क्या लिखा जाए

क्या लिखा जाए

सवाल है आखिर क्या लिखा जाए?
मुल्क के हालात लिखूं
या ऊंची नीची जात लिखूं

मौसम की बदमिजाज लिखूं
या हवाओं के सर्द आगाज लिखूं

चारो तरफ़ फैली हाहाकार लिखूं
या ईश्वर पर कुछ विश्वास लिखूं

काली विषेली धुएं की प्रहार लिखूं
या भोजन के लिए तड़पते इंसान लिखूं

बारिश में भीग कर नहाना लिखूं
या किसानों का हालात लिखूं

जिंदगी की कुछ कसौटी लिखूं
या अखबार के हालात लिखूं
आखिर क्या लिखूं?

सच का कुछ आईना लिखूं
या बाज़ार का सुना पन लिखूं

बस अपना फ़साना लिखूं
या डॉक्टरों पर नकमस्त संसार लिखूं
आखिर क्या लिखूं?

दिल के कुछ जज़्बात लिखूं
या जिंदगी के मायना लिखूं

भीड़ का अकेला पन लिखूं
या दंगीओ का नाम लिखूंl
आखिर क्या लिखूं?

मोहब्बत का पैगाम लिखूं
या कोई टूटा सा ख्वाब लिखूं

सुनहरा सा बचपन लिखूं
या कोई अच्छा सा गीत लिखूं

पिता की दिन भर की थकान लिखूं
या सदिओं की रीत लिखूं
आखिर क्या लिखूं?

लिखने की चाहत में शायद कुछ अच्छा लिख डाला
सवाल जो सब से था वो जवाब लिख डाला।
और क्या का मतलब फिर क्या लिख डाला?

~ पूजा कुमारी साह

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