इसीलिए कविता लिखता हूँ

इसीलिए कविता लिखता हूँ

कविता लिखने की वजह चाहिए तो विजय कनौजिया की इन पंक्तियों को पढें। आपको भी अनेक कारण मिल जाएँगे जो लिखने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। आप भी अपने विचार और भावों को शब्दों में जताकर एक सुंदर कविता के रचयिता बन सकतें हैं।

मैं तो बस यूं ही लिखता हूँ
भावों की लड़ियाँ बुनता हूँ।
खुद से खुद को पहचानूँ मैं
इसीलिए कविता लिखता हूँ।

जीवन की हर उलझन को मैं
सुलझाने की कोशिश में।
हर पल खुद को समझाता हूँ
इसीलिए बहका रहता हूँ।

दिया उन्होंने आँसू मुझको
जिनको मैंने चाहा था।
यही सोच पीड़ा होती है
इसीलिए रोता रहता हूँ।

रिश्ते नाते बदल गए वो
जो सबसे उपजाऊ थे।
अपनों का खलिहान नहीं अब
इसीलिए तन्हा रहता हूँ।

जिन्हें किया सर्वस्व समर्पित
वो ही अब कतराते हैं।
अपनों से ये ज़ख्म मिला है
इसीलिए सहता रहता हूँ।

~ विजय कनौजिया

हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।https://www.facebook.com/hindibolindia/posts/443854923188352

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