किसान हूँ

किसान हूँ

कलमकार चुन्नी लाल ठाकुर ने किसानों की रोजमर्रा की समस्याओं को अपनी कविता में बताने का प्रयास किया है। किसान होना तो गर्व की बात होनी चाहिये क्योंकि उन्हीं की मेहनत से विश्व में अन्न की भरमार है। ऐसे अन्नदाता का परेशान होना दुखद है।

किसान हूँ तभी तो परेशान हूँ।
अनाज उगाना है मेरा काम
जिससे बनता सारा खाने का सामान
बिन अनाज नही चल सकता कोई अर्थशास्त्र, विज्ञान
फिर भी है दुनिया को इस पर अभिमान।
अगर मैं ना मिटी से अनाज उगा पाता
कोई मानुष न खड़ा टिक पाता।
कड़ी मेहनत मैं करता हूँ
सर्दी-गर्मी सभी प्रकोप सहता हूँ।
जमाखोर खाते हैं जमाखोरी
भरते जेबें मेरी मेहनत पर कोरी।
मेरे उत्पादों का दाम सही मुझे न मिलता
और बीचोलयों का है ब्यापार खिलता।
अपने उत्पाद की मुझे देनी होती है सफाई
किसी को नही मेरी मेहनत मजदूरी पर तरस आयी।
नहीं उचित मूल्य फसल का मुझे मिल पाता
तभी तो रहता मुझे हमेशा से घाटा।
अमीरों को ओर अमीर हो करते
नहीं कोई मुझ पर आह भरते।
औरों को मिलते महँगाई और मुफ्त चिकित्सा सेवा
मुझे नही मिल पाता कोई मेवा।
नहीं कद्र रही किसान की
बढ़ गई इज्जत नॉकरी और ऊंचे मकान की।
कहने को तो हूँ मैं रीढ़ की हड्डी
पर जीवन स्तर रह रहा मेरा फिसड्डी।
किसान की स्थिति से हैरान हूँ
मैं भी किसान हूँ।
और मैं भी परेशान हूँ।

~ चुन्नी लाल ठाकुर

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