सच का साथ

सच का साथ

कलमकार मयंक व्यास ने सच का साथ देने की बात कही है। सच का सामना तो हर किसी को करना पड़ता है, इससे पीछा नहीं छुड़ाया जा सकता है।

मैंने सच से कभी मुँह चुराया नहीं,
आईना आईने को दिखाया नहीं।

की है मैंने तरफदारी सच की सदा,
झूठ का सेहरा सर पर सजाया नहीं।

मैने माना कि हम पास आ ना सके,
आपनेे भी तो हमको बुलाया नहीं।

क्या हूँ किसकी नजर में मुझे क्या पता,
हां मगर दिल किसी का दुखाया नहीं।

उसके गुस्से में भी प्यार दिखता है अब,
क्या करूं शख्स अब वो पराया नहीं।

~ व्यास मयंक

हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
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