कमजोर न समझो

कमजोर न समझो

इतना कमजोर नही समझो
की सिर पैर सवारी हो जाए
अनुशासन इतना मत लांघो
की दुश्मन भारी हो जाए

भूखे भी है प्यासें भी है
बेबस है लाचार भी है पर
इनको इतना मत रोको की
ये मजदूर भी ब़ागी हो जाए

~ अमित अनमोल

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