यहीं तक का था?
एक दफा आपने ही तो कहा था
बुलाती है मगर जाने का नहीं
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं
बस उसने जो दी एक आवाज़
आपने कहां सुनी कोई फ़रियाद
माना दो गज के जमींदार बन गए
वक़्त तो था अभी फिर क्यूं चले गए
अब कहां मिलेगी राहत आपकी शायरी से
पर न मिटेगा ये नाम मुशायरों की मजलिस से

चमकता सितारा कहीं खो गया

सरिता श्रीवास्तव
कलमकार @ हिन्दी बोल India

दिलों को जीता जिसने
आज उसे ही जिंदगी ने हरा दिया,
फिर एक बार आसमान में
चमकता सितारा हमने कहीं खो दिया।।

हर एक जीवन के पहलुओं पर किया जिसने चिंतन,
सदा निकले मुख से जिनके अनवरित शब्दों का मंथन।
एक प्रेरणा बन जो सबके दिलों पर छाये,
ना जाने किधर समा गए वो बिन बताये।।

शेरो-शायरी जिनकी निकलती थी हम सभी के जुबा पर,
आज वो लब ही थम गए
हो अगर मुखातिर रब से तो यही आरजू होगी,
फिर से लौटा दो वो चमकता सितारा
इस जहान में तुम्हारी इबादत होगी।।

This Post Has One Comment

  1. Vikash Rajak

    यादों के गलियारों तक के सफर का एहसास। सुंदर और भावनाओं से फलीभूत यह रचना संक्षिप्त में सभी पक्षों को बयां करती है।

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