राज शर्मा की लघुकथाएं

1) जैसे मति वैसी गति

आज भी शेर खान देर से घर आया। वह काफी हताश लग रहा था। परन्तु ये क्या? आदमी अगर थका हो या हताश हो और ऊपर से रात्रि का समय हो तो वह उस कार्य को दूसरे दिन पर टाल देता है। परन्तु शेर खान पर शिकार का भूत सवार था। शेर खान को जिस दिन शिकार नहीं मिलता था उस रात वह सोता नहीं था। आज तक न जाने कितने जीव जंतुओं की हत्या कर चुका था शिकारी शेरखान। किसी को जाल में फंसा कर उसकी खाल को धनवान सेठों से बेचता रहता था।

स्याह घनघोर रात्रि में मशाल की रोशनी को हाथ मे पकड़ कर शिकार पर निकल पड़ा। कहते हैं कि जब पाप का घड़ा भरता है तो बड़े बड़े चक्रवती सम्राट भी काल के आगे नतमस्तक हो गए। जंगल में वह गढ्ढा खोद ही रहा था की अचानक से उस पर भालू ने हमला कर दिया। शेरखान के पास कोई मार्ग नहीं था। आखिर वह उसी गढ्ढे में छिप गया परन्तु भालू ने गढ्ढे में ही शेर खान को मार डाला।

कहते हैं कि जो दूसरों के लिए गढ्ढा खोदता है वह खुद भी उसमें गिर जाता है। जैसे चीन ने भारत व विश्व पर फतह हासिल करने के लिए कोरोना वायरस का सहारा लिया परन्तु वह पहले खुद ही फसा और अपनी तबाही का मंजर खुद भी देख रहा है।

राज शर्मा

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