होली 2021

होली 2021

भरत लाल गौतम

होली के उमंग मे ~ भरत लाल गौतम

भाँति भाँति रंग चुन, लेके आया फागुन,
होली मे मचाए धूम, फागुन के रंग मे.

ढोल नगाड़ा मृदंग, संग लेके आओ भंग,
मिल के लगाए रंग, होली के हुड़दंग मे.

लाल हरा पीला नीला, गुलाबी व चमकीला,
गाल लगे खिला खिला, रंग हो जो अंग में.

ढंग से लगाओ रंग, करो न किसी को तंग,
हो जाए न कोई जंग, होली के उमंग मे.

विधा- मनहरन घनाक्षरी


डॉ. रमाकांत ‘क्षितिज’

कैसे खेले होली ~ डॉ. रमाकांत ‘क्षितिज’

कैसे खेले होली
मुंह पर मास्क
छह फीट की दूरी
कुछ की
तावे से बढ़ गई है
रोटी की दूरी
कैसे खेले होली
बच्चों से बढ़ गई है
स्कूल की दूरी
तनख्वाह भी तो
मिल रही है
आधी अधूरी
एक चीज बहुत करीब आई है
वह है महंगाई की मजबूरी
आवारा पशु फसल चरें हैं
किसान अपनी किस्मत से भिड़े हैं
नेता प्रधानी डीडीसी बीडीसी लड़े हैं
जहां चुनाव है वहां हुड़दंग है
बाकी जगह तो सिर्फ बदरंग है
कोरोना रूपी होलिका कौन जलाएगा
क्या इस बार भी कोई खंभे को फाड़ कर आएगा
कोई प्रहलाद भी तो नहीं जो उन्हें बुलाएगा


मधु शुभम पाण्डे

फ़ागुन ~ मधु शुभम पाण्डे

टेसू ने केसरिया रंग से, मौसम को कर दिया सुहाना,
बासन्ती की अगुवाई ने, माघ मास को किया रवाना।।

सुनहरी चादर है खेतों में, फसलें अब लहराने लगी,
मौसम हो चला सतरंगी, आमों में बौर अब आने लगी।।

घर घर में पकवान बने रहे, ताल मृदंगा बजने लगे,
अबीर,ग़ुलाल उड़े सब झूमें, परदेशी पिया घर आने लगे।।

लेके हाथ कनक पिचकारी, ब्रज में कान्हा डोल रहे।
देख सखी सब नंद किशोर को, प्रेम रंग में डूब रहे।।

राधा की चुनरी रंग दीन्हि, सखियन संग होरी खेल रहे,,
देख छवि प्यारे श्याम सुंदर की, म्हारे नैना तरस रहे।।


राजेश वर्मा ‘मृदुल’

नेह भाव की पिचकारी से ~ राजेश वर्मा ‘मृदुल’

स्नेह मिलन की रंगों से,
खेलें ऐसा प्रेम की होली!
द्वेष का तम मिटे मन से,
उजास भरी हो ये होली!!

भेदभाव सब मिटे मन से,
प्रेम सद्भाव का मने होली!
नेह भाव की पिचकारी से,
रंगों की बौछार हो होली!!

धन की निज सामर्थता से,
चलो बाटे खुशी की होली!
हीन का भाव मिटे दीन से,
ऐसे खेले हम सब ये होली!!

तन रंगा हो रंग गुलाल से,
मन भी रंग जाये ये होली!
हर्ष की रंग बिखरे घरो से,
दीन के घर में भी हो होली!!

सुख के रंग फैले अधरों से,
उल्लास भरी हो यह होली!
पुलकित मन के मधुरता से,
खेलो हमसब मिलकर होली!!


संजय वर्मा “दृष्टि”

टेसू ~ संजय वर्मा “दृष्टि”

खिले टेसू
ऐसे लगते मानों
खेल रहे हो पहाड़ों से होली।

सुबह का सूरज
गोरी के गाल
जेसे बता रहे हो
खेली है हमने भी होली
संग टेसू के।

प्रकृति के रंगों की छटा
जो मौसम से अपने आप
आ जाती है धरती पर
फीके हो जाते है हमारे
निर्मित कृत्रिम रंग।

डर लगने लगता है
कोई काट न ले वृक्षो को
ढंक न ले प्रदूषण सूरज को।

उपाय ऐसा सोंचे
प्रकृति के संग हम
खेल सके होली।


मधुकर वनमाली

होलिका दहन ~ मधुकर वनमाली

सूखे जलावन , सूखी लकड़ी
सूख गया जो तृण लाया
बुढ़िया काकी जली भुनी जो
उसके उपले चुन लाया।

फागुन की पूनम जो आई
धूम मचेगी बस्ती में
जलेगी होली धू-धू कर के
झूमेंगे सब मस्ती में।

जलेगी होली वैर, घृणा की
प्रेम, भक्ति प्राहलाद बने
चादर अभिमानों की जलकर
आज यहीं पर राख बने।

भेद सभी हिन्दु-मुस्लिम का
आज जलाओ तुम जी भर कर
नही लड़ेंगे जात पात पे
करो प्रतिज्ञा अग्नि छू कर।

जलती होली के सम्मुख हम
थोड़ा सा कुछ प्रण भी कर लें
जले न कोई नारी ऐसे
नही दहेज में धन-दौलत लें।


राजीव डोगरा ‘विमल’

दोस्ती का रंग ~ राजीव डोगरा ‘विमल’

दोस्ती का रंग हमसे पूछिए
ज़रा सा हमसे दिल लगाकर
ज़रा सा मुस्कुरा कर देखिए।

दोस्ती होती नहीं है मोहब्बत से कम
ज़रा हमारे साथ चल कर,
ज़रा सा हमारे रंग में खुद रंग कर देखिए।

दोस्ती होती नहीं है आशिकी से कम
ज़रा सा हमसे रूठ कर,
ज़रा सा हमको मना कर देखिए।

दोस्ती होती नहीं है आवारगी से कम
ज़रा सा हमसे आंख मिलाकर,
ज़रा सा हमारा हाथ थाम कर देखिए।

दोस्ती का रंग हमसे पूछिए
ज़रा सा हमसे दिल लगाकर,
ज़रा सा मुस्कुरा कर देखिए।


स्वाति दुबे

धर्मरंग ~ स्वाति दुबे

हिन्दू का भगवा रंग,
मुस्लिम का हरा,
ईसाईयों का सफेद,
और न जाने कितने ही,
ऐसे अलग अलग रंग,
जिस दिन एक हो जाएंगे,
तो आने वाले उसी दिन के लिए,
होली की शुभकामनाएं।


मनीषा कुमारी

क्या सच में होली का त्योहार आया है? ~ मनीषा कुमारी

सर्वप्रथम आपसभी को होली के शुभ पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाइयाँ ।

इस बार की होली कोरोना वाली होली । होली या कहे तो रंगों का त्योहार । होली हर साल फाल्गुन के महीने में विभिन्न प्रकार के रगों के साथ मनाई जाती है। सभी घरों में तरह – तरह के पकवान बनाये जाते हैं। होली हिंदुओं के एक प्रमुख त्योहार के रूप में जाना जाता है। यह एक ऐसा रंग -बिरंगा त्योहार हैं जिसे हिन्दू ही नहीं बल्कि सभी जाति समुदाय के लोग बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। होली का त्योहार लोग आपस में मिलकर, गले लगकर और एक दूसरे को रंग लगाकर मनाते हैं। होली के रंग हम सभी को आपस में जोड़ता है, और रिश्तों में प्रेम और अपनापन के रंग भरता है। हमारी भारतीय संस्कृति का सबसे ख़ूबसूरत रंग होली के त्योहार को ही माना जाता है। सभी त्योहारों की तरह होली के त्योहार के पीछे भी कई मान्यताएं प्रचलित है। कहा जाता हैं कि होली का त्योहार खुशियों का त्योहार हैं । उसदिन सब अपने गीले-शिकवे दुर कर एक -दूसरे को प्यार से गले लगाकर , सभी नफरतों को मिटाकर एक – साथ मे मनाते है । भारत में होली का उत्सव अलग-अलग प्रदेशों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। क्या यह वाकई में ऐसा है ? नही है कहने को बहुत कुछ हमने कहा बहुत पढ़ा और सुना भी लेकिन यह कहा तक सत्य है । आइये जानते हैं होली पे बहुत सारी कहानियां , कविताएं , तरह – तरह के शायरी प्रचलित हैं , सभी मे यही जिक्र किया गया हैं कि होली प्यार का त्योहार है , होली अपनो का त्योहार हैं लेकिन आजकल की वर्तमान स्थिति में वास्तविकता कुछ और हैं । एक तरफ हम कहते हैं इस बार होली में हम सबको अपना बनाएंगे , जो मेरे साथ बुरा किये उसे भुल जाऐंगे फिर से एक साथ प्यार में होली का त्योहार मनाएंगे । लेकिन सही मायने में ऐसा कुछ भी नही होता हैं । जब हम होली के दिन अपने मन के नफरतो को , मन की गुस्सा को ही नही मिटा पा रहे तो क्या हम दूसरे को कैसे माफ़ कर पाएंगे । बधाइयाँ देना या शुभकामनाएं देने से होली नहीं होती है । उसके लिए हमे खुद को बदलना होगा । खुद की अन्दर की नफरते को दफनाना होगा ।तभी हम सभी इस त्योहार को सही मायने में मना पाएंगे । जब हम एक-दूसरे को माफ ही नही कर पाते , उसे दिल से रंग या गुलाल नही लगा पाते तो फिर कैसा होली , बस एक ही सवाल मन मे आती है क्या सच मे होली का त्योहार आया है अगर नही आया तो कब सही मायनों में होली का त्योहार आएगा । होली तो खुशियों की त्योहार है लेकिन क्या सभी आज के दिन ख़ुशी है , कोई इस बार की होली में अस्पताल में हैं तो कोई देश के रक्षा में दिन रात जगे हैं । जिनके वजह से हम ये होली मना पा रहे हैं । कोई अपने भाई के इंतजार में है , तो कोई माँ अपने बेटे के इंतजार में , तो कोई अपने सुहाग के इंतजार में पलकों बिछाये राह देख रही हैं । सभी के लिए होली का त्योहार एक ही दिन आता है । लेकिन वो होली उनकी होली नहीं होती । मन मे वही कड़वाहट , वही बैर , वही गुस्सा तो फिर कैसे मनाये होली । और तो सबसे बड़ी बात यह है कि होली के दिन लोग नशा में इतने धुर्त हो जाते हैं कि उन्हें अपने परिवार की फ़िक्र भी नहीं रहती है । कोई अपने पति के लिए आँशु बहा रहे होते , तो कोई किसी के तालाश । ये सब तभी दुर होगी जब हम खुद को बदलने के लिये तैयार होंगे तभी सही रूप में होली का त्योहार आएगा । जिस दिन हम सभी सच्चे दिल से एक -दूसरे को हमेशा के लिए माफ़ कर देंगे । मन स्व अपना बना लेंगे सभी गिले-शिकवों को मिटा देंगे तब एक साथ ये होली का त्योहार मनाएँगे ।

रंगो का त्योहार , खुशियों का बौछार ।
मुबारक हो आपको होली का त्योहार ।।


Leave a Reply