तू जो मुस्कुराई तो मैं भी मुस्कुराउंगा

तू जो मुस्कुराई तो मैं भी मुस्कुराउंगा

यदि कोई मुस्कराकर आपसे मिले तो आप भी मुस्कान के साथ ही उसका स्वागत करते हैं। मुस्कान ही मुस्कान को आमंत्रित करती है। कलमकार अमित मिश्र की यह रचना पढें जिसमें मुस्कुराहट का वर्णन है। आप भी हमेशा मुस्कराते रहिए।

तू जो मुस्कुराई तो मैं भी मुस्कुराउंगा
तेरे दामन को मैं खुशियों से सजाउंगा।

एक तू ही बस इस दिल में समायी है
कल ख्वाब में देखा था तू मुस्कुराई है।

प्यार तुझको भी तो मुझ पर आया है
तेरी चाहत को मैं सीने से लगाउंगा।

तू जो मुस्कुराई तो मैं भी मुस्कुराउंगा,
तेरे दामन को मैं खुशियों से सजाउंगा।

तेरी साँसों से आती है खुशबू प्यार की
मुझे लगती है दीवाली तू त्योहार की।

दीप जीवन भर जलता रहे प्यार का
हो न मध्यम कभी लौ तेल भर जाउंगा।

तू जो मुस्कुराई तो मैं भी मुस्कुराउंगा,
तेरे दामन को मैं खुशियों से सजाउंगा।

तेरी चाहत यूँ ही हरपल मुस्कुराती रहे
दूर होकर भी तुझे मेरी याद आती रहे।

नग्मे मेरे प्यार की हर पल तू गाती रहे
मैं भी तेरे प्रेम की ज्योत जलांउगा।

तू जो मुस्कुराई तो मैं भी मुस्कुराउंगा
तेरे दामन को मैं खुशियों से सजाउंगा।

~ अमित मिश्र

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