खामोशी

खामोशी

बहुत सारे सवालों का जवाब खामोशी होती है जिसे लोग पसंद नहीं करते। रज़ा इलाही भी खामोशी का जिक्र करते हैं जो प्यार और जुदाई से नाता रखती है।

न किसी से मेरा हिसाब है
न कोई अब मेरा ख़्वाब है

बिछड़ते वक़्त तो सवाल था
ख़ामोशी अब मेरा जवाब है

गुम हूँ उसी के गुमाँ मैं
जो मेरा क़दह-ए-शराब है

रहता हूँ जिस सफर में
वह मेरा गश्त-ए-कोहसार है

वो भूल गये कोई गुनाह नहीं
मुझे याद, यह मेरा सवाब है

इस पेच-ओ-ताब-ए-शौक़ में
दीवाना जो अब मेरा ख़िताब है

~ रज़ा इलाही

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bichhadte = parting; gumaan = doubt, distrust; qadah-e-sharab = goblet of wine; safar = journey; gasht-e-kohsaar = moving around mountains; gunaah = sin; savaab = reward of good deeds; pech-o-taab-e-shauq = twists and turn of love; khitaab = title
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