सबेरा

सबेरा

हम सभी को हर सुबह का स्वागत प्रसन्न मन से करना चाहिए। दिन की शुरुवात यदि अच्छी हो तो दिन सुफल होता है। साकेत हिन्द की पंक्तियाँ आलस को तजने का संदेश देती हैं

कर दिया है सबेरा, सूरज ने इस धरा पर,
मिटा दिया है अँधेरा, अपनी रोशनी फैलाकर।

चहकने लगे हैं खग, वन और गगन में,
नींद से गया है जग, हर प्राणी घर-घर में।

बह रही हैं नदियाँ, करती हुईं कल कल,
नभ, थल और दरिया में, होने लगी है हलचल।

लेकर आती है सन्देश यही, सूरज की हर एक किरण,
तज दो आलस्य को यहीं, कर्म करते रहो हर क्षण।

खगों का भी सन्देश यही, सोना अब तो ठीक नहीं,
नींद से तुम अब जग जाओ, दुनिया की लाखों खुशिया पाओ।

न हटो पीछे कर्म पथ से, मेरी तरह बढ़ते रहो,
नदी का है यही सन्देश, बढ़ते रहो, सतत बढ़ते रहो।

करो आरम्भ हर सुबह का, नई उमंग और उत्साह से,
जीवन सफल बन जायेगा, कर्म करने के प्रयास से।

~ साकेत हिन्द

हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है। https://www.facebook.com/hindibolindia/
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