ऊँची दुकान बासी पकवान (लघुकथा)

ऊँची दुकान बासी पकवान (लघुकथा)

घर का राशन लाना था। बच्चों ने किसी बड़े और नामी मॉल में जाने का प्रोग्राम बनाया और मुझे भी साथ ले गये। मॉल में बहुत भीड़ थी और बहुत सारी वस्तुओं पर भारी छुट थी। दो लीटर की कोल्ड ड्रिंक की दो बोतल पर एक फ्री, पैक किये हुए खाद्य पदार्थों पर चालीस प्रतिशत तक की की छूट थी। लोग धड़ाधड़ ट्रालियों में सामान भर रहे थे। बच्चों ने भी बहुत सारी दो लीटर की कोल्ड ड्रिंक की बोतलें और पैक किये हुए मसाले एवं अन्य खाद्य पदार्थ ट्राली में रखने शुरु कर दिये।

‘सामान ट्राली में रखने से पहले उसकी एक्सपायरी डेट तो देख लेते।’ मैंने बच्चों से कहा।

‘इतना बड़ा मॉल है, गलत सामान थोड़े ही बेचेंगे।’ बेटे ने कहा।

‘बेटा, जैसे ऊँची दुकानों पर फीका पकवान मिलता है, वैसे ही ऊँची दुकानों पर बासी पकवान भी बिकता है।’ मैंने उत्तर दिया।

‘बासी पकवान मतलब ?’ बेटे ने साश्चर्य पूछा।

‘एक्सपायरी डेट का सामान यानि वह पदार्थ जिसकी प्रयोग करने की तिथि निकल गई हो, वह सामान।’ मैंने स्पष्ट किया।

मेरे कहने पर बच्चों ने सामान चैक करना शुरु किया। कोल्ड ड्रिंक के प्रयोग करने की तिथि दो सप्ताह पूर्व निकल गई थी। इसी प्रकार पीसे हुए मसाले, बेसन एवं अन्य खाद्य पदार्थों के प्रयोग करने की तिथि काफी पहले निकल गई थी।

‘आप सही कह रहे थे पापा।’ बेटे ने कहा,‘यहाँ तो सचमुच ऊँची दुकान और बासी पकवान वाला हाल है।’
मैंने वहाँ खड़े कर्मचारी को बुलाया और कहा,‘अपने मैनेजर को बुलाओ।’

‘क्या काम है सर ? हमको बता दो, मैनेजर नहीं आयेंगे।’ उसने तपाक से उत्तर दिया।

‘मैनेजर को बुलाते हो या मैं पुलिस को बुलाऊँ ?’ मैं धमकाते हुए कहा।

कर्मचारी तुरन्त भागा और मैनेजर को साथ लेकर आ गया।

‘क्या बात है सर ?’ मैनेजर ने आते ही पूछा।

‘ये मॉल में क्या हो रहा है ?’ मैंने मैनेजर की आँखों में देखते हुए तीखे स्वर में कहा.

‘क्या हुआ सर ? बताओ तो सही।’ मैनेजर के स्वर में व्यग्रता के साथ घबराहट थी।

‘आऊटडेटेड माल बेच रहे हो ?’ मेरे स्वर में कठोरता थी।

‘नहीं सर, ऐसा नहीं हो सकता।’ मैनेजर का स्वर लड़खड़ा रहा था।

‘खुद ही चैक कर लो। अस्सी प्रतिशत सामान आऊटडेटेड है। सबकी एक्सपायरी डेट बहुत पहले निकल चुकी है।’ मैंने ट्राली में रखे सामान की ओर संकेत करते हुए कहा।

मेरे कहने पर उसने सामान चैक करना शुरु कर दिया. जैसे-जैसे वह चैक कर रहा था वैसे-वैसे उसके चेहरे का रंग उड़ता जा रहा था।

‘सॉरी सर, गलती हो गई।’ मैनेजर ने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा।

‘तुम लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ क्यों कर रहे हो ? इन आऊटडेटेड खाद्य पदार्थों को खाकर लोग बीमार नहीं होंगे क्या ? एक्सपायरी डेट इसीलिये ही डाली जाती है कि दी गई डेट निकलने के बाद उस पदार्थ का प्रयोग करना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो सकता है।’ मैंने कहा।

‘सर, मैं ये सारा सामान अभी हटवा देता हूँ और वादा करता हूँ कि आगे से ऐसी गलती दौबारा नहीं होगी’ मैनेजर की आँखें झुकी थी।

हम जैसे मॉल में गये थे वैसे ही बिना कुछ खरीदे खाली हाथ वापिस घर आ गये।

~ लेखक- सुरेन्द्र गोयल, नई दिल्ली

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