ऋतुराज बसंत का आगमन

ऋतुराज बसंत का आगमन

दिनेश सिंह सेंगर
कलमकार @ हिन्दी बोल India
21MON01315

ऋतु ये वसंत आई

ऋतु ये वसंत आई फूलों की बहार लाई
मन में सुमन खिल रहे हैं दिन रात में
यौवन पे ये निखार करके सौलह श्रृंगार
इठलाती जा रही हो बात बिना बात में।

जुल्फें ये झूम झूम गालों को रही है चूम
त्रबिध समीर बहे रात में प्रभात में
प्रिये की कसम तोड़ फूलों की ये सेज छोड़
जाओ न अकेला छोड़ प्यार भरी रात में।।

ऋतुराज बसंत

सुनील कुमार
कलमकार @ हिन्दी बोल India
SWARACHIT2460A

ऋतुराज बसंत जब आते हैं
सुखद एहसास दिलाते हैं
नव पल्लवों से वृक्ष ढक जाते हैं
ऋतुराज बसंत जब आते हैं।
मां शारदे का पूजन कर
लोग सौभाग्य सुख पाते हैं
ऋतुराज बसंत जब आते है।
आम्र वृक्ष मंजरियों से ढक जाते हैं
सरसों के सुंदर पीले फूल
मन को हर्षाते हैं
ऋतुराज बसंत जब आते हैं।
तन-मन में उमंग भर जाते हैं
ऋतुराज बसंत जब आते हैं।
देख प्रकृति की छटा निराली
लोग राग-रंग का उत्सव मनाते हैं
ऋतुराज बसंत जब आते है।

वसंत का आगमन

राज कुमारी
कलमकार @ हिन्दी बोल India
SWARACHIT2460B

महक रही है चारों ओर
वो खुश्बू सुनहरी मिट्टी की
भ्रमरों को देख किसान है मुस्कुराता
हुई है बुआई मक्का और गेहूँ की!!

पीली ओढ़नी है ओढ़े सरसों
तीसी भी है मधुर मुस्काई
हुआ है वसंत का आगमन
खिल रही है चमन, ली धरती ने अंगड़ाई!!

बहे ज़ब पवन यह पुरवईया
प्यारी कोयल मधुरम् गीत जो गाए
ऐसी बेला में उत्सव होता ज़ब
वाग देवी भी तान लगाए!!

आ गई ऋतुओं की रानी
माँ शारदे का आगमन है
विद्या, बुद्धि दे, कष्टों को जो हर लें
ह्रदय से करता, माँ का जो आवह्रन है!!

अब से तो ग़ुलाल उड़ेगी
ये रंगों का त्योहार होली है आया
झूमेगी सखियाँ वृन्दावन में
राधा-कृष्ण के साथ, प्रेम का त्योहार है आया!!

आना तुम बसंत बन के

नेहा यादव
कलमकार @ हिन्दी बोल India
SWARACHIT2460C

बिखर जाए जब खुशियों की बहार
पतझड़ में प्रियतम हो जाना त्यौहार
हो अगर मेरे हिस्से की मंजूरी तुमको
बन के गुलाब खिल जाना मेरे केश में
एवम पुनः हो जाना तुम मुझपे निसार
ऋतुराज ऐश्वर्य के समान सज जाना
मेरी मांग में सदैव के लिए सिंदूर बन के
अब की बार आना तुम बसंत बन के।

मैं खड़ी रहूँगी किवाड़ पर प्रेम बन के
नज़रे झुका के और सज संवर के
बेमुख मत होना मेरी हया देखकर
मुखविवर पर प्रकृति का विराम देना
तनिक मुस्कुराना थोड़ा ठहर जाना
प्रीत के रंग में भिगोकर रीत समझाना
पुनः स्थापित होना मेरे प्रियवर बन के
अब की बार आना तुम बसंत बन के।।

बसंत तुम जब आते हो

प्रीति शर्मा “असीम”
कलमकार @ हिन्दी बोल India
SWARACHIT2460D

बसंत तुम जब आते हो
प्रकृति में नव-उमंग,
उन्माद भर जाते हो।
बसंत तुम जब आते हो
हवाएं चलती हैं सुगंध ले कर।
जीवन में खुशबू बिखराते हो।

बसंत तुम जब आते हो
कितने नए एहसास जागते हैं।
सृजन की प्रेरणा दे
नित-नूतन संसार सजाते हो।
हर तरफ फूलों से बगियाँ तुम सजाते हो।
कहीं पीले, कहीं नारंगी।
लाल गुलाब महकाते हो।

बसंत तुम जब आते हो
जीवन में उमंग भर जाते हो।
नदिया इठला कर चलती है
दिनों में मस्ती छा जाती है।
मीठी -मीठी धूप में
शीतल चांदनी-सी रात झिलमिलाती है ।
आसमां में चहकते हैं पक्षी।
कोयल के साथ मधुर गीत गाते हो।

बसंत तुम जब आते हो
जीवन में उमंग भर जाते हो।
नई आस-नई प्यास
नए विचार-नए आधार।
बन कर रच जाते हो।
बसंत तुम आते हो
नई तरंग से जीवन को,
तरंगित कर जाते हो।।

जब बसंत आता है

करन त्रिपाठी
कलमकार @ हिन्दी बोल India
SWARACHIT2460H

जब बसंत आता है तो, चेहरे खिल जाते युगलों के
अमराई भी हरसाती है, तन सिहरन होती नवलोंके

सरसों भी धानी चूनर में, अब मंद-मंद मुस्काती है
नयी कोंपलें निकले तो, कोयल भी रागिनी गाती है

ठिठुरन भी हाथ जोड़ कर, अब तीव्र गति से जाती है
मौसम भी सुहाना लगता है, जब प्रियतम की पाती आती

ये धनक, झील और झरने भी, दिल को मनुहारी लगते है
चांदनी छटा बिखेरती है, और तारे भी प्यारे लगते हैं

मां वीणापाणि को भजते है, और ढोल नगाड़े बजते हैं
चौपालों पर नित नए नए, भक्तिमय आयोजन सजते है

भंवरे भी गुंजार करें, और मस्त मालिनी गाती है
वन, उपवन में पंछी चहके, तब ये दुनिया हर्षाती है

ये धनक हरित चादर ओढ़े, ये पवन सुरीली चलती है
कल कल करते इन झरनों से, शीतल तरंग निकलती है

कामिनियाँ चलती बल खाके, यौवन छाया है वृद्धों पर
ऋतुराज ने ऎसा मन मोहा, मादकता छाई भौरों पर

ये धरा सुहानी हर बसंत, अपना परिवेश बदलती है
कुसुमित हो नव पल्लव, से अपना गणवेश बदलती है

आ पहुँचे ऋतुराज

डॉ . मुश्ताक़ अहमद शाह
कलमकार @ हिन्दी बोल India
SWARACHIT2459

फूल खिले मन भावन टेसु,
बौर आमों में सज आए
आ पहुंचे ऋतुराज।
उड़े मकरन्द हवा में,
छाए भ्रमरों की गुन गुनाहट गहरी,
अभी गई है बसंत सुहानी।
होली के रंगों में आओ,
कर लो थोड़ी सी मनमानी,
सुख जिसमें तुम पा जाओ,
काम वही तुम कर जाओ।
भाईचारा प्रभावित न हो जाए,
संस्कृति भ्रमित न हो जाए,
घोर अंधेरा छंट जाएगा,
उम्मीदों के तुम दीए जलाओ।
बरसे चतुर्दिश होली की शुभकामना,
कुछ अशुभ तुम दूर ही रहना,
गीत, संगीत, प्रीत का ही गुलाल उड़ाना।
दुर्भावना अवगुण दुर्व्यवहन
और भ्रष्टाचार से नाता तोड़ो,
शांति पूर्ण आचरण लेकर,
फूलों की तरह ही तुम
मुस्काना, तुम मुस्काना।

बसंती हवा की कहानी

विपुल मिश्रा
कलमकार @ हिन्दी बोल India
SWARACHIT2458

बसंती हवा की उठी जो बयारी
लगी मुस्कुराने वसुधा ये सारी.
इधर फूल महके उधर पंछी चहके,
खिली धुप देखो बहुत प्यारी-प्यारी.

कहीं फूल सरसों के खिल रहे हैं,
कहीं बल्लरी तरु से गले मिल रहे हैं .
नए वस्त्र को ओढ़कर कर पेड़-पौधे,
हरे रंग में रंग दी है धरती हमारी.

स्वागत रितुराज का कर रही है,
कोयलिया कूक कर डाली-डाली.
सुरों का अनोखा ये संगम गहन का,
सुनकर झूमने लगी सृष्टि सारी.

हंसी आज धरती हंसे पेड़-पौधे ,
हंस रही जोर से है नदियों में वारि.
भ्रमर कर रहे हैं गुंजन वाटिका में,
खुशबू लुटा रही, पूरवा बयारी.

निशा में ठहाके सितारे लगाते,
यामिनी में सुधाकर हैं अमृत लुटाते.
उषाकाल आकर समूची धरा को
अहिस्ता-अहिस्ता अंशुमाली जगाते.

बसंती हवा की है अनोखी कहानी,
जैसे धरा की अब आई जवानी.
सराबोर रंग में, हुई आज फागुन,
नूतन जहां की, यही बस निशानी.

वसन्त आया

जिनत नाज़
कलमकार @ हिन्दी बोल India
SWARACHIT2475B

वसन्त आया
वसंत पंचमी का पर्व संग लाया
हवा के रुख़ एहसास लाया।

पुराने पत्तों को झाड़ते ,
नये पत्तों के बहार लाया,
आमो के मंजरी से लद गई डालियाँ
महुआ, मुनगा में भी फुले कलियाँ ।

शरद हवा ने भी गरमाहट का रुख़ मोड़ा
खेतों में लहलहाते गेहूं की बालियों ने
दानों के साथ मुस्कान बिखेरा।

अब कोयल की मधुर संगीत गूँजेगी
थरथराती ठंड से भी जान छूटेगी
वसन्त आया
सुगन्धों की बहार आया।

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