पितृ दिवस २०२० विशेष

पितृ दिवस २०२० विशेष

फादर्स डे पिता के सम्मान में मनाया जाने वाला पर्व है। भारत सहित कई देशों में जून महीने के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। पितृ दिवस के अवसर पर हिन्दी कलमकारों की कुछ कवितायें पढिए।

मेरे पिता – प्रफुल्ल सिंह

इस मतलब भरी दुनिया में
वो बेमतलब की कविताओं का सार है।
जिनको अपने सपनो को छोड़कर
मेरे सपनो से प्यार है,
वो मेरे पिता मेरे पहले प्यार है।
वो इस छोटी-सी दुनिया मे
मेरा अनंत संसार हैं।
जो मेरी इच्छाओं के लिए
अपनी इच्छाओं का गुनाहगार हैं,
वो मेरे पिता मेरे पहले प्यार है।
वो इस झूठी दुनिया में
मेरा सच्चा संसार हैं।
जिनके प्यार पर मेरा
एकस्‍व-एकाधिकार हैं,
वो मेरे पिता मेरे पहले प्यार हैं।
वो इस बेजुबान दुनिया में
शब्दों की एक नयी बहार हैं।
जो खुशियों को बाँटकर
करते गमो का व्यापार हैं,
वो मेरे पिता मेरे पहले प्यार हैं।
वो इन गैरो की दुनिया में
मेरा पूरा परिवार हैं।
जो मेरे बुरे हालातो मे
सुकून का एक इतवार हैं,
वो मेरे पिता मेरे पहले प्यार हैं।
लफ़्ज़ों मे बयाँ न हो पाए
वो ऎसा किरदार हैं।
वो जो सारे रिश्तो को
जोड़ता हुआ एक तार हैं,
वो मेरे पिता मेरे पहले प्यार हैं।
वो मुझे भगवान का दिया एक अनमोल उपहार हैं।

प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया
SWARACHIT1065D

है पिता से उच्च देव नहीं ~ शंकर फ़र्रुखाबादी

मम्मी को है बस प्यार किया पर पापा जी को भूल गये
पापा गुस्सा करते हैं बस इसलिए हैं उनसे फूल गये
भरी दुपहरिया में भी पापा मीलों पैदल चलते हैं
अपनी कोई ख्वाहिश ना बस बच्चों की पूरी करते हैं
घर में दो पहिया चार पहिया उनकी मेहनत से आया है
पर उनके मन को आज भी उसी साइकिल ने लुभाया है
नुकसान अगर कुछ हो जाये तो कितना वो चिल्लाते हैं
कैसे जुड़ती है पाई पाई ये बात रोज हमें सिखलाते हैं
है पिता से उच्च देव नहीं सब ग्रंथ यही सिखलाते हैं
एक पिता की छाया पाकर ही बच्चे सब खुशियाँ पाते हैं
अपने बच्चों को खातिर जो अपनी खुशियाँ नीलाम करे
ऊपर से सख्त भले दिख ले सागर से ज्यादा प्यार करे
दुनिया में कैसे रहना है ये बात पिता सिखलाता है
अच्छे बुरे का भेद हमें करना भी पिता दिखलाता है
माना हम सब हो गए बड़े पर उनके लिये तो बच्चे हैं
दुनिया में बहुत दिखावा है पर पापा हमारे सच्चे हैं

शंकर फ़र्रुखाबादी
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया
SWARACHIT1065E

पिता – स्नेहा धनोदकर

तुम्हारे आने की आहट से जो झूम जाता,
तुम्हारे लिये वो हर नया सपना सजाता,
माँ के पेट मेँ भीं वो तुम्हे महसूस कर पाता,
आने से पहले तुम्हारे सब सुविधाएं जुटाता,
तुम्हारे आने पर हर जगह मिठाई बाँट आता,
थाम की नन्ही ऊँगलीयों को चलना सिखाता,
जिंदगी की सच्चाई से तुम्हे अवगत कराता,
तुम्हारे सपनो को पूरा करने वो खुद को भूल जाता,
तुम्हारे भविष्य के लिये हर पल मेहनत करता,
तुम्हे कोई तकलीफ ना इसकी हर कोशिश करता,
तुम्हारे लिये ही जीता तुम्हारे लिये ही हैं मरता
हाँ वो पिता ही हैं जो तुम्हारे लिये ये सबकुछ करता..

स्नेहा धनोदकर
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया
SWARACHIT1065F

पिता हैं वो ~ ललिता पाण्डेय

धीर हदय है,
अश्रु बिन्दु शून्य है,नयन में उसके,
वह नीर को रोक सकता है।

वात्सल्य हदय में हैं,
ममता को रोक सकता हैं।
ग्रीष्म की शीतल छाँव है वो।

गुरूकुल हैं उसकी गोद में।
हमारी हर कॄति का ज्ञानी हैं वो,
फिर भी कृत्रिम बना हैं वो

हमारी हर ज़िद का सवाल है वो,
भीतर शब्दों का अंगार हैं,
फिर भी मौन है वो
हमारी ख़्वाहिशों का पैमाना हैं वो

हमारे तकदीर की
सबसे सुन्दर लकीर हैं वह
पिता है वह।

ललिता पाण्डेय
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया
SWARACHIT1065G

पिताजी ~ मनीषा झा

इस दुनियां में एक इन्सान,
जो अपने बच्चे उज्ज्वल भविष्य,
के लिए नामुमकिन भी कर जाते हैं,
वो पिताजी कहलाते हैं!

ये वो घना वट वृक्ष सदृश हैं,
जो सदा छांव ही देते हैं,
हम उस छांव में रहकर ही,
नैया जीवन की पार कर पाते हैं!

इनका स्नेह सदृश हवा सा,
जिसे देख नहीं हम पाते हैं,
पर हम उस हवा के कारण,
जीवन अपनी जी पाते हैं!

ये एक पथप्रदर्शक बनकर,
सही राह हमें दिखाते हैं,
कभी भुल से भटक भी जाते,
अंगुली पकड़ सही राह पर लाते हैं!

नारियल सदृश ऊपर से तो ये,
थोड़ा सख्त नजर तो आते हैं,
किंतु उस नारियल पानी की समान ही,
अनगिनत सुख पहुंचाते हैं!

यही तो वो सीढ़ी होते हैं,
जो हमें आसमान तक ले जाते हैं,
इसक्रम में जो भी पीड़ा होती है,
चुपचाप सहन कर जातें हैं!

हमारी सारी ख्वाहिशें हो पुरी,
असंख्य कष्ट सह जाते हैं,
हमें अच्छी भोजन नसीब हो,
ठण्डी रोटी ही वो खाते हैं!

मनीषा झा
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया
SWARACHIT1065H

पिता स्नेह का सागर ~ राकेश कुमार साह

ममता की अगर मूरत है माँ,
पिता स्नेह का सागर है।
हमारी जरूरतो की पूर्ति का,
ना खत्म होने वाला गागर है।
माता अगर जननी है मेरी,
पिता जीवन का वाहक हैं।
जीवन की जो भी छोटी-बड़ी खुशियाँ,
मिली उन सबका वो एक मात्र गाहक हैं।।

‘पिता’ शब्द का गहन अर्थ है, जिसके लिये
बच्चों की खुशी के सिवा सब व्यर्थ है।
अपने बच्चों के चेहरे पे छोटी सी मुस्कुराहट,
किसी भी पिता के लिये ये सबसे बड़ा मनोरथ है।
मैं भी एक बेटा हूँ, मेरे भी एक स्नेही पिता हैं,
पर इस ‘पिता’ शब्द की गरिमा, मैं सच मे तब जाना,
जब परमात्मा की दुआ से मैं भी पिता बना।।

उन बेटे-बेटियों से है मेरी विनम्र सवाल,
जो अपने पिता को वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं।
वो अच्छे माता-पिता क्या कभी बन पायेंगे,
जो एक योग्य बेटी या बेटा नही बन पाते हैं।
ऐसे बच्चे इनके महत्व को क्या जाने।
पिता का कद्र जनना है तो उससे पुछो
महरूम है जो इस रिश्ते से।।

मेरे पिता से बस इतनी विनती मेरी,
कितने बड़े ही हो जायें कद से,
पर दूर ना करना अपने पद से।
आप से ही पहचान है मेरी,
आपकी मुस्कराहट ही जान है मेरी।
अंगुली पकड़ कर आपने, चलना सिखाया,
पापा हो कर भी पहले, माँ बोलना सिखाया।
कहाँ संसार में है और ऐसे निस्वार्थ रिश्ते,
आपने तो खुद से भी आगे मुझे बढ़ना सिखाया।।

राकेश कुमार साह
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया
SWARACHIT1065I

मेरे पापा ~ दीपिका राज बंजारा

मेरे पापा जो मेरे ख्वाबों को अपनी पलकों में पालते।
जो मुझे एक पत्थर से सुंदर प्रतिमा में ढ़ालते।।

पंख नहीं मेरे पर मुझे सदैव उड़ना सिखाया।
पंखो में कहा जान उन्होने तो मेरा हौंसला बढ़ाया।।

रोकता ज़माना और लोग हर बात पर टोकते।
पर पापा उन तानो को मुझसे दूर किसी आग में झोंकते।।

नाम मेरा पर मेहनत पापा की लगी हैं।
जितना आसान दिख रहा उतनी आसानी से नहीं मेरी पहचान बनी हैं।।

ज़माना तो क्या घर वाले भी रोकते।
मत चढ़ाओ बेटी को सर पर यह कहकर टोकते।।

पर बहुत हिम्मत वाले हैं वो हार कहा मानते।
मेरे ख्वाबों के लिए वो मुझे भी डाटते।।

हार मान मैं कई बार कदम पीछे खींच लेती हूँ।
पर देख उनका जज्बा मैं फिर मुट्ठी भींच लेती हूँ।।

मुझे सितारा बनाना चाहा पर मेरे लियें वो चाँद हैं।
मेरे पापा बिना नहीं मेरी कोई पहचान हैं।।

उस ईश्वर को मैंने कभी देखा नहीं।
पर मेरा दिल कहता हैं मेरे पापा से ज्यादा वह भी प्यारा नहीं

दीपिका राज बंजारा
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया
SWARACHIT1065J

वो पिता होता है – पार्थ अवस्थी

खुद फटे कपड़े पहनकर अपने बच्चों को सूट दिलाने वाला
टूटी चप्पलें पहनकर अपने बच्चों को जूते दिलाने वाला
वो पिता ही होता है ।।
अपने बच्चों को खुश रखने के लिए अकेले में रोने वाला
अपने बच्चों के लिए अपना सारा जीवन न्योछावर कर देने वाला
वो पिता ही होता है।।
अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने के लिए दूसरों से कर्ज लेने वाला
स्कूल कालेज में सिफारिश करने वाला
और अगर जरूरत पड़ी तो हाथ पैर भी जोड़ने वाला
वो पिता ही होता है ।।
अपना सुख दुख छोड़कर सिर्फ अपने बच्चों के लिए सोचने वाला
वो पिता ही होता है ।।
लड़की की शादी के लिए एक एक पाई जोड़ने वाला
उसकी विदाई पे रोने वाला
वो पिता ही होता है ।।

पार्थ अवस्थी
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया
SWARACHIT1065K

पिताजी हमारे ~ इं० हिमांशु बडोनी (शानू)

गर्मियों का पंखा व सर्दियों का कंबल हैं पिताजी हमारे।
समस्त परिवार का शक्तिशाली संबल हैं पिताजी हमारे।
खुशियों व उपहारों से भरा कोई पल हैं पिताजी हमारे।
बीता कल, आज व आने वाला कल हैं पिताजी हमारे।
क्षमता की मूरत व श्रम का पूर्ण-फल हैं पिताजी हमारे।
माॅं गंगा सम पावन तो शीतल गंगाजल हैं पिताजी हमारे।
सब रिश्तों में सर्वोपरि, प्रेम निश्च्छल हैं पिताजी हमारे।
अनुशासन की सतत् धारा से अविरल हैं पिताजी हमारे।

इं० हिमांशु बडोनी (शानू)
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया
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