बड़ा है खिलाड़ी, खिलाता है तू

बड़ा है खिलाड़ी, खिलाता है तू

ईश्वर ही सबसे बड़ा खिलाड़ी होता है। रागिनी शर्मा ने इस कविता में उनके बारे में लिखा- “बड़ा है खिलाड़ी, खिलाता है तू”

बड़ा है खिलाड़ी, खिलाता है तू

 

अदाओं से अपनी रिझाता है तू

नमी पत्थरों में जगाता है तू

 

बनाता मिटाता जहां को भी तू

बड़ा है खिलाड़ी खिलाता है तू

 

कभी हार दे तो कभी जीत दे

नया सा सबक़ ही सिखाता है तू

 

सुलाता भी तू है, जगाता भी तू

कभी चाँद सा झिलमिलाता है तू

 

कभी जो इबादत करे, रागिनी

फ़लक पे खड़ा मुस्कुराता है तू

 

~ रागिनी स्वर्णकार

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