ज़रा याद करें

ज़रा याद करें

दकियानूसी विचारधाराओं और परंपराओं को अब समाप्त करना चाहिए। कलमकार विजय डोगरा लिखते हैं कि एक आदर्श समाज के निर्माण हेतु हमें अपने पूर्वजों के त्याग और उपलब्धियों को एक बार याद करना बेहद जरूरी है।

आओ मिलकर विचारों की
ज़रा आग जलाए।
डूब रही है जो देश की हस्ती
ज़रा उसको रोशनाए।
मर मिटे है जो अपने देश के लिए
ज़रा उनकी याद
सब को मिल करवाएं।
जो कहते हैं यौवन आता है
एक बार मस्ती का।
ज़रा उनको भगत सिंह के
आज तक गूंजते
नव यौवन की कहानी सुनाएं।
जो कहते है नहीं मिटती हिंसा
अहिंसा का पालन करने से।
ज़रा उनको गांधी जी के
विचारों की याद दिलाएं।
जो कहते है धर्म ही धर्म का दुश्मन है
उनको गुरु तेग बहादुर जी का,
हिंदू धर्म के लिए किया गया
ज़रा बलिदान याद करवाएं।
जो कहते हैं औरतें बस
पांव की जूती होती है,
उनको रानी लक्ष्मीबाई जी की
रणभूमि में चमकती
ज़रा तलवार दिखलाए।
जो कहते हैं मुर्दों में जान
नहीं फूंकी जा सकती,
ज़रा उन सब को मिलकर
गुरु गोविंद सिंह जी की
लिखी “चंडी की वार” सुनाएं।

~ राजीव डोगरा

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