हिन्दी दिवस पर राजीव डोगरा के विद्यार्थियों की प्रस्तुतियाँ

हिन्दी दिवस पर राजीव डोगरा के विद्यार्थियों की प्रस्तुतियाँ

१. हिन्दी से है हमारी शान

हिन्दी से है हिंदूस्तान,
हिन्दी से है हमारी शान,
जब हिंदी का होता अपमान,
तो घटता है भारत का मान
पूरे विश्व में ज्ञान फ़ेलाएंगे,
हिन्दी का महत्व समझाएंगे,
देश की यह आशा है,
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है,
इसे समझना सब की अभिलाषा है,
हिंदी भाषा का करेंगे सम्मान,
इससे बढ़ेगा देश का नाम,
हिंदी दिवस मनाएंगे,
हिंदी भाषा ही अपनाएंगे,
हिंदी दिवस एक पर्व है,
हमें अपनी राष्ट्रीय भाषा पर गर्व है

~ आकृति (कक्षा आठवीं)
राजकीय उच्च विद्यालय, ठाकुरद्वारा, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश


२. जन गण की भाषा है हिंदी

जन गण की भाषा है हिंदी।
भारत की आशा है हिंदी
जिसने पूरे देश को जोड़ रखा है
वो मजबूत धागा है हिंदी
क्षमता में कहा जाये तो
जीवन की परिभाषा है हिंद
स्कूल में बोलते है हम एक भाषा
हिंदी है हमारी राज्यभाषा
हिन्दुस्तान की है शान हिंदी
और हिंदुस्तान की, पहचान, हिंदी
अगर हिंदी है तो हम
बिना हिन्दी के हम कुछ नहीं
जन गण की है एक भाषा
हिंदी है हमारी राष्ट्रीय भाषा।

~ गौरव (कक्षा नौवीं)
राजकीय उच्च विद्यालय, ठाकुरद्वारा, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश


३. हिंदी हमारी मातृभाषा है

हिंदी दिवस
हिंदी है हिंदुओं की भाषा,
इससे जुड़ी है हर एक आशा
हिंदी है हमारी शान,
यह है हमारी पहचान
14 सितंबर को
हम हिंदी दिवस मनाते हैं,
इसकी शान को बढ़ाते हैं।
हिंदी हमारी मातृभाषा है,
यह हम लोगों की आशा है।
इसने हिंदुओं की शान बढ़ाई,
इसने देश में रोनक लाई।

~ कशिश कौंडल (कक्षा आठवीं)
राजकीय उच्च विद्यालय, ठाकुरद्वारा, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश


४. हिंदी हिंदुस्तान की भाषा

हमारी प्यारी हिंदी है,
भारत माता की बिंदी है।
हिंदी हिंदुस्तान की भाषा,
यही दिखाना दुनिया की आशा।
हम हिंदी भाषा का
सम्मान बढ़ाते हैं,
हर वर्ष
हम हिंदी दिवस मनाते हैं।
हिंदी भारत की एकता है,
एहि हर व्यक्ति को देखना है।
इसमें हमारे हमारे प्राण है,
यही जन-जन की शान है।

~ खुशबू (कक्षा दसवीं)
राजकीय उच्च विद्यालय, ठाकुरद्वारा, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश


५. भारत की है बोली हिंदी

भारत की है बोली हिंदी
हम सब की हमजोली हिंदी,
हिंदी की है बात निराली
यह है हर भाषा से प्यारी,
पुरखों की है ये सौगात
सब करते इसकी ही बात,
अनपढ़ हो या शिक्षक
इससे है हर कोई परिचित
हम सब की है
यह अभिलाषा
हिंदी हो हम सब की भाषा
सदा करें इसका सम्मान
इससे है भारत का मान

~ पूजा (कक्षा नौवीं)
राजकीय उच्च विद्यालय, ठाकुरद्वारा, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश


६. हिंदी हमारी शान है

हिंदी हमारी शान है,
देश का अभिमान है।
देश की शान है हिंदी,
हर भारतवासी की पहचान है हिंदी।
हर जन का यह नारा है,
हिंदी भारत देश हमारा है।।
जिसने काल को जीत लिया है,
ऐसी कालजयी भाषा है हिंदी।
सरल शब्दों में कहा जाए तो
जीवन की परिभाषा है हिंदी।

~ राशि (कक्षा आठवीं)
राजकीय उच्च विद्यालय, ठाकुरद्वारा, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश


७. हिंदी थी वह भाषा

हिंदी थी वह भाषा,
जो दिलों में उमंग भरा करती थी।
हिंदी थी वह भाषा,
जो लोगों के दिलों में बसा करती थी।
हिंदी तो थी
जन-जन की भाषा और क्रांति की परिभाषा ।
हिंदी तो थी संचार का साधन,
यही तो थी लोगों की अभिलाषा
आओ मिलकर सब प्रण ले,
हम करेंगे हिंदी का सम्मान।
पूरी करेंगे हिंदी की अभिलाषा,
देंगे उसे दिलों में विशेष स्थान।

~ साक्षी (कक्षा छठी)
राजकीय उच्च विद्यालय, ठाकुरद्वारा, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश


८. भारत की भाषा है हिंदी

हिंदुस्तान की शान है हिंदी,
हर हिंदुस्तानी की पहचान है हिंदी।
एकता की जान है,
देश की शान है।
सिर्फ 14 सितंबर को ही करते हैं,
हम अपनी मातृभाषा का सम्मान।
हर पल हर दिन करते हैं,
हम हिंदी बोलने वालों का अपमान।
जन-जन की आशा है,
हिंदी भारत की भाषा है हिंदी।
हिंदी का सम्मान करें,
दुनिया में नाम करें।
हिंदी भाषा को आगे बढ़ाना है,
हम को हिंदी दिवस मनाना है।
हम सब की यही अभिलाषा,
हिंदी बने हमारी राष्ट्रीय भाषा।

~ संजना (कक्षा दसवीं)
राजकीय उच्च विद्यालय, ठाकुरद्वारा, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश


९. मोहब्बत की भाषा- हिंदी

मोहब्बत की जो भाषा है
वह हमें हिंदी सिखाती है,
हिंदी भाषा का जो न्याय है
उसे पूरा देश जानता है।
हिंदी जन-जन की
जान पहचान की भाषा है,
आज वह दिन आया है
14 सितंबर को
हिंदी दिवस मनाना है,
हिंदी भाषा का मान
हमें बढ़ाना है।

~ सुहानी (कक्षा आठवीं)
राजकीय उच्च विद्यालय, ठाकुरद्वारा, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश


१०. राष्ट्रीय भाषा हिंदी का महत्व और हिंदी दिवस

निज भाषा बोलहु लिखहु पढ़हु गनहु सब लोग।
करहु सकल विषयन विषै निज भाषा उपजोग।।

श्रीधर पाठक

हिंदी मात्र एक भाषा की नहीं है यह हम हिंदुस्तानियों की एक पहचान और शान है। हिंदी हमारी देश की राष्ट्रीय भाषा भी है। हर 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है आज हिंदी सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि बहुत सारे और देशों में भी बोली जाती है।भारत की स्वतंत्रता के बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी।

अगर हम हिंदी भाषा की उत्पत्ति के संबंध में बात करें तो हिंदी की आदि जननी संस्कृत है।संस्कृत, पाली, प्राकृत भाषा से होती हुई अपभ्रंश तक पहुंचती है फिर अपभ्रंश, अवहट्ठ से गुजरती हुई प्राचीन हिंदी का रूप लेती है।सामान्यता हिंदी भाषा के इतिहास का आरंभ अपभ्रंश से माना जाता है।

अगर हम हिंदी शब्द की उत्पत्ति के बारे में बात करें तो हिंदू से ही हिंदी बना है हिंदू शब्द फारसी है जो संस्कृत शब्द सिंधु का फारसी रूपांतरण है। संस्कृत की सिंधु का इरानी में हिंदू हो गया जो सिंधु नदी के आसपास के प्रदेश के अर्थ में उपयुक्त हुआ और वहां के रहने वाले लोगों को हिंदू कहा गया। और वहां के लोगों की भाषा को हिंदी कहा गया। डाँ. भोलेनाथ तिवारी के अनुसार- ” हिंदू शब्द का प्राचीनतम प्रयोग 7 वीं सदी के अंतिम चरण के ग्रंथ निशीथचूर्णि में प्रथम बार मिला है।”

तैमूर लंग की पोती सरफुद्दीन यज्दी ने सन 1424 ई. में अपने ग्रंथ ‘जफरनामा” ने विदेशों में हिंदी भाषा के अर्थ में हिंदी शब्द का प्रयोग किया। डॉक्टर धीरेंद्र वर्मा द्वारा संपादित हिंदी साहित्य कोश (भाग-1) के अनुसार 13-14 वी शती में देसी भाषा को हिंदी या हिंदकी या हिंदूई नाम देने वाले हसन या अमीर खुसरो का नाम सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।

अगर हम हिंदी के आधुनिक काल की बात करें तो भी हिंदी को 20वीं सदी तक संघर्ष करना पड़ा क्योंकि 19 सदी तक ब्रजभाषा काव्य भाषा के रूप में प्रतिष्ठित थी। भारतेंदुयुग में भारतेंदु जी ने गद्य में हिंदी का प्रयोग आरंभ कर दिया था मगर 1900 ईसवी के बाद आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने जब सरस्वती पत्रिका का कार्य भार संभाला तो हिंदी गद्य के साथ-साथ पद्य में भी प्रतिष्ठित होने लग पड़ी।

भारत की स्वतंत्रता के पहले समाज सुधारक और धर्म सुधारक संस्थाओं का भी हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने में बेजोड़ सहयोग है। समाज सुधार की सभी संस्थाओं ने हिंदी भाषा को विशेष हिमायत भी और हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने पर जोर दिया ब्रह्म समाज के राजा राममोहन राय ने कहा – “इस समग्र देश की एकता के लिए हिंदी अनिवार्य है।”

दूसरी तरफ आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती ने हिंदी के प्रयोग को राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया। वह कहते थे- “मेरी आंखें उस दिन को देखना चाहती है जब कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक सब भारतीय एक भाषा समझने और बोलने लग जाएं।”

भारत की स्वतंत्रता के बाद हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में गौरवान्वित किया गया। और भारतीय संविधान में अनुच्छेद 343 से 351 तक हिंदी भाषा के लिए प्रवाधान रखा गए। आज हिंदी हमारे देश की भाषा ही नहीं राष्ट्रीय भाषा के रूप में जाती है। भाषा की महत्व को बताती हुई गांधी जी बोलते हैं- “मेरी मातृभाषा में कितनी खामियां क्यों ना हो मैं इसे इसी तरह चिपका रहूंगा जिस तरह एक बच्चा अपनी मां की छाती से जो जीवनदाई दूध दे सकती है अगर अंग्रेजी उस की जगह को हड़पना चाहती है जिसकी वह हकदार नहीं है तो मैं उसे सख्त नफरत करूंगा वह कुछ लोगों के सीखने की वस्तु हो सकती है लाखों करोड़ों कि नहीं।”

अंत में मैं अपनी कलम को विराम देते हुए यही कहूंगा हिंदी दिवस मात्र हिंदी का दिवस नहीं है हिंदी दिवस हमारी मातृभाषा का दिवस है जो लंबे समय से हमारा साथ निभा रही है भले ही बदलते समय के पारूप में इसमें बहुत बदलाव आए हैं मगर फिर भी यह एक मां की तरह हमारा हाथ थामे चलती रही है और आज भी क्या चल रही है। इसीलिए हमें भी एक अच्छे बच्चे की तरह अपनी मां का साथ निभाते रहना चाहिए।
“जय हिंद जय हिंदी”

लेखक: राजीव डोगरा ‘विमल’
भाषा अध्यापक, गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा, कांगड़ा – 176029 हिमाचल प्रदेश

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