नारी सम्मान में कवियों की १० कविताएं

नारी सम्मान में कवियों की १० कविताएं

नारी नहीं जहान हूँ

कुलदीप दहिया “मरजाणा दीप”
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

नारी नहीं जहान हूँ
हिंद की मैं शान हूँ

झुका नहीं सके कोई
वो प्रचंड आसमान हूँ,
अस्मत मेरी पे जो ताकता
उसके लिये हैवान हूँ,
क़ायनात की मैं अप्सरा
सृस्टि की पहचान हूँ।

जला नहीं सके मुझे
धधकते अंगार भी,
ग़र समझो तो आसाँ बहुत
वरना मैं चट्टान हूँ,
झाँसी भी,अविनाशी भी मैं
सीता सी महान हूँ!

नारी नहीं जहान हूँ
हिंद की मैं शान हूँ
फूल भी हूँ शूल भी मैं
कुलों की आन-बान हूँ,
लक्ष्मी और शक्ति भी मैं
शिव का गुमान हूँ,
गौर से तू देख तो
कण-कण में विराजमान हूँ।

अंत भी अनंत भी मैं
वेद और पुराण हूँ,
अर्पण भी हूँ, समर्पण भी मैं
ममता की मैं खान हूँ,
यामिनी हूँ, दामिनी भी मैं
ब्रह्मांड का मैं मान हूँ ।

नारी नहीं जहान हूँ
हिंद की मैं शान हूँ
तारिणी भी नारायणी भी मैं
शौर्यता का बखान हूँ,
कोख़ में मैं पालती
भीम सा बलवान हूँ,
मैदानों में मात दूँ
मैं वीर पहलवान हूँ ।

आँगन की तुलसी भी मैं
कुछ पल की वहां मेहमान हूँ,
वार दूँ जहान सारा
मैं ऐसी क़द्रदान हूँ,
फिर भी मिले दुत्कार क्यों
ये सोच के हैरान हूँ ।

नारी नहीं जहान हूँ
हिंद की मैं शान हूँ
गुरू भी मैं, गुरुर भी
शिष्य भी गुणवान हूँ,
सागरों में उठती जो
लहरों के उफ़ान हूँ,
“दीप” की मनमीत भी मैं
आख़िर तो एक इंसान हूँ।।

नारी नहीं जहान हूँ
हिंद की मैं शान हूँ

नारी तेरे कितने रूप

बजरंगी लाल
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

हे! नारी तुम रखती हो निज कितने ही रूप,
सृष्टि में जो कुछ दिखता है सब है तेरा स्वरूप,
तेरे बिना जग तिमिरयुक्त है दिखे कहीं ना धूप,
तेरे ममतामयी करों से निखरा जग का रूप|

माता बनकर सृष्टि सजाती देती सबको नेह,
तेरे बिना जग सूना-सूना,सूना लगता गेह,
तूँ ना होती है जिस घर में होता सब वीरान,
तेरे कदम पड़ जाएं घर में बढ़ जाती है शान|

नारी तूँ है शक्ति-स्वरूपा सभी गुणों की खान,
अम्बे, गौरी, श्री, शारदा सब तुझमें विद्यमान,
तेरे चरण की पूजा करते ब्रह्मा, विष्णु महान,
तेरे प्यार में तांडव करते हैं शंकर भगवान|

जननी, सुता, भगिनी, भार्या, माँ अम्बे का रूप,
सबको तुमने जना है चाहे राजा, रंक या भूप,
तेरे प्यार की छाया में ही पाया सबने रूप,
जो भी दिखता है इस सृष्टि में सब है तेरा स्वरूप,
हे! नारी तुम रखती हो निज कितने ही रूप,
जननी, सुता, भगिनी, भार्या, माँ अम्बे का स्वरूप

आज करें इनका गुणगान

विजय कनौजिया
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

क्यों होती है तुलना हममें
क्यों करते हैं हम उपहास
चलो आज सारे मिलकर हम
करते हैं नारी सम्मान।।

माँ बेटी का रूप यही हैं
जीवनसाथी का अभिमान
बंद करो अब इन्हें झुकाना
यही तो हैं हम सबकी मान।।

महिला और पुरूष पूरक हैं
दोनों का अस्तित्व समान
इनको भी आगे बढ़ने दो
गर्व करे फिर हिंदुस्तान।।

नारी से उत्पत्ति हमारी
जाने है ये दुनिया सारी
इनसे ही सीखा है जीना
ये ही हैं अपनी पहचान।।

मिले नहीं अपमान इन्हें अब
यही तो हैं जीवन आधार
महिला दिवस मनाएं मिलकर
आज करें इनका गुणगान।।
आज करें इनका गुणगान।।

नारी

नवनीत शर्मा
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

नारी तू चामुंडा रूपी तेज प्रकाश है
संघर्ष के चट्टानों का पूर्ण आकाश है
पग पग में कांटो को मन में झेल ले
उन विरल प्रवाहों का जन आभास है।।

जो पुत्र के सुखों को भांप ले मन से
अपने संतान को बचाए सदा जन से
मातृत्व का जो दुलार है मां के पास
जीवन के विकार सदा निकाले तन से।।

पार्वती रूपी नारी जन जन का आधार है
द्रोपदी की हरण कथा इतिहास में लाचार है
नारियों का सम्मान इतिहास में है सम्मानित
शबरी के झूठे बैर खा राम करते आभार है।।

मां बहन बेटियां है हमारे परिवार की शान
रक्षा कर इनकी सदैव पाते हम हैं सम्मान
उन विकारों को जड़ से करें हम अब खत्म
जिनसे नारियों को सहना पड़ता अपमान।।

हम सब इंसान मां के कोक से जन्म पाए है
उन मां की महिमा के हम सदा गीत गाए है
औरतों का सम्मान है हमारी परम्परा पहचान
अब नारियों का सम्मान करता चारों दिशाएं हैं।।

हे नारी

आशुतोष गौतम
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

हे नारी!
तुम अनादि सुख की नारी हो
तुम ही भवानी तुम ही शारदा
तुम ही लक्ष्मी, तुम ही देवी हो
हे नारी!
तुम से ही जगत संसार
तुम से ही घर-द्वार
तुम से घर-आंगन रौशन
हे नारी!
तुम्हारा होना दुनिया का पुण्य
तुम से ही हमारा पुरुषार्थ
तुम से ही मान, तुम से ही सम्मान
तुम से हमारा आत्मसम्मान
हे नारी!
तुम जननी, तुम पालनहार
तुम अरुणिमा, तुम नीरजा।
तुम्ही भार्या, तुम्ही अर्धांगिनी, हे नारी!

नारी अब अबलापन छोड़ो

आर.एस.’प्रीतम’
कलमकार @ हिन्दी बोल इंडिया

नारी अब अबलापन छोड़ो,
सबला बनकर भरो हुँकार।
जो भी देखे तुच्छ नयन से,
रणचंडी का लो अवतार।।
चारों ओर दरिंदे बैठे,
लाचारी पर करने वार।
बिजली बनके तुम टूट पड़ो,
खंडित करो धरा का भार।।

पीर पराई कौन समझता,
अपनी ही करते जयकार।
अपनी रक्षा ख़ुद करनी है,
नारी बलशाली साकार।।
शासन सत्ता मौन पड़े हैं,
बिके हुए हैं ये अख़बार।
फूलन देवी-सी बन जाना,
दुश्मन का करने संहार।।

श्रद्धा प्रेम प्यार की मूरत,
रिश्ते-नातों का आधार।
रक्षा इनकी करो सदा ही,
पर सहना मत अत्याचार।।
जो लोग दबाना चाहें तुमको,
रहो विरोधी हो तैयार।
फूलों बदले फूल चढ़ाना,
शूलों को शूलों का हार।।

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